सस्ती दवा देने की व्यवस्था हुई फेल
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उदासीनता. दम तोड़ दी जेनेरिक दवा स्टोर की अवधारणा
सस्ती दवा देने की व्यवस्था हुई फेल गरीब मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने का सरकार का दावा जिले में खोखला साबित हो रहा है. इस दिशा में जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंडों में जेनेरिक दवा की दुकानें की पहल सरकार की एक नीति के तहत राज्य स्वास्थ्य समिति ने शुरू की थी, लेकिन मूर्त […]
गरीब मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने का सरकार का दावा जिले में खोखला साबित हो रहा है. इस दिशा में जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंडों में जेनेरिक दवा की दुकानें की पहल सरकार की एक नीति के तहत राज्य स्वास्थ्य समिति ने शुरू की थी, लेकिन मूर्त रूप मिलने के पहले ही यह योजना यहां दम तोड़ दी.
बांका : गरीब मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने का सरकार का दावा जिले में खोखला साबित हो रहा है. इस दिशा में मुख्यालय सहित जिले के सभी प्रखंडों में जेनेरिक दवा की दुकानें की पहल सरकार की एक नीति के तहत राज्य स्वास्थ्य समिति ने शुरू की थी, लेकिन मूर्त रूप मिलने के पहले ही यह योजना यहां दम तोड़ गयी.
इससे निर्धन तबके के मरीजों में जो सस्ते इलाज की उम्मीद बंधी थी, दुर्भाग्य से वो पूरी नहीं हो सकी. वे महंगी दवाइयों के ही मोहताज रह गये. बल्कि कहें कि ईलाज उनसे दूर ही रह गया. जिला स्वास्थ्य समिति इसके लिए उन एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराता है, जिन्होंने जिले में जेनेरिक दवाओं के स्टोर खोलने का ठेका लिया था,
लेकिन समिति के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि यहां जेनेरिक दवा स्टोर खोलने से इंकार करने के बाद विभाग ने सरकार की नीतियों को जिले में कारगर ढंग से लागू करने की दिशा में वैकल्पिक इंतजाम के तौर पर क्या किया और कि जेनेरिक दवा स्टोर खोलने के करारनामें तोड़ने की एवज में उन एजेंसियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी.
क्या है सरकार की नीति: पेंचीदी कर प्रणाली की वजह से नित महंगी होती दवाओं और गरीबों से दूर होते ईलाज को देखते हुए सरकार ने ब्रांड नाम की जगह मॉलिक्यूल्स नाम से बिना टैक्स की दवाएं गरीब मरीजों को उपलब्ध कराने की योजना बनायी है. इसके तहत विभिन्न सरकारी अस्पतालों से जुड़े और अन्यत्र भी ऐसी दवाओं जिन्हें जेनेरिक दवाएं कहते हैं के स्टोर खोल कर जरूरतमंदों को बाजार दर से आधी से भी कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए ठेके पर स्टोर चलाने की योजना शुरू की गयी है. जिले में बड़ी उम्मीद के साथ इस योजना पर पहल आरंभ हुई,
लेकिन आरंभिक दौर में ही यह योजना यहां दम तोड़ गयी.
जिले में कहां शुरू हुई जेनेरिक स्टोर: तीन वर्ष पूर्व योजना के तहत जिला मुख्यालय स्थित पुरानी अस्पताल परिसर के अलावा अमरपुर, धोरैया व बाराहाट में ये जेनेरिक दवा स्टोर शुरू करने की पहल हुई. इसके लिए प्री-फेब्रीकेटेड स्ट्रक्चर के रूप में भवन भी बने.
जानकारी के अनुसार कटोरिया व रजौन में भी इसके लिए भवन बनाये गये. अमरपुर, धोरैया व बाराहाट में स्टोर शुरू भी हुए, लेकिन बाद में धोरैया व बाराहाट में स्टोर बंद हो गये. बांका में तो स्टोर कभी चालू ही नहीं हुआ. अमरपुर में स्टोर चल जरूर रहा है, लेकिन मोटे तौर पर कागज पर.
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