बेलहरः बगधसवा गांव से पुलिस ने हार्डकोर नक्सली को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस के समक्ष दिये अपने बयान में राकेश कोल उर्फ राजेश कोल ने बताया कि उसे खड़गपुर के विशाल दास ने संगठन में प्रलोभन देकर लाया था. प्रलोभन में कहा गया था कि अच्छा खाना व रुपया मिलेगा. उसने बताया कि 2004 से पढ़ाई के समय एक दो बार उन लोगों ने उसे मीटिंग में शामिल किया.
2005 में भीम बांध में एसपी केसी सुरेंद्र की बारुदी सुरंग से उड़ा कर हत्या में वह साथ थे. इस घटना को अंजाम देने में संगठन के 30 सदस्य शामिल थे. हथियार चलाने के नाम पर उसने आगे बताया कि उनको कभी कोई हथियार छूने नहीं दिया जाता था. केवल साथ में अन्य सामान ढुलवाया जाता था. भीम बांध की घटना के बाद वह पार्टी से अलग रहने के लिए यहां से दिल्ली कमाने के लिए भाग गये थे.
पर्व त्योहार में कभी-कभी गांव आया करते थे. कहा कि उन्होंने कभी कोई हत्या व लूट की घटना को अंजाम नहीं दिया. उसने बताया कि जब से पूर्व थाना प्रभारी व पूर्व सीआरपीएफ सहायक समादेष्टा राकेश कुमार ने बगधसवा गांव में यह साफ तौर पर कह दिया कि अब कोई इस गांव का कोई व्यक्ति नक्सली नहीं है व किसी का कोई केस में नाम नहीं है, वह गांव में ही रह कर खेती-बारी व मजदूरी करने लगे. बताया कि 11 अप्रैल 2014 शुक्रवार को बगधसवा की टीम फुल्लीडुमर में फुटबॉल मैच खेलने गयी थी.
इसके साथ वह भी गये व मैच जीत कर बेलहर बाजार होते हुए आये. राकेश कोल उर्फ राजेश कोल को जब जमालपुर रेल थाना पुलिस ले जाने लगी तब उसकी विधवा मां कमलेश्वरी देवी बेलहर पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी अनिल कुमार पासवान से अपने बेटे की रिहाई की गुहार लगाते हुए दूसरे थाने नहीं भेजने की अपील कर रही थी. थाना प्रभारी ने उसे समझाते हुए कहा कि उस पर कोई केस नहीं है. जमालपुर रेल थाना में उस पर संदेह है. इसलिए पूछताछ के लिए वे लोग ले जा रहे हैं. वैसे तो उसका बेटा साफ अपने मुंह से कह रहा है कि एसपी केसी सुरेंद्र हत्याकांड में वह शामिल थे. वहीं जमालपुर रेलवे थाना प्रभारी ने बताया कि राइफल लूटकांड में यह संदेहास्पद है. जिस कारण इसे पूछताछ के लिए जमालपुर ले जा रहे हैं. यह घटना तीन नवंबर 2013 में जमालपुर थाना में हुई थी.