शंभुगंज : अंग क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन स्थल व तांत्रिक शक्ति पीठ के नाम से प्रसिद्ध तिलडीहा दुर्गा मंदिर में बुधवार को बकरे की बलि चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. जानकारी हो कि दुर्गा पूजा के बाद प्रत्येक माह तिलडीहा दुर्गा मंदिर में बकरे की बलि दी जाती है. केवल वर्ष के चैत, श्रावण व भादो माह में बकरे की बलि नहीं दी जाती है.
बुधवार को वर्ष के अंतिम दिन बकरे की बलि दी गयी. अब दुर्गा पूजा में ही बकरे की बलि दी जायेगी. मालूम हो कि वर्ष 2010 में तिलडीहा दुर्गा मंदिर में दशहरा के नवमी को बलि चढ़ाने के दौरान भगदड़ मचने से 10 श्रद्धालुओं की दबकर मौत हो गयी थी. इस घटना के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने तिलडीहा दुर्गा मंदिर में बलि चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन लोगों की लगातार मांग के बाद तत्कालीन सांसद पुतुल कुमारी ने पहल कर बलि प्रथा चालू करवाया था.
हालांकि मंदिर प्रशासन दशहरा में बलि की भीड़ कम करने व भीड़ पर नियंत्रण करने के साथ-साथ वर्ष 2010 की तरह पुर्नावृति की घटना न हो इस उद्देश्य से अब प्रत्येक माह को बलि के लिए तिथि निर्धारित किया जाता है. इस दौरान बुधवार को तिलडीहा दुर्गा मंदिर में हजार से ज्यादा बकरे की बलि दी गयी. सुबह से ही शुरू हुआ बलि का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा. इस दौरान बलि चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं को कतार में खड़ा कर क्रम बद्ध तरीके से बकरे की बलि चढ़ायी गयी. भीड़ में श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसको लेकर मंदिर प्रशासन ने पर्याप्त व्यवस्था किया था. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए सौ की संख्या में ग्रामीण वोलेंटियर को तैनात किया गया था. वहीं श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के लिए थानाध्यक्ष रंधीर कुमार सिंह अपने अन्य पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बल के साथ दिन भर मशक्कत करते रहे.