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कमजोर पड़ गया है जमुआ जोर

लापरवाही. मिट रहा राज-डांड़ का अस्तित्व, दबंगों ने कर लिया अतिक्रमण सिंचाई व पानी निकासी की खड़ी हुई समस्या बांका : सिंचाई व खेतों तक पानी पहुंचाने का डांड़ एक मजबूत व सशक्त जरिया है़ परंतु अतिक्रमणवादी सोच से पौराणिक राज डांड़ का अस्तित्व लगभग मिट चुका है़ इसकी वजह से खेत में सिंचाई की […]

लापरवाही. मिट रहा राज-डांड़ का अस्तित्व, दबंगों ने कर लिया अतिक्रमण

सिंचाई व पानी निकासी की खड़ी हुई समस्या
बांका : सिंचाई व खेतों तक पानी पहुंचाने का डांड़ एक मजबूत व सशक्त जरिया है़ परंतु अतिक्रमणवादी सोच से पौराणिक राज डांड़ का अस्तित्व लगभग मिट चुका है़ इसकी वजह से खेत में सिंचाई की समस्या खड़ी हो गयी है़ जानकारी के मुताबिक, बांका प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कई ऐसे डांड़ पहले हुआ करते थे परंतु अब उनका अवशेष भी ढूंढ पाना मुश्किल है़ शहरी क्षेत्र के विजयनगर में कई वर्ष पूर्व डांड़ जीवंत अवस्था में था़ परंतु हालिया अतिक्रमण की वजह से उसका अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो गया है़ स्थानीय लोगों का कहना है कि ओढ़नी नदी किनारे से ही डांड़ विजयनगर दुर्गा मंदिर के बगल वाले तालाब तक विकसित था़ मसलन पूर्व में नदी का पानी सीधे तालाब में पहुंच कर तालाब को ही नहीं वरन् आसपास के खेत में लगी फसल को भी सिंचित करता था. लेकिन अतिक्रमण की वजह से यहां धीरे-धीरे डांड़ का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है़
अनिरुद्ध यादव, अोमप्रकाश गुप्ता आदि सामाजिक कार्यकर्ता की मानें तो शहर में डांड़ पर ही घर का निर्माण कर दिया गया़ साथ ही कूड़ा-कचरा भी भारी मात्रा में इसमें डाला जाता था़ नियमित सफाई की कमी व प्रशासनिक लापरवाही की वजह से डांड़ अब ढूंढने से नहीं मिल रहा. लिहाजा सिंचाई के साथ-साथ जल-निकासी की समस्या मुंह बाये खड़ी है़ वहीं इसके अलावा दुधारी, लक्ष्मीपुर सहित अन्य क्षेत्र में भी कभी डांड़ सिंचाई का मुख्य जरिया हुआ करता था, जो अब मृतप्राय हो चला है़ किसानों की मांग है कि जिला प्रशासन डांड़ के जीर्णोद्धार की दिशा में कदम उठाये, ताकि हजारों एकड़ खेत को पानी नसीब हो सके़ दखरीफ मौसम आने के साथ ही सिंचाई को लेकर किसान ज्यादा माथापच्ची कर रहे हैं. जल-स्त्रोत से खेत तक पानी पहुंचने वाले तमाम नाला, डांड़ व नहर की साफ-सफाई के लिए वे अभी से चिंतित है़ं
जमुआ जोर बना डंपिंग जोन
शहर के बीचों-बीच मौजूद जमुआ जोर कभी सिंचाई साधन के साथ-साथ शहर की शान था. परंतु अब इसे अतिक्रमित कर लिया गया है़ जानकारी के मुताबिक, चर्चित जमुआ जोर करहरिया, विजयनगर सहित आसपास के सैकड़ों एकड़ भूमि की सिंचाई का एकमात्रा साधन था़ लेकिन शहरीकरण की प्रवृत्ति ने इस जोर का अतिक्रमण करना शुरू कर दिया है़ कई वार्डों के निवासियों ने इसे कूड़ा-कचरा का डंपिंग जोन बना लिया है़ दशक भर के अधिक समय से सिंचाई नहीं हो पा रही है़ इस समय जमुआ जोर में काफी कूड़ा जमा हो गया है़ शहर का ज्यादातर कूड़ा यहीं फेका जा रहा है़ कई वर्षों से सफाई लंबित रहने से इसमें गाद व कूड़ा जमा हो गया है़
करना होगा एकजुट होकर प्रयास
लापरवाही की वजह से कई चर्चित राज डांड़ अब अस्तित्व खो चुके हैं. इसके अलावा और भी कई डांड़ हैं, जो देख-रेख के अभाव में खत्म होने की ओर है़ ऐसी गंभीर समस्या के लिए एकजुट होकर काम करना होगा़ वरीय अधिकारी व जनप्रतिनिधि से मिल कर डांड़ बचाने का प्रयास किया जायेगा़
महेश्वरी यादव, अध्यक्ष, किसान संघ
हटेगा अतिक्रमण
पूर्व में जमुआ जोर से सिंचाई होती थी. लेकिन हाल के दिनों में अतिक्रमण होने से सिंचाई प्रभावित हुई है. नगर प्रशासन ने उक्त जोर से अतिक्रमण हटाने के लिए अतिक्रमणकारियों को नोटिस दिया है. विभाग द्वारा पूरे जोर को अतिक्रमणमुक्त किया जायेगा. इसका डीपीआर तैयार कर लिया गया है.
-बीके तरुण, इअो, नगर परिषद, बांका

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