19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कहीं डॉक्टर ही न बन जायें मरीज !

कुव्यवस्था. तीन चिकित्सकों के भरोसे चल रहा सदर अस्पताल सदन में मामला उठाने पर भी नहीं हुई कार्रवाई औरंगाबाद सदर : व्यवस्था सुधारने बैठे अस्पताल के पदाधिकारी खुद भ्रष्ट व्यवस्था में पिसते चले जा रहे हैं. सदर अस्पताल इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है. पहले जहां चिकित्सक संसाधनों का रोना रोया करते थे. […]

कुव्यवस्था. तीन चिकित्सकों के भरोसे चल रहा सदर अस्पताल

सदन में मामला उठाने पर भी नहीं हुई कार्रवाई
औरंगाबाद सदर : व्यवस्था सुधारने बैठे अस्पताल के पदाधिकारी खुद भ्रष्ट व्यवस्था में पिसते चले जा रहे हैं. सदर अस्पताल इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है. पहले जहां चिकित्सक संसाधनों का रोना रोया करते थे. अब जब अस्पताल में सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हो गयीं हैं, तो चिकित्सक ही अपनी जिम्मेवारी से मुंह चुराने लगे हैं. इस अस्पताल में औरंगाबाद जिला सहित पड़ोसी राज्य झारखंड के सीमा क्षेत्र से भी लोग अपना इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन सदर अस्पताल की व्यवस्था मरीजों की जान ले लेती है. तीन चिकित्सकों के भरोसे चल रहा सदर अस्पताल का न जाने कब शटर गिर जाये, कहना मुश्किल है.
व्यवस्था सुधारने के लिए बैठे अस्पताल उपाधीक्षक और उनके सहकर्मी भी अब पंगु हो गये हैं. चाह कर भी ये कुछ नहीं कर पा रहे हैं. सिविल सर्जन डा आरपी सिंह को अस्पताल की व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है. उपाधीक्षक डाॅ राजकुमार प्रसाद की शिकायत है कि सारे चिकित्सक अस्पताल के कार्य में सहयोग नहीं करते. ड्यूटी पर मात्र तीन चिकित्सक ही सही तरीके से काम कर रहे हैं. कई चिकित्सक जिनकी यहां प्रतिनियुक्ति कर दी गयी है, वे अपने काम से मुंह चुराते हैं .
ऐसे में सदर अस्पताल में ओपीडी की व्यवस्था भी गड़बड़ा गयी है. तीन चिकित्सक इमरजेंसी के साथ-साथ ओपीडी भी कर रहे हैं. यानी 24 घंटे सातों दिन चिकित्सकों की ड्यूटी लगी है. कहीं ऐसा न हो कि ओवर टाइम ड्यूटी करते-करते सदर अस्पताल के चिकित्सक खुद मरीज न बन जायें.
पांच में दो डॉक्टर रहते हैं गायब
सदर अस्पताल में वर्तमान में पांच चिकित्सक पदस्थापित हैं. डाॅ सुनील कुमार, डाॅ आरबी चौधरी, डाॅ अशोक दुबे, डाॅ मुकेश कुमार व डाॅ सुजीत मनोहर हैं. डाॅ सुजीत मनोहर व डाॅ मुकेश कुमार अस्पताल से हमेशा गायब पाये जाते हैं. ड्यूटी करनेवालों में बचे तीन चिकित्सक डाॅ सुनील कुमार, डाॅ आरबी चौधरी और डाॅ अशोक दुबे फिलहाल जैसे -तैसे अस्पताल को चला रहे हैं. न तो उनके पास सोने का समय है न ही खाने-पीने का . ऐसे में इस व्यवस्था से चिड़चिड़ाये ये तीनों चिकित्सक सदर अस्पताल के सीएस से नाराज रहते हैं. कहते हैं कि इस व्यवस्था को ज्यादा दिन तक ढो पाना अब संभव नहीं है
लेडी डॉक्टर नहीं करातीं प्रसव
सदर अस्पताल में पदस्थापित महिला चिकित्सक भी कुछ कम नहीं. अस्पताल में सारी सुविधाएं होने के बावजूद महिला चिकित्सक प्रसव कराने आयी महिलाओं का इलाज अस्पताल में नहीं करना चाहतीं. यही कारण है कि प्राइवेट नर्सिंग होम चला रहीं सदर अस्पताल में पदस्थापित तीनों महिला चिकित्सक ज्यादातर मरीजों का प्रसव अपने निजी क्लिनिक में करती हैं.
सांसद-विधायक ने उठाया था मुद्दा
सदर अस्पताल की व्यवस्था से परेशान और तंग आ चुके लोगों की शिकायत के बाद स्थानीय सांसद सुशील कुमार सिंह एवं विधायक आनंद शंकर सिंह ने सदन में इस मामले को प्रमुखता से उठाया था. सरकार की ओर से संज्ञान लेने की बात भी कही गयी थी, लेकिन मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया. लोग आज भी उम्मीद लगाये बैठे हैं कि सदर अस्पताल की व्यवस्था सुधरेगी. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ राजकुमार प्रसाद ने मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से पत्र लिखकर अवगत कराया था कि कार्यरत बल से ज्यादा सदर अस्पताल में रिक्तियों की संख्या है.
उपाधीक्षक संभालते हैं ओपीडी का जिम्मा
उपाधीक्षक डाॅ राजकुमार प्रसाद ने व्यवस्था से स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया है. अब तक अस्पताल की व्यवस्था नहीं सुधर सकी है. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि सदर अस्पताल के विकास व प्रशासकीय कार्य को छोड़ कर ओपीडी में मरीजों को देखना पड़ता है. आये दिन मरीज हंगामा करते हैं. चिकित्सकों के नहीं रहने से अस्पताल की शांति व्यवस्था कभी भी बिगड़ सकती है.
अप्रिय घटना भी घट सकती है. उन्होंने कहा कि अगर चिकित्सकों से 15 शिफ्ट में लगातार काम लिया जाता रहेगा, तो उससे जख्म प्रतिवेदन अंकित करना ,पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिखना, न्यायालय में गवाही आदि कार्य पूरी तरह बंद हो जायेंगे. इस चिकित्सीय व्यवस्था को ठीक किया जाये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें