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शहरवासियों के लिए खतरा बनता जा रहा मेडिकल वेस्ट

मनमानी. निजी अस्पतालों के कचरे का नहीं हो रहा निस्तारण बगैर स्वीकृति के भी चल रहे कई अस्पताल औरंगाबाद सदर : अस्पताल बीमारों के उपचार के लिए होता है, पर जब अस्पताल की लापरवाही किसी बीमारी का कारण बन जाये, तो स्वस्थ रहने की परिकल्पना लोग कैसे कर सकते हैं. इन दिनों कुछ ऐसा ही […]

मनमानी. निजी अस्पतालों के कचरे का नहीं हो रहा निस्तारण

बगैर स्वीकृति के भी चल रहे कई अस्पताल
औरंगाबाद सदर : अस्पताल बीमारों के उपचार के लिए होता है, पर जब अस्पताल की लापरवाही किसी बीमारी का कारण बन जाये, तो स्वस्थ रहने की परिकल्पना लोग कैसे कर सकते हैं. इन दिनों कुछ ऐसा ही दिख रहा है शहर में. शहर के कुछ निजी क्लिनिकों से निकलनेवाला बायो कचरा लोगों को बीमार बना रहा है. ऐसे निजी क्लिनिक जहां-तहां बायो कचरे को फेंक दे रहे हैं, जिसके कारण संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका बढ़ते दिख रही है. शहर में दर्जनों निजी अस्पताल संचालित हैं, जिनमें कुछ एक को छोड़ कर अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण समुचित तरीके से नहीं किया जाता.
ऐसे में यह कचरा संक्रामक बीमारियों को न्योता दे रहा है. जानकारी के अनुसार कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जिन्होंने इसके लिए वैध स्वीकृति नहीं ले रखी है. इसके अलावे कुछ ऐसे अस्पताल भी है, जो वैध स्वीकृति की अवधि समाप्त होने के बाद उसका नवीनीकरण कराना भी जरूरी नहीं समझते. ऐसे अस्पताल न तो लिक्विड और सॉलिड वेस्ट को अलग-अलग भी नहीं करते, जिसके कारण संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका बढ़ जाती है. सबसे अजीब बात यह है कि ऐसे मामलो में स्वास्थ्य विभाग भी गंभीर नहीं दिख रहा है.
संकट में है हजारों लोगों का स्वास्थ्य
किसी क्लिनिक में नहीं है इंतजाम
बायो मेडिकल कचरों में शामिल दूषित रूई, पट्टी, ब्लड बैग, सीरिंज, आइवी सेट, टयूब, कांच और प्लास्टिक की बोतल के निस्तारण का दावा तो किया जाता है, पर हकीकत यह है कि इसका मुक्कमल इंतजाम किसी भी क्लिनिक में नहीं है. इसमें न सिर्फ निजी अस्पताल, बल्कि गांवों में चलनेवाले क्लिनिक और झोलाछाप चिकित्सकों की क्लिनिक भी शामिल हैं.
फैल सकती हैं गंभीर व संक्रामक बीमारियां
सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि सदर अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी को लगाया गया है, जो समय -समय पर अस्पताल से बायो कचरे को एकत्र कर ले जाती है और उसे बड़े स्तर पर इकट्ठा कर समुचित तरीके से उसका निस्तारण करती है. चिकित्सकों के अनुसार अस्पतालों से निकलनेवाले कचरे से संक्रामक बीमारियां फैल सकती हैं. इन बीमारियों में हेपेटाइिस बी, संक्रमण से फैलनेवाली बीमारियां, टेटनस, एड्स सहित कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
कचरे का निस्तारण नहीं करने पर होगी कार्रवाई
सदर अस्पताल में जैव कचरों के निस्तारण के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी को लगाया गया है. निजी अस्पतालों में अगर उसके निस्तारण की व्यवस्था नहीं बनायी गयी है, तो इस मामले की जांच की जायेगी. वैसे निजी अस्पतालों के निबंधन की जांच समय-समय पर की जाती है. अगर निजी अस्पताल जैव कचरे का निस्तारण नहीं कर रहे हैं, तो उन पर कार्रवाई की जायेगी.
डाॅ आरपी सिंह, सिविल सर्जन, औरंगाबाद

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