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एक भी बेड पर नहीं मिली चादर

ठंड से बचने के इंतजाम नाकाफी मनमर्जी. सदर अस्पताल में ड्यूटी से गायब मिले एक डॉक्टर व दो ममता एसडीओ के निरीक्षण में खुली अस्पताल में कुव्यवस्था की पोल प्रभात खबर में प्रकाशित खबरों के बाद हरकत में आया प्रशासन औरंगाबाद शहर : सदर अस्पताल में व्याप्त अनियमितता से संबंधित ‘प्रभात खबर’ की खबरों को […]

ठंड से बचने के इंतजाम नाकाफी
मनमर्जी. सदर अस्पताल में ड्यूटी से गायब मिले एक डॉक्टर व दो ममता
एसडीओ के निरीक्षण में खुली अस्पताल में कुव्यवस्था की पोल
प्रभात खबर में प्रकाशित खबरों के बाद हरकत में आया प्रशासन
औरंगाबाद शहर : सदर अस्पताल में व्याप्त अनियमितता से संबंधित ‘प्रभात खबर’ की खबरों को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. गुरुवार को डीएम कंवल तनुज के आदेश पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद ने सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. इमरजेंसी वार्ड से लेकर ओपीडी और डायग्नोस्टिक सेंटर से लेकर प्रसव कक्ष, टीबी वार्ड, मेल वार्ड, नशामुक्ति केंद्र, एसएनसीयू में चिकित्सकों व चिकित्सा कर्मियों से काफी देर तक पूछताछ की.
इस दौरान प्रसव कक्ष के मरीजों से भी बात की. तेंदुआ गांव की नितू देवी ने बताया कि वह एक तारीख को अपने बच्चे को जन्म दी थी, लेकिन उसे अस्पताल प्रबंधन द्वारा भोजन की सुविधा नहीं दी गयी. जबकि, बच्चा एसएनसीयू में भरती है. एसडीओ ने निरीक्षण के दौरान पाया कि एक भी बेड पर न तो चादर बिछी है और न मरीजों को कंबल दिया गया है. महिला कर्मियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि मात्र छह बेडशीट और 20 कंबल ही उपलब्ध है. ऐसे में सभी को उपलब्ध कराना मुश्किल है.
इस पर एसडीओ ने महिला कर्मियों को जम कर फटकार लगायी. निरीक्षण के दौरान अस्पताल की ममता सीता कुमारी और बेबी कुंवर गायब मिली, जिनकी हाजिरी एसडीओ द्वारा काट दी गयी. नशामुक्ति केंद्र के निरीक्षण के दौरान वहां पदस्थापित डाॅक्टर कुमार महेंद्र प्रताप भी गायब मिले. उनकी हाजिरी भी काटी गयी. एसडीओ ने कहा कि गायब चिकित्सक व दोनों ममता के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को लिखा जायेगा. एसडीओ ने डायग्नोस्टिक सेंटर में निरीक्षण के पूर्व अस्पताल परिसर में घूम रही धनाड़ी गांव की आशा कृष्णा मणि से भी पूछताछ की और फटकार लगाते हुए कहा कि बेवजह घूमने-फिरने की यह जगह नहीं है.
अगर दूसरी बार पकड़ी गयी, तो कार्रवाई होगी. निरीक्षण के क्रम में एसडीओ को अल्ट्रासाउंड व एक्सरे मशीन सात महीने से बंद होने की भी जानकारी दी गयी. एसडीओ ने कहा कि मरीजों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को सख्त निर्देश दिये गये हैं. अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ राजकुमार प्रसाद और प्रबंधक हेमंत राजन से भी काफी देर तक पूछताछ की गयी. उपाधीक्षक ने चिकित्सक की कमी का रोना रोया. उपाधीक्षक ने कहा कि उनके पास मात्र सात डाॅक्टर हैं.
ऐसे में अस्पताल की व्यवस्था प्रभावित हो रही है. पांच पुरुष और दो महिला चिकित्सकों के साथ-साथ चार विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता है. एसडीओ ने इस संबंध में बताया कि चिकित्सकीय व्यवस्था को जल्द सुदृढ़ कर लिया जायेगा. मरीजों के साथ अगर किसी तरह की कोई परेशानी हुई, तो किसी को भी नहीं बख्शा जायेगा. उपाधीक्षक को कड़ा निर्देश देते हुए कहा कि अस्पताल में दलाली को जल्द बंद करें और दलालों को चिह्नित कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएं.

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