बदहाली. 158 साल के बाद भी शहर में नहीं खुला दूसरा थाना
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सवा लाख की आबादी के लिए पुिलसिंग व्यवस्था कमजोर
बदहाली. 158 साल के बाद भी शहर में नहीं खुला दूसरा थाना अपराध बढ़े, जनसंख्या बढ़ी, लेकिन सुरक्षा नगण्य औरंगाबाद शहर : लगभग एक लाख 30 हजार जनसंख्या वाले औरंगाबाद शहर का विकास तेजी से हो रहा है. शहर का क्षेत्रफल भी बढ़ा और जनसंख्या भी. नहीं बढ़ा, तो यहां रहनेवाले लोगों की सुरक्षा. स्थिति […]
अपराध बढ़े, जनसंख्या बढ़ी, लेकिन सुरक्षा नगण्य
औरंगाबाद शहर : लगभग एक लाख 30 हजार जनसंख्या वाले औरंगाबाद शहर का विकास तेजी से हो रहा है. शहर का क्षेत्रफल भी बढ़ा और जनसंख्या भी. नहीं बढ़ा, तो यहां रहनेवाले लोगों की सुरक्षा. स्थिति यह है कि आजादी के पूर्व और आजादी के बाद भी शहर की सुरक्षा केवल एक थाने के सहारे है. उस वक्त की जनसंख्या हजार में थी, आज लाख में है. पहले की तुलना में अपराध साल दर साल बढ़ रहे हैं. 1858 में औरंगाबाद में थाना स्थापित किया गया था. वैसे 2 जून 1858 को थाना निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया था.
उस वक्त औरंगाबाद शहर की जनसंख्या लगभग सात हजार की थी. वर्ष 1865 में औरंगाबाद को अनुमंडल का दर्जा मिला और 26 जनवरी 1973 में जिला भी बन गया, लेकिन शहर को कभी दूसरा थाना नहीं मिला. बल्कि पूर्व में स्थापित पुलिस चौकी नंबर एक और नंबर दो को भी बंद कर दिया गया. आज नगर पर्षद क्षेत्र में कुल 33 वार्ड हैं, जिसकी सुरक्षा नगर थाना पुलिस के भरोसे होती है. वैसे शहरी सीमा पर निगरानी के लिए मुफस्सिल थाना है, लेकिन दोनों थानों का दायरा काफी बड़ा है.
अब आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए शहर में अन्य थाने स्थापित करने की मांग उठने लगी है. पिछले दस सालों में शहरी अपराध पर अगर नजर डाली जाये, तो आपराधिक घटनाएं बढ़ी ही हैं. वर्ष 2006 में 326, 2007 में 343, 2008 में 544, 2009 में 496, 2010 में 524, 2011 में 497, 2012 में 454, 2013 में 613, 2014 में 403 और 2015 में हत्या, लूट, चोरी व अन्य घटनाओं से संबंधित 542 मामले थाने में दर्ज हुए. अब शहर की आबादी लगभग एक लाख 30 हजार हो चुकी है.
शहर के जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों और आम लोगों की मानें, तो औरंगाबाद शहर में कम से कम तीन थाने की और जरूरत है. जब-जब शहर में कोई बड़ी घटना घटती है, तो थाने की मांग अचानक से उठ जाती है. शासन-प्रशासन के पदाधिकारी माथापच्ची करते हैं और आश्वासन का घूंट पिला कर लोगों को शांत कर देते हैं. वर्ष 2015 में शहर के रामाबांध के समीप अपराधियों ने ठेकेदार नवीन सिंह की हत्या कर दी थी, उस वक्त शहर में नया थाना खोलने की मांग की गयी थी.
लोग ओपी पर भी खुश थे. पुलिस ओपी खोली भी गयी, लेकिन अब फिर स्थिति वही हो गयी है. एक सवाल और उठता है कि आखिर नगर थाना पुलिस कहां-कहां और कितने को सुरक्षा दे. शहरवासियों की मानें तो शहर के पश्चिम जसोइया, दक्षिण में रामाबांध, उत्तर में नावाडीह के इलाके में थाने की आवश्यकता है, ताकि शहरी आबादी को बेहतर सुरक्षा प्रदान किया जा सके.
1858 में हुई थी नगर थाने की स्थापना, तब सात हजार थी शहर की आबादी
औरंगाबाद का नगर थाना.
सुविधा बढ़ी, सुरक्षा में कटौती : सांसद
औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह का स्पष्ट कहना है कि औरंगाबाद शहर में कम से कम तीन थानों की आवश्यकता है. हर नागरिक की सुरक्षा सरकार का कर्तव्य है. शहर की आबादी और सुविधा बढ़ी, लेकिन सुरक्षा में कटौती की गयी. पहले रमेश चौक और बिराटपुर में पुलिस चौकी हुआ करती थी, लेकिन आज दोनों का नामोनिशान मिट गया.
कई बार शहर में थाना खोलने की मांग सरकार से की, पर इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. नवीन सिंह हत्याकांड के दौरान इस मामले को उठाया था, आश्वासन भी मिला. पर कहानी यथावत रही. सरकार व प्रशासन को आश्वासन का घूंट पिलाने की आदत सी बन गयी है. शहर की जनसंख्या जिला बनने के बाद कई गुना बढ़ी, लेकिन सुरक्षा आज भी भगवान भरोसे है.
थाने के साथ-साथ पुलिस को स्मार्ट बनाना चाहिए
समाजसेवी व अवकाशप्राप्त शिक्षक जगन्नाथ सिंह, सुरेंद्र प्रसाद, रामनंदन सिंह, मुरली प्रसाद सिंह का मानना है कि औरंगाबाद शहर में अन्य थानों की भी स्थापना होनी चाहिए. विभिन्न संगठनों से जुड़े छात्र नेताओं की भी राय है कि शहर में सुरक्षा के लिहाज से कम से कम दो और थाने होने चाहिए. अभाविप के प्रदेश मंत्री दीपक कुमार ने बताया कि पूर्व में पुलिस चौकी के लिए पदाधिकारियों का ध्यान शहरवासी व छात्र नेताओं ने आकृष्ट कराया था. पूरे शहर में कम से कम तीन पुलिस चौकी की आवश्यकता है,
ताकि शहरवासी चैन की सांस ले सकें. हर दूसरे, तीसरे दिन चोरी की घटना होने का मामला सामने आता है. जब पुलिस चौकी होगी, तो चोरी की घटनाओं पर लगाम लगाया जा सकता है. छात्र नेता शशि कुमार, मोनू सिंह ने कहा कि पुलिसिया व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाना चाहिए. राजपूत रॉयल के जिलाध्यक्ष ओंकारनाथ सिंह, प्रखंड अध्यक्ष विवेक सिंह, प्रखंड सचिव टंटन सिंह ने कहा कि शहर में थाने की आवश्यकता है और इस पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करायेंगे.
अब तक किसी ने भी नहीं दिलाया ध्यान
औरंगाबाद के कांग्रेस विधायक आनंद शंकर ने कहा कि शहर की आबादी बढ़ी है. नगर और मुफस्सिल थाना के कुछ भाग को काट कर थाना बनाया जा सकता है. लेकिन, अब तक किसी व्यक्ति ने भी इससे संबंधित ध्यान नहीं दिलाया. अगर ऐसा होता है, तो हम इस पर सरकार का ध्यान दिलायेंगे. सरकार लोगों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह गंभीर है. जरूरत पड़ने पर नया थाना जरूर खोला जायेगा.
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