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सौंदर्य की छटा बिखेर रहा ठाकुरबाड़ी का कल्पवृक्ष

कुटुंबाउ : श्रीकृष्णपुरी ठाकुरबाड़ी परता का कल्प वृक्ष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसकी मनोरम छटा देखते ही बनती है.वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां भारी मेला लगता आ रहा है.बटाने नदी के तट पर स्थित इस ठाकुरबाड़ी में देवी- देवताओं के आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित है,जिसके पूजन और कल्पवृक्ष के दर्शन के […]

कुटुंबाउ : श्रीकृष्णपुरी ठाकुरबाड़ी परता का कल्प वृक्ष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसकी मनोरम छटा देखते ही बनती है.वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां भारी मेला लगता आ रहा है.बटाने नदी के तट पर स्थित इस ठाकुरबाड़ी में देवी- देवताओं के आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित है,जिसके पूजन और कल्पवृक्ष के दर्शन के लिये आसपास के अलावे पूरे प्रदेश एवं झारखंड के श्रद्धालु पहुंचते है.

क्या है पौराणिक मान्यता :
परता गांव के बुजुर्गों के अनुसार तकरीबन पांच सौ वर्ष पूर्व परमहंस भारती नामक एक साधु घुमते -फिरते आये और इस दुलर्भ वृक्ष को पहचान किया. इसके पहले वहां घना जंगल था.साधु ग्रामीणों को कल्पवृक्ष की सेवा करने को कहा.साधु के बताये अनुसार श्रद्धालु गाय के दूध से सिंचाई करने लगे और बाद में यह बड़ा वृक्ष धारण किया और यह स्थान कल्पवृक्ष धाम के नाम से प्रचलित हुआ.नदी में स्थान एवं दुर्लभा वृक्ष के दर्शन के लिये भीड़ उमड़ने
लगी और वहां मेला लगना शुरू हुआ. कलांतर में वह वृक्ष सूख गया,फिर भी श्रद्धालु उस वृक्ष की सिंचाई करते रहे.कुछ दिन बाद दूसरा कल्पवृक्ष तैयार हुआ,जो आज ठाकुरबाड़ी में सौंदर्य बिखेर रहा है. लोग इसके दर्शन से धन्य धन हो रहे है.शास्त्रों के अनुसार स्वर्गवृक्ष का स्थान स्वर्ग में है,पर द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इसे धरती पर लाया था.लोग बताते है कि निश्चछल भाव से दर्शन करने पर मनोकामनाएं पूरी होती है.
आज भी होती है गाय के दूध से सिंचाई
कल्पवृक्ष को आज भी दूध से सिंचाई की जाती है. इसके लिये ठाकुरबाड़ी में सिंचाई के लिये दो गाय रखी गयी है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने 2012 में पहुंचे थे और उक्त धाम को पर्यटन से जोड़ने का वादा किया था,पर आज तक कार्रवाई नहीं हो सकी.
ग्रामीण मिथलेश पांडेय,बैजनाथ पांडेय आदि ने बताया किस पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बाबा और बंगाली स्टेट द्वारा उक्त स्थान पर आकर्षक ठाकुरबाड़ी और मंदिर का निर्माण कराकर राम, लक्ष्मण,जानकी,राधा-कृष्ण एवं बलराम रेवती की प्रतिमा स्थापित की गयी. इसके बाद परता के ब्रहमदेव पांडेय द्वारा मंदिर निर्माण कर शंकर,पार्वती की प्रतिमा स्थापित की गयी. बाद में परता के राजाराम महतो और सतगांवा के रामलाल साव द्वार मंदिर बनाकर बजरंगबली की स्थापना की गयी.
ब्रहमदेव पांडेय ने ठाकुरबाड़ी के राजभोग के लिये साढ़ चार बीघा जमीन दान दिया. आज ठाकुरबाड़ी के महंत नागा बाबा गणेश दास के अशवस्थ रहने के कारण देखरेख में कमी हो रही है. ग्रामीण भरपूर सहयोग नहीं कर पा रही है.बताते चले कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भारी मेला लगने वाला है,जिसमें हजारों श्रद्धालु दर्शन एवं मनोवांछित फल पाने के लिये पहुंचेंगे.

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