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करेंसी की किल्लत से जनजीवन प्रभावित

परेशानी. एकाएक बड़े नोटों को प्रतिबंधित किये जाने से बाजार में " 100 के नोट की कमी औरंगाबाद : सरकार द्वारा बड़े नोटों को अचानक बंद किये जाने से जनजीवन पर व्यापक असर पड़ा है. लोगों को सबसे अधिक परेशानी खुदरा पैसों के लिए झेलनी पड़ी़ इसके चलते लोग खरीदारी नहीं कर सके. वहीं, आवश्यक […]

परेशानी. एकाएक बड़े नोटों को प्रतिबंधित किये जाने से बाजार में " 100 के नोट की कमी
औरंगाबाद : सरकार द्वारा बड़े नोटों को अचानक बंद किये जाने से जनजीवन पर व्यापक असर पड़ा है. लोगों को सबसे अधिक परेशानी खुदरा पैसों के लिए झेलनी पड़ी़ इसके चलते लोग खरीदारी नहीं कर सके. वहीं, आवश्यक सेवाएं भी खुदरा के अभाव में प्रभावित रहीं. लोगों का कहना था कि परेशानी बड़े नोटों को बंद किये जाने से नहीं है, बल्कि खुदरा काे लेकर है. अचानक बैंक व एटीएम भी बंद होने से यह परेशानी बढ़ी है. अगर बैंक व एटीएम से कल-परसों तक आसानी से 100 के नोट मिलने लगें, तो परेशानी दूर हो जायेगी.
हालांकि, बैंक 100 के नोट देने में कितना सफल होते हैं, भीड़ कितनी होगी, इसको लेकर लोगों के मन में आशंका भी है. यूं तो हर आदमी सरकार के फैसले की सराहना कर रहा है. लोगों का कहना है िक बाजार में पर्याप्त मात्रा में 100 के नाेट उपलब्ध हो जायें, तो आम आदमी को बहुत अधिक परेशानी नहीं होगी. वहीं व्यवसायियों को ऑनलाइन ट्रांजेक्शन व प्लास्टिक मनी के विकल्प की ओर बढ़ना होगा.
मोटरसाइकिल शो रूम में व्यवसाय रहा ठप
बजाज मोटरसाइकिल एजेंसी के संचालक अभिषेक रंजन बताते हैं कि जो कारोबारी कैश काम किया करते थे, वे प्रधानमंत्री के इस घोषणा के बाद कैश लेने से हिचक रहे हैं. उनका सारा कारोबार डेबिट कार्ड और चेक पर हो रहा है या फिर एनइएफटी द्वारा ही संभव हो पायेगा.
500 और 1000 के नोटों के बंद होने से कारोबार में गिरावट आयी है. बुधवार को एजेंसी में मोटरसाइकिल खरीदने आये लोगों को वापस लौटाना पड़ा. वैसे लोग जो कैश लेकर आये थे, उनके रुपये काम नहीं आये. उन्होंने कहा कि डेबिट कार्ड पर बैंक 1.6 प्रतिशत ट्रांजेक्शन चार्ज लागू है. ऐसे में बिजनेसमैन या फिर लोग डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कैसे करेंगे. अगर सरकार डेबिट कार्ड को ट्रांजैक्शन चार्जेज फ्री कर दे, तो इससे लोगों को सहूलियत होगी. जो भी लोग सर्विसिंग के लिये यहां आ रहे हैं, उनका काम क्रेडिट पर हो पा रहा है, लेकिन ऐसा कब तक चलेगा. हालांकि, सरकार का यह निर्णय देशहित में बेहतर है.
सोने-चांदी की दुकानों पर भी छायी रही उदासी
गया ज्वेलर्स के संचालक पंकज कुमार वर्मा ने बताया कि जहां एक दिन पूर्व तक सोने-चांदी की दुकानों पर रौनक दिखाई देती थी, वहीं आज इन दोनों नोटों के बंद होने के बाद दुकानों पर उदासी छायी हुई है. छिटपुट लोग ही जेवर दुकानों पर पहुंच रहे हैं. वैसे लोग भी दुकानों पर पहुंचे, जिनके पास 500 और 1000 के कुछ नोट जमा थे, लेकिन वे इन नोटों के बंद होने के कारण कोई आभूषण नहीं खरीद सके. कैश लेने का कार्य मंगलवार की रात से ही लोगों ने बंद कर दिया था.
बहुत जगहों से फोन भी आया, पर कैश कहीं नहीं लिया जा रहा. बाजार में खुदरा रुपये का भी अभाव है. हालांकि, सरकार का यह निर्णय देशहित में एक बड़ा निर्णय है. इसे अब तक का सबसे बड़ा इनकम टैक्स रेड कहा जा सकता है.
सोशल साइट पर नोटों को लेकर चुटकुलों का दौर शुरू : हजार- पांच सौ के नोट बंद होने की खबर को लेकर सोशल साइट पर भी नोटों को लेकर चुटकुले बरसते रहे. कुछ लोगों ने ह्वाट्सएप और फेसबुक पर पोस्ट भी किया कि जोड़ का झटका किसी को धीरे लगा तो किसी को तेज भी. जिन्होंने ठीक-ठाक माल दबा रखा था, उन्हें तेज झटका लगा है. और जिनके पास खुदरे रुपये थे, वे शान से बाजार में खरीदारी करते रहे. एक सज्जन ने पोस्ट किया था कि दिवाली में क्वीन विक्टोरिया वाला सिक्का हजार-पांच सौ में खरीदते हैं, उसी तरह जो चीज जितनी पुरानी और दुर्लभ होती है उसकी कीमत बढ़ जाती है, तो ऐसे में कुछ हजार- पांच सौ के नोट रख लें. खुद न सही 25 से 50 साल के बाद बाल-बच्चे नीलाम कर लाखों करोड़ भी पा सकते हैं.
मेडिकल दुकानों पर भी नहीं चले 500 के नोट
सदर अस्पताल में इलाज कराने आयी महिला मौला नगर निवासी कांति देवी, न्यू एरिया निवासी सुशीला देवी, टिकरी रोड निवासी रजनी कुंवर, नावाडीह निवासी अजय दास को जब दवा की जरूरत पड़ी तो, वे अस्पताल परिसर में स्थित दवा दुकानों पर दवा खरीदने पहुंचे, तो मेडिकल संचालक ने 500 के नोट लेने से इनकार कर दिया. ऐसे में इलाज कराने आये मरीजों को दवा खरीदने के लिये परेशानी उठानी पड़ी. गंगटी निवासी दीपक ठाकुर ने कहा कि एक महिला के इलाज के लिए जब वे सदर अस्पताल पहुंचे, तो दो रुपये का पुरजा नहीं कटा पाये, क्योंकि उसके पास 500 रुपये का नोट था, जिसके कारण परेशानी हुई.
कुटुंबा. मंगलवार की रात से पांच सौ व हजार रुपये के नोट पर बैन लगते ही, लोगों को दैनिक कार्य के जरूरी वस्तु की खरीदारी करने में परेशानी बढ़ गई. बुधवार को इसे लेकर लोग चिंतित रहे. पांच सौ व हजार रुपये के नोट लेकर लोग पेट्रोल पंप या दवा दुकान की ओर पहुंचे.
पंप पर सौ रुपये का पेट्रोल या डीजल लेकर 500 या हजार का नोट जब ग्राहक थमाते, तो पंप कर्मी उन्हें खुला पैसा लौटाने में आना-कानी कर रहे थे. सुबह के एक-दो घंटे बाद तो पेट्रोल पंप के कर्मी पेट्रोल या डीजल देने से पहले नोट के बारे पूछने लगे कि आपके पास कितने का नोट है. पांच या हजार के नोट का नोट होने के बाद पंप कर्मी यह कह रहे थे कि आप या तो खुदरा पैसा दें या 500 रुपये का पेट्रोल लें. यह कहना भी उनके पास इसलिए मजबूरी था कि उनके पास लौटाने के लिए खुले पैसे नहीं थे. ऐसी हीं, हालत दवा दुकानों पर थी.

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