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…और ओझा नहीं पहुंचा डायन को नचाने
सांप के काटने से हुई थी नगहारा की युवती की मौत सुजीत कुमार सिंह औरंगाबाद : एक ओर मनुष्य मंगल ग्रह पर पानी की खोज में लगा है और विज्ञान नित्य सफलता के नये-नये आयाम गढ़ते जा रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास की जड़ें अब भी उखड़ने का नाम नहीं ले रही हैं. […]
सांप के काटने से हुई थी नगहारा की युवती की मौत
सुजीत कुमार सिंह
औरंगाबाद : एक ओर मनुष्य मंगल ग्रह पर पानी की खोज में लगा है और विज्ञान नित्य सफलता के नये-नये आयाम गढ़ते जा रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास की जड़ें अब भी उखड़ने का नाम नहीं ले रही हैं. ऐसा ही कुछ उदाहरण दिखा देव प्रखंड की पवई पंचायत अंतर्गत पड़नेवाले नगहारा गांव में.
जहां लोग अब भी आदिम युग में जी रहे हैं. इस गांव में इस बात को लेकर हजारों की भीड़ उमड़ी हुई थी कि किसी ओझा ने यह कह दिया था कि वह गांव में आकर खुलेआम अपने मंत्रों के प्रभाव से डायन को नचायेगा.
हुआ यह था कि नगहारा गांव की शत्रुघ्न राम की बेटी परमिंता को 27 अगस्त की शाम सांप ने काट लिया था और उसकी तबीयत खराब हो गयी. गांववाले उसे लेकर मदनपुर के वार स्थित बकस बाबा के मंदिर में झड़वाने गये, लेकिन पुजारी ने यह कह दिया कि इसे किसी सांप ने नहीं काटा है, बल्कि सांप में परिवर्तित होकर किसी डायन ने काटा है और इसका इलाज यहां नहीं हो सकता.
पुजारी की बात सुन कर जब परिजन उस लड़की को लेकर घर की ओर लौट रहे थे, तो देव मोड़ के समीप उसकी मौत हो गयी. पुजारी के कही गयी बात का असर परिजनों के दिमाग में बैठ गया. इधर, मृतका की चाची लीलावती देवी व मां मीना देवी ने बताया कि सुबह उनकी लड़ाई गांव के ही संजय राम की पत्नी से हुई थी और शाम होते ही यह हादसा हो गया. ऐसे में डायन का चक्कर मान कर परिजनों ने झारखंड के जपला स्थित हैदरनगर सोनवर्षा के एक ओझा प्रमोद पासवान से संपर्क साधा. ओझा ने ग्रामीणों से 10 हजार रुपये की मांग की और कहा कि वह आकर बच्ची के ऊपर जिस डायन ने अपना असर किया है, उसे गांव में नचायेगा. ग्रामीणों ने पांच हजार एडवांस भी उस ओझा को दे दिये. ओझा ने तीन अक्तूबर को आने का वादा किया था, परंतु वह नहीं आया. ग्रामीणों ने जब ओझा से संपर्क साधा, तो पांच अक्तूबर को उसने आने की बात कही. यह सुन कर तिताई बिगहा, विश्रामपुर, भरकुर, चतरा, बड़का गांव, करमा, सुंदरगंज, राजपुर, विशुनपुर, जयपुर सहित दर्जनों गांव के लोग पहुंच गये और ओझा का इंतजार करने लगे.
आलम यह था कि पवई पोखरा से लेकर नगहारा गांव तक लोगों की भीड़ लगी हुई थी. 12 से 2, फिर 2 से 5 बज गये, लेकिन ओझा नहीं पहुंचा. इस घटना को लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चा थी. कोई कह रहा था कि आज दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा, तो कोई कह रहा था कि ओझा ये काम कर ही नहीं सकता.
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