पूजा-अर्चना के साथ देवोत्थान एकादशी व्रत संपन्न हसपुरा (औरंगाबाद) कार्तिक माह का एकादशी व्रत रविवार की देर रात पूजा-अर्चना के साथ संपन्न हो गया. एकादशी व्रत जिसे देवोत्थान कहा गया है महिलाएं समेत घर के अभिभावक उपवास रख कर अपने घरों में देवताओं को प्रसाद स्वरूप नयी फसल चावल का आटा बना कर गुड़ के साथ कसार बना कर उसके घोल को चढ़ाया. साथ ही ईख भी देवतओं पर चढ़ाये. देवोत्थान एकादशी व्रत की महत्ता पर प्रकाश डालते आचार्य पंडित लाल मोहन शास्त्री ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार देवोत्थान एकादशी व्रत की पूजा का खास महत्व माना जाता है. उन्होंने कहा कि आषाढ़ माह के एकादशी के दिन भगवान विष्णु शयन मुद्रा में जाते हैं, जो चार माह बाद कार्तिक माह के एकादशी के दिन अपने शयन मुद्रा से बाहर आते हैं. इस तिथि को देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसी दिन तुलसी पूजन भी किया जाता है. देहाती भाषा में लोग देवोत्थान को जेठान कहते हैं. इस दिन घर के देवताओं की पूजा-अर्चना कर नयी फसल को प्रसाद स्वरूप चढ़ाने की परंपरा सैकड़ों वर्षों से चलती आ रही है.
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पूजा-अर्चना के साथ देवोत्थान एकादशी व्रत संपन्न
पूजा-अर्चना के साथ देवोत्थान एकादशी व्रत संपन्न हसपुरा (औरंगाबाद) कार्तिक माह का एकादशी व्रत रविवार की देर रात पूजा-अर्चना के साथ संपन्न हो गया. एकादशी व्रत जिसे देवोत्थान कहा गया है महिलाएं समेत घर के अभिभावक उपवास रख कर अपने घरों में देवताओं को प्रसाद स्वरूप नयी फसल चावल का आटा बना कर गुड़ के […]
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