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गोलमाल़ पोखरा मुहल्ले में इंदिरा आवास का काम अधूरा छोड़ कर भाग ठेकेदार, कार्रवाई नहीं

गोलमाल़ पोखरा मुहल्ले में इंदिरा आवास का काम अधूरा छोड़ कर भाग ठेकेदार, कार्रवाई नहीं लाखों रुपये के गबन की बूझोंपड़ी गवां कर तीरपाल के सहारे लोगों की कट रही जिंदगी(फोटो नंबर-6,7,8,9,10)कैप्शन-अधूरे पड़े आवास में रह रही भोला चौधरी की पत्नी लखिया देवी,मीडिया को अपनी व्यथा सूनाते राजू बैठा व उसका परिवार, मुनारिक प्रजापत का […]

गोलमाल़ पोखरा मुहल्ले में इंदिरा आवास का काम अधूरा छोड़ कर भाग ठेकेदार, कार्रवाई नहीं लाखों रुपये के गबन की बूझोंपड़ी गवां कर तीरपाल के सहारे लोगों की कट रही जिंदगी(फोटो नंबर-6,7,8,9,10)कैप्शन-अधूरे पड़े आवास में रह रही भोला चौधरी की पत्नी लखिया देवी,मीडिया को अपनी व्यथा सूनाते राजू बैठा व उसका परिवार, मुनारिक प्रजापत का पिलिंथ तक ही हुआ कार्य, अधूरे आवास की व्यथा सुनाते कृष्णा व रामजी चौधरी, इंदिरा आवास छत से टंगा तीरपाल (पेज तीन की लीड) औरंगाबाद (ग्रामीण)शहरी इलाके में गरीब परिवारों को पक्के मकान का सपना दिखाना छलावा साबित होकर रह गया है. जिन गरीबों ने पक्के मकान की चाह में अपनी झोंपड़ी उजाड़ दी, आज वे अपने घर में तीरपाल के सहारे जिंदगी गुजार रहे हैं. जिसने आवास के नाम पर उन्हें सपना दिखाया, उनकी तो अब फिक्र ही नहीं है. सपने टूटे तीन वर्ष से अधिक भी हो गये, लेकिन इस बीच किसी ने भी टूटे सपने को जोड़ने की कोशिश तक नहीं की. ठेकेदार इंदिरा आवास का काम छोड़ कर भाग गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से इसमें लाखों रुपये के गबन की बू आ रही है. यह मामला है औरंगाबाद शहर के पोखरा मुहल्ला का. वैसे कई और मुहल्ले भी इसमें शामिल हैं. इसकी परत दर परत पोल खुलनी शुरू हो गयी है. पोखरा मुहल्ले में एक दर्जन से ऊपर ऐसे लोग हैं जिन्हें इंदिरा आवास का लाभ तो मिला, लेकिन सिर्फ दिखाने को. लगभग 27 गरीबों को इस मुहल्ले में इंदिरा आवास स्वीकृत हुई थी. आठ लोगों को इंदिरा आवास पूरा कराकर सौंप दिया गया, बाकी अधूरे पड़े आवास में अपनी जीवन बिता रहे हे. कृष्णा चौधरी व रामजी चौधरी ये दोनों भाई एक ही प्लौट की जमीन में अलग-अलग रहते हैं. दोनों को इंदिरा आवास का लाभ दिया गया था. दोनों का कार्य भी प्रारंभ हुआ, लेकिन जब इनका आवास डोर लेवल तक पहुंचा, तो ठेकेदार बीच में ही गायब हो गया. इनका खपरैल मकान था. पक्के मकान की चाहत में खपरैल मकान को खुद ही ध्वस्त कर दिया, आज इनकी स्थिति यह है कि अधूरे इंदिरा आवास में तीरपाल टांगकर अपने परिवार के साथ जिंदगी काट रहे हैं. आवास में पानी सप्लाइ के लिए पाइपलाइन तो बिछा दिया गया, लेकिन मोटर नहीं लगाया गया. अब ये खुद चापाकल लगा कर पानी की व्यवस्था कर चुके हैं. कृष्णा चौधरी व रामजी चौधरी ने बताया कि आवास के नाम पर सपना दिखाकर सरकार ने बीच रास्ते में छोड़ दिया. तीन साल हो गये, लेकिन ठेकेदार दोबारा लौट कर नहीं आया. यही हाल पेशे से राजमिस्त्री भोला चौधरी का है. इनके भी इंदिरा आवास का ढलाई नहीं हुआ, दरवाजा, खिड़की की तो बात ही दूर है. भोला चौधरी की पत्नी लखिया देवी कहती है कि सरकार का दोष है, जो हम गरीबों के साथ मजाक किया है. इनके ठीक बगल में राजू बैठा का घर है. इन्हें भी इंदिरा आवास का लाभ दिया गया था. खपरैल मकान को खुद गिरा कर पक्के मकान की चाह में जमीन का दावा खुद ही खोदे थे, आज स्थिति यह है कि राजू बैठा, जीतू बैठा, ललन बैठा, छोटू कुमार, मालती देवी, हिमांशु कुमार, प्रीति कुमारी, प्रिया कुमारी सहित एक दर्जन लोग एक ही छत के नीचे अपनी जीवन काट रहे हैं. वह भी किसी तरह. इनका भी कहना है कि हमारे साथ सरकार व ठेकेदार ने धोखा किया है. इसी मुहल्ले में लक्ष्मण प्रजापत को भी इंदिरा आवास का लाभ मिला था. आवास में कार्य भी एक ही साथ लगा था, लेकिन इनका भी ढलाई छूट गया. अब तो लक्ष्मण प्रजापत स्वर्गवास कर गये. ऐसे में उनकी पत्नी व दो पुत्रों का भरा पूरा परिवार इंदिरा आवास पूरा होने का इंतजार कर रहा है. मुनारिक प्रजापत व राजू प्रजापत को भी इंदिरा आवास का लाभ दिया गया था, लेकिन इन दोनों के काम शुरू ही हुए थे कि बीच में ठेकेदार के भागने की घटना हो गयी. इन दोनों का पिलिंथ ही तैयार हुआ था. ऐसे कई लाभुक हैं जिन्हें सिर्फ इंदिरा आवास के नाम पर लॉलीपॉप दिया गया. गरीबों को केवल आश्वासन पोखरा मुहल्ला वार्ड नंबर-25 के वार्ड पार्षद रहे विजय मेहता ने बताया कि इंदिरा आवास योजना केंद्र व राज्य सरकार की संयुक्त योजना थी. वर्ष 2007 में वार्ड पार्षदों द्वारा ही लाभुकों का चयन किया गया था. 27 लोगों का इंदिरा आवास के लिए चयन हुआ था. इनमें आठ लाभुकों को आवास बनाकर सौंप दिया गया. बाकी बचे लाभुकों का काम चल ही रहा था कि इसी बीच पटना के काम करा रहे ठेकेदार भाग खड़ा हुआ. इसकी सूचना पदाधिकारियों को दी गयी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ. आज गरीबों की स्थिति वहीं है. कोई बदलाव नहीं हुआ है. विजय मेहता ने बताया कि वर्ष 2009-10 में निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था, लेकिन कुछ ही माह बाद निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ दिया गया था. उस समय के तत्कालीन नगर विकास मंत्री डाॅ प्रेम कुमार को औरंगाबाद प्रवास के दौरान इसकी जानकारी दी गयी. उन्होंने ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने व मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन आश्वासन गरीबों के काम नहीं आया. काम पूरा करने का होगा प्रयास नगर पर्षद के मुख्य पार्षद श्वेता गुप्ता ने इस संबंध में बताया कि नगर विकास व आवास विभाग की देखरेख में एचपीएल कंपनी को कार्य दिया गया था. इसकी मॉनिटेरिंग भी नगर विकास व आवास करती थी. नगर पर्षद की देखरेख में यह कार्य नहीं हुआ है. इसके चलते अनियमिततापूर्ण कार्य हुआ है. आवास पूरी कराने का प्रयास किया गया था और आगे भी प्रयास करेंगे. नगर विकास व आवास विभाग को इसके लिए नगर पर्षद पत्र लिखेगी.

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