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छठी माता नौ दुर्गा का छठा स्वरूप हैं : लालभूषण मिश्र
औरंगाबाद कार्यालय : अखिल भारतीय विद्वत परिषद, गया धाम गया के महामंत्री आचार्य लाल भूषण मिश्र याज्ञिक के अनुसार छठी माता नौ दुर्गा का छठा स्वरूप हैं. सूर्य के साथ इनकी आराधना सर्वप्रथम च्यवन ऋषि की पत्नी सुकन्या ने की थी और पति के नेत्र की ज्योति प्राप्त की थी. उसी समय से सूर्य षष्ठी […]
औरंगाबाद कार्यालय : अखिल भारतीय विद्वत परिषद, गया धाम गया के महामंत्री आचार्य लाल भूषण मिश्र याज्ञिक के अनुसार छठी माता नौ दुर्गा का छठा स्वरूप हैं. सूर्य के साथ इनकी आराधना सर्वप्रथम च्यवन ऋषि की पत्नी सुकन्या ने की थी और पति के नेत्र की ज्योति प्राप्त की थी. उसी समय से सूर्य षष्ठी व्रत प्रारंभ हुआ.
इसके बाद पांडव की पत्नी द्रौपदी ने भी छठ व्रत करके खोया हुआ राज्य प्राप्त किया था. उन्होंने बताया कि मगध के राजा जरासंध के वंशज को भी इस व्रत से कुष्ठ का निवारण हुआ था और सूर्य उपासना धीरे-धीरे आस्था व विश्वास का पर्व बन गया. सभी लोग इस पर्व को करने लगे. वैसे यह व्रत सभी व्रतों में अद्वितीय माना जाता है.
इसमें थोड़ी सी भी चूक हो जाने पर इसका विपरीत परिणाम भी होता है. आचार्य ने कहा कि वासंतिक (चैती) छठ में देव में सूर्य उपासकों की संख्या अधिक रहती है. सूर्य पोखर से दंडवत करते हुए सूर्य मंदिर तक आकर श्रद्धालु त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की आराधना व पूजा करते हैं. यह देव की महिमा व गरिमा को दरसाती है.
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