अररिया : जिले में बाढ़ की विभीषिका ने चारों तरफ भय और त्रासदी का माहौल बना दिया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के घरों में चूल्हा तक नहीं जल पा रहा है. इसका परिणाम यह हुआ है कि भूख व बीमारी से जद्दोजहद में रामपुर मोहनपुर पंचायत के वार्ड संख्या तीन डम्हैली गांव की एक 50 वर्षीय महादलित महिला घुरनी देवी पति स्वर्गीय
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जिंदा थी तो न खाना मिला, न मिली दवा मरने पर दो गज जमीन भी नसीब नहीं
अररिया : जिले में बाढ़ की विभीषिका ने चारों तरफ भय और त्रासदी का माहौल बना दिया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के घरों में चूल्हा तक नहीं जल पा रहा है. इसका परिणाम यह हुआ है कि भूख व बीमारी से जद्दोजहद में रामपुर मोहनपुर पंचायत के वार्ड संख्या तीन डम्हैली गांव की […]
जिंदा थी तो…
तेतर ऋषिदेव जिंदगी की जंग हार गयी. घुरनी जिंदा थी तो उसे खाना व दवा तक नसीब नहीं हुई. जब मरी तो उसे न तो दो गज कफन नसीब हुआ और न ही अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन. लाचार परिजनों व महादलित समुदाय के लोगों ने घुरनी के मृत शरीर को बाढ़ के पानी में प्रवाहित कर दिया. हालात यह है कि उसकी मौत के बाद भी दो दिनों से उसके चार बच्चे(जिनकी उम्र 14 वर्ष से भी कम है) को खाना तक नसीब नहीं हुआ है. यह हाल सिर्फ घुरनी के बच्चों का ही नहीं है
बल्कि गांव के डेढ़ सौ से ज्यादा आबादी वाले उस महादलित बस्ती में सभी लोग चावल को पानी में फुला कर एक वक्त का ही निवाला ग्रहण करने को मजबूर हैं.
घुरनी के बच्चों को कौन देगा सहारा
परमान नदी व सीता धार के जलस्तर में वृद्धि के बीच रामपुर मोहनपुर पंचायत के वार्ड संख्या तीन व चार की हजारों की आबादी बाढ़ की विभिषिका में त्राहिमाम कर रही है. बताना लाजिमी होगा कि वार्ड संख्या तीन का आधा क्षेत्र नगर परिषद तो आधा क्षेत्र रामपुर मोहनपुर पंचायत के अंतर्गत आता है, लेकिन अब तक बाढ़ से प्रभावित इस क्षेत्र की सुधि लेने के लिए पूर्व वार्ड पार्षद नूर आलम के अलावा कोई भी पदाधिकारी नहीं पहुंचे हैं. इस बीच कुछ ऐसा हुआ जो मानवता के लिए शर्मनाक है. वार्ड संख्या तीन की मसोमात घुरनी एक तो पहले से ही बीमार चल रही थी, लेकिन किसी प्रकार से अपने परिवार का भरन पोषण मेहनत मजदूरी से कर रही थी. लगातार दस दिनों से बाढ़ का पानी पसरे रहने के कारण घुरनी कहीं मजदूरी तक करने नहीं जा पा रही थी. घर में रखा जमा पूंजी भी एक दो दिन में समाप्त हो गया. इसके बाद बचे-खुचे अनाज व लोगों से मांग कर किसी प्रकार अपने छोटे-छोटे बच्चों को एक वक्त का निवाला देती रही, लेकिन घुरनी के भूखे पेट ने उसकी जिंदगी की डोर को आखिर कर मंगलवार को छीन लिया. मौत के बाद घुरनी के मृत शरीर को ग्रामीणों ने बाढ़ के पानी में ही प्रवाहित कर दिया. घुरनी के मौत के बाद उसके चार बच्चे 14 वर्षीय छोटू ऋषिदेव, 10 वर्षीय निक्की कुमारी, सात वर्षीय अजय कुमार व छह वर्षीय पूजा कुमारी का पालन अब कौन करेगा. यह सवाल भी पैदा हो गया है. छोटू ऋषिदेव ने अपनी मां के संस्कार के लिए उतरी तो ले ली है, लेकिन वह भी अपने भाई-बहनों के साथ लगातार दो दिनों से भूखा है. उसकी मासूम आंखे प्रशासन से मदद की गुहार लगा रही है.
बीडीओ रतन कुमार दास ने बताया िक अभी इस प्रकार की घटना की कोई जानकारी नहीं मिली है. जानकारी मिलने पर सरकारी सहायता मुहैया करायी जायेगी.
दंश
भूख व बीमारी के कारण जिंदगी की जंग हार गयी अररिया की घुरनी
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