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आबादी बढ़ी, घटता गया पुलिस बल

चिंता . 425 सिपाही, 69 पुअनि व 56 सअनि कर रहे हैं 28 लाख लोगों की सुरक्षा अररिया को जिला बने लगभग ढाई दशक बीत गये. हर मुसीबत के लिए लोग पुलिस से आस लगाये रहते हैं. लेकिन पुलिस बलों की संख्या में कमी के कारण जिला वासी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. अररिया : […]

चिंता . 425 सिपाही, 69 पुअनि व 56 सअनि कर रहे हैं 28 लाख लोगों की सुरक्षा

अररिया को जिला बने लगभग ढाई दशक बीत गये. हर मुसीबत के लिए लोग पुलिस से आस लगाये रहते हैं. लेकिन पुलिस बलों की संख्या में कमी के कारण जिला वासी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
अररिया : अपराध नियंत्रण हो या फिर विधि व्यवस्था का मसला, सड़क जाम हो या फिर लड़ाई-झगड़ा. बरबस लोग थाना की ओर चल पड़ते हैं. थाना को सूचना देते हैं. हर मुसीबत के समय लोग पुलिस की ओर ही मुखातिब होते हैं. यह भी सच है कि सर्वाधिक आलोचनाओं का शिकार पुलिस ही बनती है. पब्लिक से सीधा रिश्ता होना भी इसका कारक है. जिला बने लगभग ढाई दशक बीत गये. इसके बाद भी न तो जवाबदेह जनप्रतिनिधि और न ही वे इस मसले पर मुखर हुए जिनके कंधे पर 28 लाख लोगों की सुरक्षा का भार थोपा जाता है.
नतीजतन आबादी बढ़ती गयी और सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों और पुलिस अधिकारियों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती गयी. जिले में जो जवान हैं उनमें कुछ पुलिस जवान साहबों के अगंरक्षक, हाउस गार्ड में तो कुछ जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा में लगा दिये जाते हैं. शेष बचे पुलिस कर्मियों के भरोसे जनता-जनार्दन की सुरक्षा का दायित्व रह जाता है.
पुलिस आधुनिकता के इस दौर में अमूमन सभी थाना को वाहन तो उपलब्ध है. लेकिन चालक नहीं है. जवाबदेह निजी स्तर से या प्रतिनियुक्त होमगार्ड के द्वारा वाहन चलाया जाता है. आखिर इतने कम संख्या बल के भरोसे अपराध नियंत्रण, विधि व्यवस्था के मसले का निदान कैसे हो. कैसे हो अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई. कैसे अपराधियों पर शिकंजा कसा जाये. जिला में न सिर्फ पुलिस बल की कमी है. बल्कि स्वीकृत पद के विरुद्ध पुलिस अवर निरीक्षकों की संख्या भी बेहद कम है.
सुरक्षा को ले मुखर नहीं हैं जनप्रतिनिधि
168 की जगह हैं 69 दारोगा
जरा आंकड़ों पर नजर डाले तो सच्चाई सामने आ जायेगा. पुलिस अवर निरीक्षक के लिए जिले में 168 पद स्वीकृत है. जिसके विरुद्ध मात्र 69 उपलब्ध है, जबकि 109 रिक्त पड़ा है. पुलिस निरीक्षक के स्वीकृत पद 13 हैं, जिसके विरुद्ध 15 पुलिस निरीक्षक उपलब्ध है. दो इंस्पेक्टर को परिचारी प्रवर में समायोजित कर काम लिया जा रहा है.
सिपाही सशस्त्र बल के लिए स्वीकृत पद 398 के विरुद्ध 336 प्राप्त हैं. स्वीकृत बल में 62 जवानों की कमी है. साधारण बल (सिपाही) के 235 पद स्वीकृत महिला पुलिस बल भी शामिल है. चालक सिपाही के स्वीकृत पद 26 के विरुद्ध मात्र पांच, सिपाही आर्मरर के चार पद के विरुद्ध मात्र एक, कंप्यूटर सिपाही के 11 स्वीकृत पद के विरुद्ध एक भी उपलब्ध नहीं है.
बहरहाल पदाधिकारियों से लेकर सिपाही संवंर्ग तक स्वीकृत पद 674 के विरुद्ध 492 की उपलब्धता व 182 की रिक्ति चौकाने वाला है. 486 पुरुष व महिला जवानों के भरोसे जिले की जनता की सुरक्षा का दायित्व है. जानकार बताते हैं कि लगभग पांच दर्जन से अधिक जवान अंगरक्षक ड‍्यूटी में लगे हैं. ऐसे में 426 जवानों के भरोसे जिला की व्यवस्था सुशासन की सरकार में चल रही है.
बहुत जल्द स्थिति में सुधार आयेगी
प्रत्येक माह पुलिस मुख्यालय पटना को बल विवरणी भेजी जाती है. इससे सारी जानकारी मुख्यालय हो प्राप्त हो जाता है. कुछ पदों पर प्रोन्नति की कार्रवाई चल रही है. बहुत जल्द ही इस स्थिति में सुधार आयेगा.
सुधीर कुमार पोरिका, पुलिस अधीक्षक

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