जलमीनार में घटिया सामग्री का उपयोग
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गड़बड़ी. पाइप लाइन में गहराई का नहीं रखा ध्यान
जलमीनार में घटिया सामग्री का उपयोग जलमीनार के भविष्य पर संकट जलापूर्ति योजना में पूर्व में भी उठे थे सवाल जलमीनार के बुनियादी कार्य में जिस प्रकार से एजेंसी के द्वारा दोयम दर्जा का सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है, तो उस मीनार का भविष्य पर संकट के बादल मंडराना लाजिमी है. इस बात […]
जलमीनार के भविष्य पर संकट
जलापूर्ति योजना में पूर्व में भी उठे थे सवाल
जलमीनार के बुनियादी कार्य में जिस प्रकार से एजेंसी के द्वारा दोयम दर्जा का सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है, तो उस मीनार का भविष्य पर संकट के बादल मंडराना लाजिमी है.
इस बात को लेकर नगर क्षेत्र के उप मुख्य पार्षद के द्वारा 17 फरवरी 16 को शिवपुरी में बन रहे जलमीनार के निर्माण में दोयम दर्जा के सामग्री के प्रयोग पर सवाल उठाया गया था. लेकिन एजेंसी के कर्मी ने उप मुख्य पार्षद के जांच को कोई तरजीह देना मुनासिब तक नहीं समझा, जबकि कार्य स्थल पर कार्य करा रहे कर्मी तो इस जांच की कार्रवाई को कमीशन का नाम तक दे डाला. यही नहीं 30 दिसंबर 2015 को वार्ड संख्या 17 के वार्ड वासियों के द्वारा भी एजेंसी के द्वारा बिछाये जा रहे पाइप में सड़क तोड़ने व गंदे नाला के पानी को बिछाये जा रहे पाइप में घुसने का अंदेशा जाहिर करते हुए विरोध प्रकट किया.
जल मीनार व पाइप जलापूर्ति योजना में अनियमितता का खेल पूर्व से ही सवालों के घेरो में रहा है. हालांकि जांच की कार्रवाई में विभागीय स्तर पर शिथिलता बरती नहीं जाती तो कार्य के गुणवत्ता का सच पहले ही सामने आ जाता
अररिया : शहर के 29 वार्डों में घर-घर स्वच्छ जल पहुंचाने के उद्देश्य में नगर विकास विभाग की मुहिम को पहला झटका जल पार्षद के कार्यरत एजेंसी के द्वारा गुणवत्ता विहीन कार्य के माध्यम से दी जा रही है. पाइप जलापूर्ति योजना में अनियमितता बरतने को लेकर जिस बात का शहर वासी अंदाजा लगा रहे थे
उसे डीएम के द्वारा गठित टीम ने अपने पहली जांच में ही लोगों के सामने ला कर रख दिया है. हालांकि नगर परिषद अररिया के द्वारा 25 करोड़ 59 लाख के प्राक्कलित राशि में से अब तक जल पार्षद के निर्देश के बाद 20 करोड़ रुपये की राशि निर्गत कर दी गयी है. जमीनी स्तर पर न तो जलमीनार का काम पूरा हो पाया है न ही पाइप बिछाने का काम ही अभी सभी वार्डों में पूरा हो पाया है.
जांच में लगा एक माह
प्रधान सचिव ने अपने पत्रांक 143 दिनांक सात जनवरी 16 को ही नगर पार्षद रितेश कुमार राय के एजेंसी के मनमानी व गुणवत्ता विहीन कार्यों के पत्र प्राप्त होने के बाद जांच के आदेश दिये थे. जिसमें प्रधान सचिव ने यह स्पष्ट किया था कि नगर पार्षद के शिकायत पत्र में वर्णित बिंदुओं की स्थल जांच करने का आदेश मुख्य अभियंता बिहार राज्य जल पार्षद को करने की अनुशंसा की थी. साथ ही डीएम अररिया को भी अपने स्तर पर कार्य का तटस्थ मूल्यांकन कर नगर विकास विभाग व आवास विभाग को जांच प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया गया था.
प्रधान सचिव के निर्देश आने के बाद ही डीएम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन फरवरी को योजना पदाधिकारी व पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता को नप से सहयोग लेकर जांच का निर्देश दिया था. इस आदेश एक माह बाद भी जिला की टीम जांच में शिथिलता बरत रही थी. इधर आठ फरवरी को डीएम को जब नप के साथ बैठक में इस बात की जानकारी हुई की जांच की कार्रवाई अब तक लंबित है तो उन्होंने गठित टीम के संबंधित पदाधिकारियों को तत्काल अपने निर्देश को अमल में लाने का कार्य सौंपा.
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