जिला स्तरीय वर्किंग ग्रुप के सदस्यों का हुआ उन्मुखीकरण
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परिवार नियोजन सिर्फ महिलाओं पर फोकस नहीं
जिला स्तरीय वर्किंग ग्रुप के सदस्यों का हुआ उन्मुखीकरण परिवार नियोजन कार्यक्रम का सारा बोझ महिलाओं पर उचित नहीं परिवार नियोजन को लेकर अवधारणा बदलने की जरूरत परिवार नियोजन उपायों तक लोगों की पहुंच बनानी होगी आसान डीएम ने दिया व्यवहारिक योजना व रणनीति बनाने का निर्देश अररिया : लगभग 30 लाख की आबादी वाले […]
परिवार नियोजन कार्यक्रम का सारा बोझ महिलाओं पर उचित नहीं
परिवार नियोजन को लेकर अवधारणा बदलने की जरूरत
परिवार नियोजन उपायों तक लोगों की पहुंच बनानी होगी आसान
डीएम ने दिया व्यवहारिक योजना व रणनीति बनाने का निर्देश
अररिया : लगभग 30 लाख की आबादी वाले इस जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम के क्रियान्वयन को बेहतर व व्यवहारिक रूप देकर सफल बनाने के लिए एक नयी कवायद शुरू कर दी गयी है. इसी उददेश्य से अररिया का चयन राज्य के उन छह जिलों में हुआ है. जहां पापुलेशन फाउंडेशन के सहयोग से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जायेगा. इसका खुलासा शनिवार को आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम में हुआ.
डीआरडीए सभा भवन में हुए कार्यक्रम में डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वर्किंग ग्रूप के सदस्य शामिल हुए. इस अवस पर जानकारी देते हुए पापुलेशन फाउंडेशन के परियोजना समन्वयक ऋतु प्रकाश, कार्यक्रम पदाधिकारी पिंकी कुमारी व जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम ने बताया कि जिले में प्रति परिवार सदस्यों की संख्या चिंता की बात है. देश का औसत 2.1 सदस्य प्रति परिवार है. जबकि राज्य का औसत 3.2 व जिले का औसत 4.3 सदस्य प्रति परिवार है.
विषय प्रवेश के दौरान ये बात भी सामने आयी कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को लेकर अवधारणा बदलने की जरूरत है. लोगों को ये समझाना जरूरी है कि परिवार नियोजन का मतलब केवल कम या अधिक बच्चे से नहीं है. बल्कि मां, बाप को ये समझाना होगा कि बच्चों की उतनी ही संख्या होनी चाहिए जिनका भरण पोषण व शिक्षा आदि बेहतर हो सके.
परिवार नियोजन का सीधा संबंध स्वास्थ्य व आर्थिक उन्नति से जुडा है. ये भी कहा गया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम का सारा फोकस महिलाओं पर ही रखना उचित नहीं है. दी गयी जानकारी के मुताबिक परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत बंध्याकरण तो हो रहा है,
पर परिवार नियोजन के अन्य उपायों व सुविधाओं के प्रति लोगों तक सही ढंग से बात नहीं पहुंचायी जा सकी है. कहा गया कि कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए गठित वर्किंग ग्रूप के सदस्ययों की आम सहमति से ही योजना बनानी है. योजना बनाने में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधन व आवश्यकताओं के आधार पर ही योजना बनानी होगी. इसकी मानीटरिंग व प्रभाव आकलन की रणनीति ग्रूप बनायेगा.
डीएम हिमांशु शर्मा के निर्देश पर तय पाया कि फिलहाल जिले के किसी एक प्रखंड का चयन कर वहां कार्यक्रम को शुरू किया जाये. ताकि परिणाम सामने आ सके. वहीं लक्ष्य समूह व समुदाय को जागरूक करने व अन्य अवश्यक जानकारियां देने में आंगनबाडी सेविकाओं, आशा कार्यकर्ताओं के अलावा जीविका स्वयं सहायत समूहों से सहयोग के लिए योजना बने.
डीएम ने कहा कि परिवार नियोजन के अन्य साधनों की उपलब्धता को भी आसान बनाना होगा. ताकि इनका इस्तेमाल लोग कर सकें. इसी क्रम में तय पाया कि कंडोम के वितरण में विकास मित्रों को भी जिम्मेदार बनाया जाये. साथ ही सरकारी अस्पतालों में आम लोगों के लिए किसी खुले स्थान पर कंडोम के पेकेट रखे जायें. ताकि इच्छुक लोग बिना किसी झिझक के उन्हें ले जा सकें.
कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सभी आवश्यक सहयोग का भरोस देते हुए डीएम ने कहा कि अगली कार्यशाला में रणनीति का पुरा खाका रखा जाये. रणनीति बनाते समय इसकी व्यवहारिकता पर ध्यान रखना जरूरी है. साथ ही उन्हीं रणनीति को अपनाना बेहतर होगा जिनका सफल प्रयोग अन्य स्थानों पर हो चुका है.
इस अवसर पर सीएस डा एनके ओझा, एसीएमओ डा आरएन सिंह, जिला पंचायती राज पदाधिकारी धीरेंद्र मिश्रा, जिला शिक्षा पदाधिकारी फैयाजुर रहमान, एडीपीआरओ गुप्तेश्वर कुमार के अलावा डा एसआर झा, प्रो आशोक झा व परवेज आलम सहित ग्रूप के अन्य सदस्य भी मौजूद थे.
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