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नये साल ने कराया पर्यावरण में खतरनाक बदलाव का एहसास
अररिया : तमाम इंतजार के बाद आखिरकार शुक्रवार को अपनी पलकों पर हजारों सपने सजाये नये साल ने अपनी आंखें तो खोल दी. गुरुवार की देर रात से लेकर शुक्रवार के दिन ढले तक जिले वासियों ने नये साल का जश्न भी बड़े धूमधाम से मनाया. कमोबेश ये जश्न किसी बड़े हादसे के बगैर गुजर […]
अररिया : तमाम इंतजार के बाद आखिरकार शुक्रवार को अपनी पलकों पर हजारों सपने सजाये नये साल ने अपनी आंखें तो खोल दी. गुरुवार की देर रात से लेकर शुक्रवार के दिन ढले तक जिले वासियों ने नये साल का जश्न भी बड़े धूमधाम से मनाया. कमोबेश ये जश्न किसी बड़े हादसे के बगैर गुजर गया. पर इसी नये साल के पहले दिन ने पर्यावरण में होने वाले उस खतरनाक बदलाव का भी एहसास करा दिया जिसे लेकर दुनिया भी के पर्यावरणविद चिंतित हो रहे हैं.
हमेशा की तरह उम्मीद की जा रही थी कि जिले वासी नव वर्ष का स्वागत ठिठुरती ठंड में करेंगे. चहुं ओर कुहासा होगा. पिकनिक स्पॉट तक जाने में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
लोगों ने अपनी तैयारी भी इसी अनुसार कर रखी थी. लेकिन हुआ बिल्कुल विपरीत. शुक्रवार को दिन भी न केवल धूप खिली रही बल्कि गर्मी इतनी तेज थी कि एक स्वेटर भी बदन पर बोझ लग रहा था. धूप की तपिश यहां तक पहुंची कि दोपहर के करीब लोग खुले से निकल कर कमरे या अन्य छायादार स्थानों पर चले गये.
ऐसे बदलाव ने जिले वासियों को हैरत में डाल दिया है. लोगों का कहना है कि जब शीत लहर चलनी चाहिए, उस समय गर्मी पड़ना ठीक नहीं. इसे लेकर किसान भी चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि ऐसा मौसम रबी के फसल को प्रभावित करेगा.
गेहूं की अच्छी फसल के लिए जरूरी है कि आवश्यक ठंड पड़े. गौर तलब है कि बीते साल बरसात के मौसम में भी जिले वासियों ने ऐसे ही बदलाव का सामना किया था. बाढ़ आना तो दूर की बात खरीफ धान के समय तो बारिश ही नहीं हुई थी. किसानों ने अन्य स्रोतों से सिंचाई कर धान की फसल पैदा की थी. अब मौसम के चलते गेहूं पर खतरा पैदा हो सकता है.
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