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मवेशी तस्करी के लिए एनएच 31 और एनएच 327 ई मुफीद

मवेशी तस्करी के लिए एनएच 31 और एनएच 327 ई मुफीद मवेशी तस्कर भारत-नेपाल सीमा पर भी सक्रियमवेशी तस्करी के एनएच 31 और एनएच 327 ई ‘गोल्डन रूट’प्रतिनिधि, बहादुरगंजबिहार से होने वाली मवेशी तस्करी का गोरखधंधा रूकने का नाम नहीं ले रहा है. किशनगंज में मवेशी तस्करी के एनएच 31 (किशनगंज होते हुए सिलीगुड़ी, असोम)और […]

मवेशी तस्करी के लिए एनएच 31 और एनएच 327 ई मुफीद मवेशी तस्कर भारत-नेपाल सीमा पर भी सक्रियमवेशी तस्करी के एनएच 31 और एनएच 327 ई ‘गोल्डन रूट’प्रतिनिधि, बहादुरगंजबिहार से होने वाली मवेशी तस्करी का गोरखधंधा रूकने का नाम नहीं ले रहा है. किशनगंज में मवेशी तस्करी के एनएच 31 (किशनगंज होते हुए सिलीगुड़ी, असोम)और एनएच 327ई (अररिया, जोकीहाट, बहादुरगंज-ठाकुरगंज, सिलीगुड़ी, असम) गोल्डन रूट हैं. इन राष्ट्रीय राजमार्गों पर मवेशी तस्करों को कोई भी टोका-टाकी नहीं करता है. ट्रकों पर ले जाते मवेशी पकड़ी जाती है तो पुलिस भी मामूली कार्रवाई कर पल्ला झाड़ लेती है. वहीं भारत-नेपाल सीमा पर मवेशी तस्करों का एक बड़ा नेटवर्क काम करा है. हालांकि एसएसबी जवानों ने मवेशी तस्करों पर नकेल कसने के लिए विशेष अभियान चला रखा है.सूत्रों की माने तो आधी रात के बाद मवेशी से भरा ट्रक किशनगंज शहर के बीचो-बीच और बहादुरगंज-पौआखाली, ठाकुरगंज, कुर्लीकोट, गलगलिया थाना क्षेत्र होते बंगाल घुसते हैं. यहां मवेशी तस्करों को पुलिस के साथ झिक-झिक नहीं करनी पड़ती है. क्योंकि पहले से ही पुलिस को सब कुछ पता होता है. ट्रक पहचानते ही पुलिस के कदम खुद-ब-खुद रूक जाते हैं. सूत्रों की माने तो मवेशी तस्करों का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि हर चौक पर उनका आदमी तैनात रहता है. कई बार पकड़े जाने के डर से तस्कर मुख्य मार्ग के बजाय कच्चे मार्गों व लूप मार्गों से चलते है. इन रास्तों पर पुलिस भी दूर-दूर तक नजर नहीं आती. यदि एक दो स्थान पर पुलिस मिल भी जाती है तो तस्कर चकमा देकर ट्रक भगा ले जाते है. कई बार मवेशी तस्करी होते हुए भी पकड़ी गई है और पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा है लेकिन बड़ों को नहीं बल्कि वाहन चालक और परिचालकों को.कहां से लाया जाता है मवेशी खगड़िया, बनमनखी, मनसाही, मधेपुरा, सहरसा, कटिहार के खैरिया व मनसाही सहित आदि मवेशी हाटों से पशुओं की खरीद कर उसकी तस्करी की जा रही है. पशु तस्करों का एक बड़ा गिरोह कोसी के विभिन्न जिलों में सक्रिय है जो कि पूरे कोसी क्षेत्र में लगने वाले मवेशी हाटों से पशुओं की खरीदारी कर उसे तस्करी के जरिये पश्चिम बंगाल भेज दिया जाता है. पश्चिम बंगाल से आसानी से बांग्लादेश भेज दिया जाता है. यहां तक अब तस्कर छोटे-छोटे बच्चों व महिलाओं से भी पशुओं को पड़ोसी देश पहुंचाने का काम कर रहे हैं.ये हैं मुफीद रास्तेपूर्णियां-किशगनंज मार्ग के बीच बायसी, डंगराहा, दालकोला के रास्ते किशनगंज होते पांजीपाड़ा पहुंच जाते हैं. वहीं दूसरी ओर एनएच 327 ई अररिया-गलगलिया मार्ग के बीच बैरगाछी, जोकीहाट, कोचाधामन, बहादुरगंज, पौआखाली, ठाकुरगंज, गलगलिया होते हुए सिलीगुड़ी पहुंच जाते हैं. उक्त स्थान मवेशी तस्करों का डंपिंग जोन भी है जहां मवेशी का स्टॉक करता है. इसके अलावा मवेशी से भरा ट्रक बायसी, अनगढ़ हाट, भवानीपुर, डाकूपाड़ा, मस्तान चौक होते हुए डे मार्केट पौआखाली पहुंच जाते हैं.बाक्स में फोटो 19 केएसएन 12नेपाल से भी हो रही मवेशी तस्करीभारत-नेपाल सीमा पर आये दिन एसएसबी जवानों ने मवेशी तस्करों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है. अभियान के दौरान दिघलबैंक, टेढ़ागाछ और ठाकुरगंज के प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र से भारी संख्या में मवेशी की जब्ती कर सबको चौका दिया है. हालांकि इस दौरान एसएसबी जवानों को मवेशी तस्करों के गुर्गों से झड़प भी होते रहता है. भारत-नेपाल सीमा पर मवेशी तस्कर अब महिला व बच्चों को कैरियर के रूप में इस्तेमाल कर मवेशी को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कराता है. टेढ़ागाछ प्रखंड स्थित एसएसबी 28 वीं वाहिनी एफ कंपनी पैक टोला बीओपी के जवानों ने कई गाय और बेल को जब्त कर लिया. हालांकि तस्कर अंधेरा का फायादा उठाकर भागने में सफल रहा.क्या कहते कैंप इंचार्ज बीओपी इंचार्ज आशीष यादव ने कहा कि मवेशी तस्करी को रोकने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. हाल ही में एसएसबी ने मवेशी के कई खैप को पकड़ा था. इसके अलावा सभी समादेष्टा द्वारा सभी बीओपी को सख्त निर्देश हैं कि मवेशी तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये.

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