गंगा-जमुनी तहजीब का अनूठा संगम है छत्तरगाछ सार्वजनिक दुर्गा मंदिर फोटो 17 केएसएन 11प्रतिमा को अंतिम रूप देते कलाकार व पूजा करते श्रद्धालु सभी धर्मों के लोग सार्वजनिक दुर्गापूजा में लेते है भागप्रतिनिधि, छत्तरगाछप्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सार्वजनिक दुर्गा मंदिर का अलग इतिहास है. ग्रामीणों के मुताबिक यहां लगभग पिछले 101 सालों से मां दुर्गा की बगैर प्रतिमा स्थापित किये पूजा की जाती है. ग्रामीणों की माने तो आजादी के पूर्व यहां मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित किये बिना दुर्गापूजा मनाया जाता रहा है. बिना प्रतिमा की पूजा होता देख तत्काल एक मुसलिम व्यक्ति की पहल पर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित कर पूजा शुरू की गयी. तब से आज तक प्रत्येक वर्ष मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है, जो फिलहाल बालासर दुर्गा मंदिर के नाम से विख्यात है. श्रद्धालुओं की मानें, तो यह मंदिर सिद्धि प्राप्त मंदिर है और यहां सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वालों की हर मन्नतें पूरी होती है. गौरतलब है कि मंदिर प्रांगण में आयोजित जा रही मेला में 75 प्रतिशत संख्या मुसलिम समुदाय के लोगों की होती है तथा मुसलिम समुदाय के लोग अपने बच्चों के साथ मेला में पहुंच कर मिठाई और खिलौना खरीदते हैं तथा मेले का आनंद उठाते हैं. मंदिर के पुजारी 60 वर्षीय पंडित देवानंद झा कहते हैं कि मंदिर की स्थापना के पांच वर्ष बाद तक यहां बकरों की बलि दी जाती थी. लेकिन जब मारवाड़ी समुदाय के लोगों का सहयोग मिलने लगा तब से बली चढ़ाना वर्जित हो गया है. पूजा कमेटी के अध्यक्ष सुकारू लाल कहते हैं कि मंदिर स्थापना के कई वर्षों तक यहां मंदिर प्रांगण में मेला का आयोजन नहीं होता था. परंतु मुसलिम समुदाय की पहल पर ही यहां मेला का आयोजन किया गया. इससे पूर्व लोगों को अपने बच्चों और परिवारों के साथ छत्तरगाछ से 20 किमी दूर रायपुर जाना पड़ता था. उन्होंने कहा कि आज भी दुर्गापूजा सहित अन्य पूजा में मुसलिम समुदाय के लोगों का सहयोग भरपूर मिलता आ रहा है, जो किशनगंज जिला के गंगा-जमुनी तहजीब आज भी छत्तरगाछ में कायम है. इधर मंदिर कमेटी के सचिव देवा राम चौधरी, अध्यक्ष सुकारू लाल राय सदस्य चंद किशोर ठाकुर, गोवर्धन अग्रवाल, नंद लाल राय, मोहन लाल पंडित, किशन शर्मा, बादल हरिजन के सौजन्य से मंदिर को रंगाई पोताई का कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है. जबकि पश्चिम बंगाल स्थित रायगंज के प्रसिद्ध मूर्तिकार नेपाल पॉल द्वारा मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं.
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गंगा-जमुनी तहजीब का अनूठा संगम है छत्तरगाछ सार्वजनिक दुर्गा मंदिर
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