उद्योग व्यवसाय को जिले में नहीं मिल पा रहा पर्याप्त संसाधनबंद पड़े हुए हैं जिले के कई उद्योगउद्योगपतियों को चाहिए सरल फाइनेंस की सुविधाआरएस में हो लंबी दूरी के ट्रनों का ठहराव बनाया जाए मालगोदाम फोटो:9-बंद पड़ा राइस मिल फोटो:10-अशोक अग्रवाल फोटो:11-बासुदेव प्रसाद केडिया फोटो:12-राजेश कुमार अग्रवाल फोटो:13-राजू अग्रवाल फोटो:14-महेश केडिया फोटो:15-अजय अग्रवाल प्रतिनिधि, अररिया संसाधन के अभाव में जिला में स्थापित दर्जनों उद्योग या तो बंद हो गये या वे बंदी के कगार पर हैं. जिले के अररिया आरएस में स्थापित साबुन उद्योग, तेल उद्योग, दाल प्लांट, चॉकलेट उद्योग, गुड़ उद्योग, मसाला उद्योग जैसे उद्योग समाप्त हो गये. इन उद्योगों के व्यवसायी संसाधन के अभाव में जिला से पलायन कर चुके हैं. राइस मिल, प्लाइवुड, जूट व गल्ला व्यवसाय से जुड़े व्यवसायी भी प्रशासनिक सहयोग व ऋण आदि की मुकम्मल सुविधा नहीं मिल पाने के कारण पलायन को मजबूर हो रहे हैं. आज से 15 साल पूर्व अररिया आरएस उद्योग का हब माना जाता था. लेकिन धीरे-धीरे यहां पर उद्योग बंद होने लगा. राजस्थान के बीकानेर , जयपुर आदि स्थानों से आये व्यापारी वर्ग पुन: घर वापसी को मजबूर होने लगे. आज अगर बचें है तो उनके परिवार के वैसे सदस्य जो कि बाप, दादा द्वारा खरीदे गये जमीन को बेचने की जुगत में लगे हुए हैं, जिन्हें अगर शीघ्र सरकारी नीतियों का लाभ नहीं मिल पाया तो जिला में उद्योग पर पूर्ण विराम लग सकता है. रेलवे स्टेशन है, नहीं है मालगोदाम, नहीं रुकती है लंबी दूरी की ट्रेनेंअररिया आरएस ग्रेड बी का रेलवे स्टेशन है. इस होकर लंबी दूरी की ट्रेनों का आवागमन होता जरूर है लेकिन यहां कोई भी लंबी दूरी की ट्रेन नहीं रुकती है. जबकि अररिया कोर्ट ग्रेड डी का रेलवे स्टेशन वहां लंबी दूरी की ट्रेन का रुकती हैं. आखिर बड़ी लाइन के लिये लड़ी गयी लड़ाई का व्यवसायियों का क्या फायदा मिला. ये कहना है जिले के मिलन टी उद्योग से जुड़े व्यवसायी अजय अग्रवाल का.उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टेशन का नहीं होना व्यवसाय को प्रभावित करता है. किसी भी स्थान पर यातायात की सुविधा व्यापार को बढ़ावा देने का मुकम्मल साधन माना जाता है. लेकिन अररिया आरएस स्टेशन होने के बावजूद न तो यहां माल गोदाम ही निर्मित है. न ही इस स्टेशन पर लंबी दूरी की ट्रेन हीं रुकती हैं. दूसरी और आरएस होकर सड़क मार्ग से भी वाहनों का परिचालन होता है. अगर माल की ढुलाई के लिए निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं तो इसका परिवहन खर्च ज्यादा आता है. उन्होंने कहा कि जब पड़ोस के जिलों में चाय की खेती की जाती है तो फिर अररिया में क्यों नहीं हो सकती. अगर कृषि विभाग इस दिशा में पहल करे तो जिले में चाय की खेती हो सकती है. अगर जिला में चाय उत्पादित होने लगे तो मिलन टी दस करोड़ की लागत से चाय उद्योग स्थापित करेगा. इसका फायदा जिले के मजदूरों को मिलेगा जिन्हें काम नहीं मिलने के कारण काम के लिए अन्य राज्यों में पलायन करने को विवश हैं.फाइनेंस की व्यवस्था हो सरल शहर में गल्ला व्यवसाय से जुड़े महेश केडिया ने बताया कि आरएस वर्ष 1995 तक बहुत बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता था. जिले का सिकटी, रानीगंज, फारबिसगंज, भरगामा, मदनपुर, पलासी आदि स्थानों के किसान इसी मंडी में अनाज बेच कर सामान की खरीद दारी करते थे. लेकिन यातायात की व्यवस्था आरएस से एकदम हीं अलग हो गया. फल:स्वरूप जिले के किसानों का अनाज अब दूसरे मंडी जाने लगा. राजू अग्रवाल ने बताया कि आरएस में 30 तेल की मिले थी, जो कि बंद हो गयी. इन मिलों के बंद होने का कारण हुआ कच्चे माल का नहीं मिल पाना. दूसरा यातायात की असुविधा. सरकारी रूप से अगर उद्योगपतियों को सहयोग मिलता तो शायद ये मिले बंद नहीं होती. राजेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी के ट्रेनों का रोका जाना चाहिए. साथ ही यात्रियों के लिए बनाया गया स्टेशन शहरवासियों के लिए सुविधा जनक नहीं है. शहर स्टेशन के दक्षिणी तरफ है. जिस कारण लोगों को लंबी दूरी तय कर स्टेशन ट्रेन पकड़ने के लिए जाना पड़ता है. जबकि या तो स्टेशन का निर्माण दक्षिणी दिशा में कराया जाय या फिर रेलवे ऊपरी पुल का निर्माण कराये. बासुदेव प्रसाद केडिया ने बताया कि हमारे घर से सड़क की ऊंचाई ज्यादा हो गयी है परिणाम है कि सड़क का पानी गोदाम में घुस आता है. हर साल लाखों रुपया का गेहूं, धान व जूट बारिश में भींग कर खराब हो जाता है. सड़क निर्माण में उच्च न्यायालय के आदेश का अवहेलना किया गया है. उच्च न्यायालय का आदेश है कि आवासीय क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सड़क की ऊंचाई घर से नीची होनी चाहिए. जन प्रतिनिधि वोट मांगने आते हैं लेकिन जीत ने के पांच साल के बाद फिर हमारे सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. राइस उद्योग से जुड़े अशोक अग्रवाल ने बताया कि उद्योग नीति का जिले में मजबूत होना आवश्यक है. सबसे पहले तो उद्योग के विकास के लिए फाइनेंस व्यवस्था का सरल होना आवश्यक है. बैंक से ऋण लेने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि सही समय पर हमलोगों को ऋण नहीं मिल पाता है. अन्य राज्यों में फाइनेंस को लेकर इतनी परेशानी नहीं है. सेक्युरिटी देने पर आसानी से ऋण उपलब्ध हो जाता है. फाइनेंस को लेकर अन्य इंस्टीट्यूट भी नहीं उपलब्ध है जो हमारे व्यवसाय के लिए समय पर ऋण उपलब्ध करा सके. सरकार हो या प्रतिनिधि व्यवसायियों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है. विधानसभा चुनाव दे रहा है दर्द व्यवसायियों ने खुले तौर पर यह समस्या भी सामने रखी कि अगर जिले में चुनाव पांच नवंबर को होना है. लेकिन उनलोगों का व्यवसाय आज से ही प्रभावित होने लगा है. व्यापारिक लेन देन के लिए रुपये पैसे का लेन देन विषम परिस्थिति में गौन भी रखा जाता है. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर हो रही कार्रवाई के कारण वे लोग रुपये का लेन देन नहीं कर पा रहे हैं. रुपये के कम लेन देन के कारण खपत की मात्रा में कम माल मंगा रहे हैं. इसका खामियाजा यह है कि ट्रांसपोर्टिंग का खर्च ज्यादा वहन करना पड़ रहा है. दशहरा व दीपावली सामने है, माल के कम आयात निर्यात से लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. मालगोदाम अगर बने तो हो सकता है आरएस मंडी का विकास आरएस से भावनात्मक ढंग से जुड़े व्यवसायी खुद चाहते हैं कि आरएस एक बार फिर मंडी के रूप में विकसित हो इसके लिए व्यवसायी किशुन भगत, विनय केडिया, महेश केडिया, सूर्या उद्योग, अजय अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, राजू अग्रवाल ने बताया कि स्टेशन पर अगर लंबी दूरी की ट्रेनें रुके तो इससे व्यवसाय एक बार फिर जीवित हो उठेगा. साथ हीं मालगोदाम के निर्माण होने से चीनी, नमक, मकई, छड़, चावल,सीमेंट,छड़ आदि सामान का रैक लग पायेगा. रैक की व्यवस्था से मजदूरों को रोजगार मिलेगा. व्यापारी भी अपने रोजगार को विस्तृत कर पायेंगे. साथ ही छोटे व्यापारी की भी आमदनी बढ़ जायेगी. प्लाइ उद्योग के लिए यूपी, कोलकाता से आने वाला रा मेटेरियल उनलोगों को लाने में सुविधा होगा. सुरक्षा में चूक के कारण भी हुआ व्यापारियों का पलायन आरएस के व्यवसायियों ने बताया कि आरएस से बड़े- बड़े उद्योगियों के पलायन करने के कारण तो कई हैं लेकिन सुरक्षा के कारणों से भी व्यापारियों को अररिया छोड़ कर जाना पड़ा. जिन व्यवसायियों को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा उनमें गल्ला व्यवसाय से जुड़े राजकुमार अग्रवाल, प्लाइवुड उद्योग से जुड़े रघुनाथ केडिया, हरे राम केडिया, बासुदेव खुरानिया आदि शामिल हैं. राजकुमार अग्रवाल व रघुनाथ केडिया के बेटे का अपहरण वर्ष 1993 में हुआ. अपहृत बच्चों की अपराधियों द्वारा हत्या भी कर दी गई. इन व्यवसाय से जुड़े ये व्यवसायी जयपुर चले गये. जिससे इन उद्योगों पर प्रतिकूल असर पड़ा. हरे राम केडिया के घर वर्ष 1985 में डकैती की घटना घटित हुई. इस डकैती में हरे राम केडिया की हत्या हो गयी. वर्ष 2003 में बासुदेव खुरानिया के घर भी भीषण डकैती की वारदात घटी. इस घटना में भी अपराधियों के गोली का शिकार हो कर बासुदेव खुरानिया की मौत हो गयी. इन घटनाओं के बाद आरएस में सैफ जवानों की प्रतिनियुक्ति होने की बात व्यवसायियों ने कही. लेकिन तीन वर्ष पूर्व आरएस से सैफ जवानों को हटा लिया गया.
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उद्योग व्यवसाय को जिले में नहीं मिल पा रहा पर्याप्त संसाधन
उद्योग व्यवसाय को जिले में नहीं मिल पा रहा पर्याप्त संसाधनबंद पड़े हुए हैं जिले के कई उद्योगउद्योगपतियों को चाहिए सरल फाइनेंस की सुविधाआरएस में हो लंबी दूरी के ट्रनों का ठहराव बनाया जाए मालगोदाम फोटो:9-बंद पड़ा राइस मिल फोटो:10-अशोक अग्रवाल फोटो:11-बासुदेव प्रसाद केडिया फोटो:12-राजेश कुमार अग्रवाल फोटो:13-राजू अग्रवाल फोटो:14-महेश केडिया फोटो:15-अजय अग्रवाल प्रतिनिधि, अररिया […]
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