गुरुवार को भी दो आये डायरिया की चपेट में
भरगामा अस्पताल के चिकित्सकों का एक दल गांव में कर रहा कैंप
भरगामा: प्रखंड के मनुल्लहपट्टी पंचायत में डायरिया का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. इससे पीड़ितों की संख्या में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है. अब तक इस पंचायत के वार्ड संख्या दो में डायरिया से चार लोगों की मौत हो चुकी है.
गुरुवार को भी इस वार्ड के दो अन्य व्यक्ति भी डायरिया की चपेट में आ गये. इसके साथ ही डायरिया पीड़ितों की संख्या एक दर्जन हो गयी है. डायरिया की भयावहता को देखते हुए भरगामा अस्पताल के चिकित्सकों का एक दल गांव में कैंप कर पीड़ितों का इलाज कर रहा है. मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को मनुल्लहपट्टी वार्ड संख्या दो में अदालत मियां की पुत्री तराना खातून 25 वर्ष व सरयुग मियां के पुत्र अलाउद्दीन 30 वर्ष डायरिया के चपेट में आ गये हैं.
चिकित्सकों द्वारा उनका इलाज किया जा रहा है. गांव के रुबीया खातून 30 वर्ष, साजन खातून, मुमताज, मो अलिसर, मो इस्तियाक सहित लगभग आधा दर्जन लोग डायरिया से पीड़ित है. इनमें से कुछ पीड़ितों का इलाज भरगामा के चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है. जबकि कुछ पीड़ितों द्वारा पूर्णिया में उपचार करवाने की बात कही जा रही है.
अब तक इनकी हुई मौत
मिली जानकारी के अनुसार, डायरिया से गांव में एक सप्ताह के अंदर चार की मौत हुई है. जोहरा खातून 40 वर्ष, उनकी नवजात नाती व पोता के अलावा बिलट मियां की डेढ़ वर्षीय पोती उजाला खातून की मौत के बाद गांव में डायरिया को लेकर लोगों में भय व दहशत का माहौल है.
कहते हैं प्रभारी चिकित्सा प्रभारी
भरगामा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुखी राउत ने बताया कि गांव में डायरिया की सूचना पर बुधवार से चिकित्सकों की टीम को लगा दिया गया है. डायरिया के फैलाव पर जल्द काबू पा लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि दवा की कोई कमी नहीं है. साथ ही लोगों से पानी गरम करके ही पीने को कहा गया है. हालांकि ग्रामीण भरगामा अस्पताल प्रबंधन पर डायरिया पीड़ितों के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं. स्थानीय जिप सदस्य मुस्ताक खान सहित ग्रामीण मो सरफराज, अब्बास खान, जय कुमार सिंह आदि ने बताया कि गांव में डायरिया फैलने की सूचना एक सप्ताह पूर्व ही भरगामा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुखी राउत को दी गयी. सूचना पर वे गांव आये भी. पर इलाज किये गये बगैर सभी पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने की बात कह कर वापस चले गये. इसी के कारण समय पर समुचित इलाज नहीं हो पाने से चार की मौत हो गयी व लगभग एक दर्जन इसकी चपेट में आ गये.