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कभी भी ध्वस्त हो सकता है मीरगंज पुल
खतरे का अंदेशा : भारत-नेपाल सीमा पर लाइफ-लाइन है, 103 साल हो चुके निर्माण के फारबिसगंज : भारत-नेपाल की सीमा सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण सीमा मानी जाती है. यह अतीत से ही अति संवेदनशील माना जाता है. भारत-नेपाल सीमा को जोड़ने वाली सड़क पर एक मात्र पुल है. नाम है मीरगंज पुल और […]
खतरे का अंदेशा : भारत-नेपाल सीमा पर लाइफ-लाइन है, 103 साल हो चुके निर्माण के
फारबिसगंज : भारत-नेपाल की सीमा सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण सीमा मानी जाती है. यह अतीत से ही अति संवेदनशील माना जाता है. भारत-नेपाल सीमा को जोड़ने वाली सड़क पर एक मात्र पुल है.
नाम है मीरगंज पुल और इसकी उम्र है 103 साल. अंग्रेजी शासन काल में बने इस पुल की मियाद खत्म हो चुकी है. पुल की हालत भी काफी खराब हो चुकी है. हालत ऐसी है कि पुल अपनी अंतिम सांसें ले रहा है. पुल के बीच में तीन दरारें हैं. पुल के जोड़ पर चौड़े गड्ढे हो गये हैं. छोटे पहियों वाली गाड़ियों के फंसने पर उनका निकलना भी मुश्किल हो जाता है.
नेपाल के प्रकाश दुग्गड़, टीएन खंगाल, ध्रुव सिंह व लोकेश तिवारी का मानना है कि पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है. क्षेत्र में आये प्रलयंकारी भूकंप ने रही सही कसर पूरी कर दी है. तभी तो जब बीते दिनों भूकंप के झटके आये तो लोगों ने सबसे पहले पुल की हालत की ही पूछताछ की. दरअसल चोरों ने पुल के कई एंगल काट लिया है. इस पुल से होकर हजारों भारी व्यावसायिक वाहन प्रत्येक दिन माल लेकर नेपाल जाते हैं.
जब ये वाहन पुल पार करते हैं तो पुल इस प्रकार हिलता है कि छोटे वाहन चालक ट्रक के गुजरते समय पुल के पहले ही अपने वाहन को रोक लेते हैं. पुल पर बने गड्ढे व दरारों को भरने की फिक्र किसी को नहीं है. यह भी विडंबना ही है कि सारे पदाधिकारी इसी पुल से होकर आते जाते हैं लेकिन इस और ध्यान शायद किसी का नहीं जाता.
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है पुल
सुरक्षा के नजरिये से ये पुल बेहद महत्वपूर्ण है. इसके ध्वस्त होने से संपूर्ण सीमांचल सहित नेपाल का व्यापार जगत पूरी तरह प्रभावित हो जायेगा. इससे भारत को भी करोड़ों के राजस्व क्षति हो सकती है.
मीरगंज पुल के विकल्प में निर्माणाधीन लिंक रोड के मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इस पर भी ग्रहण लग गया है. पीपीपी मोड पर काम होना था. लेकिन निर्माण कर रही बंगाल की कंपनी बीच में ही काम छोड़ कर भाग गयी है. मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है.
भारत-नेपाल के बीच परागमन व सुगौली संधि
भारत नेपाल के बीच परागमन संधि रहने के कारण एक दूसरे देश के नागरिक आसानी से सीमा पार बिना पासपोर्ट व वीजा के आ जा सकते हैं. किसी भी सामान को किसी भी बंदरगाह से जोगबनी व रक्सौल के रास्ते नेपाल लाने का प्रावधान है, जिसका भी मार्ग इस मीरगंज पुल से मिलना होता है. इसके ध्वस्त हो जाने से व्यापार जगत पर बुरा असर पड़ेगा.
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