चचरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है. एक तो रोजाना इस मार्ग से सैकड़ों मजदूर रोजी रोटी की तलाश में मुख्यालय पहुंचते थे. तो दूसरी तरफ ग्रामीण अपने छोटे मोटे उत्पाद मुख्यालय के बाजारों में बेच कर अच्छा मुनाफा कमाते थे. चचरी पुल ध्वस्त होने पर कम संख्या में मजदूर मुख्यालय पहुंचेंगे. इससे यहां श्रम महंगा होगा. मुख्यालय के विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है. ग्रामीण इलाकों से फल सब्जियों की आवाजाही नहीं हो पाने की स्थिति में मुख्यालय वासियों को इन चीजों के लिए ऊंचे दाम चुकाने पड़ेंगे.
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त्रिशुलिया घाट का चचरी पुल बहा
अररिया: परमान नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ ही त्रिशुलिया घाट पर बना बांस का चचरी पुल सोमवार को पूरी तरह नदी में विलीन हो गया. इससे अररिया, कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड के करीब पांच लाख लोग चार महीनों तक पूरी तरह प्रभावित रहेंगे. दरअसल इन प्रखंडों के सैकड़ों गांवों को जिला मुख्यालय से […]
अररिया: परमान नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ ही त्रिशुलिया घाट पर बना बांस का चचरी पुल सोमवार को पूरी तरह नदी में विलीन हो गया. इससे अररिया, कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड के करीब पांच लाख लोग चार महीनों तक पूरी तरह प्रभावित रहेंगे. दरअसल इन प्रखंडों के सैकड़ों गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए यह चचरी पुल सुलभ मार्ग उपलब्ध कराता था.
मुख्यालय पहुंचने के लिए अब इन गांव के लोगों को अतिरिक्त समय के साथ ज्यादा किराया भी देना पड़ेगा. चचरी ध्वस्त होने के कारण मुख्यालय पहुंचने के लिए अब लोगों को करीब 12 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी. जाहिर सी बात है कि इसमें लोगों को परेशानी तो होगी ही, साथ ही इससे उनके पॉकेट पर भी अतिरिक्त भार पड़ेगा. परमान नदी के पूर्वी छोर पर बसे गांव के लोगों के लिए इस चचरी का खासा महत्व है.
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