अररिया : जिला स्थित केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा के अधिकार के तहत मिली सुविधाओं के लिए एक अभिभावक कमोबेश डेढ़ साल से परेशान हैं, लेकिन मामला लिखा पढ़ी से आगे तक नहीं पहुंच पाया है. चौंकाने वाली बात ये भी है कि सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल भी शिक्षा का अधिकार से जुड़े मसले को नहीं सुलझा पाया है. इसी मामले का एक रोचक पहलू ये भी है कि इस संबंध में विद्यालय द्वारा वरीय अधिकारी को दिशा निर्देश मांगने के लिए भेजा गया पत्र डेढ़ साल बाद भी अधिकारी के कार्यालय तक नहीं पहुंचा है. अब सवाल इस पर भी उठ रहा है कि पत्र भेजा भी गया या नहीं. बताया जाता है कि केंद्रीय विद्यालय, अररिया आरएस की कक्षा चार की छात्र सुरभि कुमारी की मां अर्चना देवी ने 2013 में विद्यालय के प्राचार्य को आवेदन देकर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 3 के तहत अपनी बेटी के लिए नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया था. उनकी ओर से दिये गये आवेदन में कहा गया था कि उनका परिवार खेती पर निर्भर है. और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आता है. लिहाजा उनकी बेटी को आरटीइ के तहत नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के तहत सुविधा मिलनी चाहिए.
वहीं इस मामले में विशेष रुचि लेने वाले आरटीआइ एक्टिविस्ट अजय कुमार सिंह ने बताया कि बच्ची के अभिभावक ने अपना आय प्रमाण पत्र भी लगाया है. इसके बावजूद बच्ची को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. वहीं मिली जानकारी के अनुसार इसी मामले में विद्यालय के प्राचार्य ने केवीएस, पटना संभाग के आयुक्त को पत्र भेज कर आवश्यक दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया. पत्र की एक प्रतिलिपि आवेदिका को भी भेजी गयी है. आयुक्त को भेजे पत्र में भी कहा गया है कि आवेदिका ने अपना आय प्रमाण व अन्य दस्तावेज जमा किया है. प्राचार्य के पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि आवेदिका ने बिहार राज्य बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 संबंधी दस्तावेज भी आवेदन के साथ दिया है, लेकिन ये कहते हुए कि केंद्रीय विद्यालय संगठन एक स्वायत्तशासी संस्था है, प्राचार्य ने ये सवाल भी उठाया है कि क्या केंद्रीय विद्यालय बिहार राज्य के शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू करने के लिए बाध्य है. वहीं इस बात का भी उल्लेख है कि आवेदिका ने अपने आवेदन में बीपीएल कार्ड की प्रतिलिपि नहीं दी है.
वहीं इस मामले में अजय सिंह का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून में कमजोर वर्ग का उल्लेख है. बीपीएल की कोई बाध्यता नहीं है, पर दिलचस्प पहलू ये है कि प्राचार्य द्वारा भेजा गया पत्र आयुक्त कार्यालय पहुंचा ही नहीं है. ऐसी जानकारी अजय सिंह को आरटीआइ के तहत आयुक्त कार्यालय से दी गयी है. केवीएस के पटना क्षेत्रीय कार्यालय के सहायक आयुक्त सह जन सूचना पदाधिकारी एमएल मिश्र ने अजय सिंह को भेजे गये पत्र में कहा है कि केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य द्वारा दिनांक 28 नवंबर 2013 को भेजा गया पत्र आयुक्त कार्यालय को प्राप्त नहीं हुआ है. अब अगर पत्र डेढ़ साल में भी नहीं पहुंचा है, तो ये सवाल उठना लाजिमी है कि संबंधित पत्र भेजा भी गया या नहीं.