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21 वर्षो के लंबे संघर्ष के बाद मिला अररिया को जिला का दर्जा
अररिया : 21 वर्षो की लंबे संघर्ष का ही प्रतिफल है कि आज हम सभी 25वां जिला स्थापना समारोह में भाग ले रहे हैं. ऐसे यादगार क्षण में उनकी याद ताजा होकर मन-मस्तिष्क में तैरने लगती है, जिनका जिला बनाने के संघर्ष में अहम योगदान रहा. उपरोक्त बातें जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक अधिवक्ता […]
अररिया : 21 वर्षो की लंबे संघर्ष का ही प्रतिफल है कि आज हम सभी 25वां जिला स्थापना समारोह में भाग ले रहे हैं. ऐसे यादगार क्षण में उनकी याद ताजा होकर मन-मस्तिष्क में तैरने लगती है, जिनका जिला बनाने के संघर्ष में अहम योगदान रहा. उपरोक्त बातें जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक अधिवक्ता हंसराज प्रसाद ने कही.
वे कहते हैं कि पंचायत से लेकर जिला स्तर तक कमेटी गठित कर जब संघर्ष तेज किया गया, तो सैकड़ों लोग जेल गये. मुकदमा का दंश ङोला. तत्कालीन मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय, केदार पांडेय, अब्दुल गफूर, डॉ जगरनाथ मिश्र से मिल कर शिष्टमंडल ने अररिया को जिला बनाने के औचित्य को रखा. लंबे संघर्ष का प्रतिफल 14 जनवरी 1990 को सामने आया. इस दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जगरनाथ मिश्र ने कचहरी मैदान में जन-सैलाब के बीच अररिया को जिला का दर्जा दिये जाने की घोषणा की.
श्री प्रसाद अपनी यादों का ताजा करते हुए बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री डूमर लाल बैठा आज हमारे बीच नहीं है. पूर्व मंत्री सरयू मिश्र, अजीम उद्दीन, पूर्व सांसद हलीमउद्दीन अहमद, पूर्व विधायक श्रीदेव झा, मो यासीन, डॉ आजम, रामेश्वर यादव, बुंदेल पासवान, मायानंद ठाकुर, शीतल प्रसाद गुप्ता आदि ने जिला बनाने में अहम योगदान दिया था. अधिवक्ता अनिल बोस, रुद्रानंद मंडल, वसीकुर्रहमान, श्याम सुंदर सहनी, स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामाधार द्ववेदी, अमर कथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु अब हमारे बीच नहीं है.
इसके अलावा सांसद तसलीमउद्दीन, पूर्व मंत्री मोईदुर्रहमान, वीरेंद्र शरण, प्रो राधा रमण चौधरी ने संघर्ष को गति देकर मंजिल पाने में सफलता दिलायी. भावुक होकर श्री प्रसाद ने कहा कि 14 जनवरी इन तमाम लोगों को नमन करने का भी दिन है. जिला प्रगति के पथ पर दौड़ता रहे. बच्चों के होठों पर मुस्कान हो. कोई भूखा न मरे. हर ओर खुशहाली दिखे. अररिया समृद्ध जिला बने, निरक्षरता का कलंक दूर हो. अब भी इस दिशा में काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिला बनाओ संघर्ष समिति को उन साथियों को श्रद्धांजलि देना जरूरी है, जो हमारे बीच नहीं रहे.
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