एक दिवसीय संतमत सत्संग का आयोजनफोटो:2-प्रवचन देते स्नेही बाबाफोटो:3-उपस्थित सतसंग प्रेमी प्रतिनिधि, अररिया सर्वेश्वर से साक्षात्कार करने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं, अपितु अंदर झांकने की जरूरत है. बाहर में इंद्रियों से जो ग्रहण होता है वह माया है. साधक जब ध्यान के द्वारा अंत: साधना करते हैं तब आत्मा और परमात्मा का ज्ञान होता है. उक्त प्रवचन शिवपुरी में आयोजित एक दिवसीय संत मत सत्संग के दौरान महर्षि संत सेवी परमहंस जी महाराज के उत्तराधिकारी स्वामी आशुतोष उर्फ गुरु स्नेही बाबा ने कही. अपने आशीर्वचन के दौरान उन्होंने कहा कि संसार में जीवन जीने के दो मार्ग हैं श्रेय और प्रेय. श्रेय मार्गी परमात्मा की खोज को प्रधानता देते हैं और प्रेय मार्गी सांसारिकता को. सांसारिक भोगों में शांति-तृप्ति नहीं होती और शांति बिन सुख कहां! दूसरी ओर जो ईश्वर की ओर चलते हैं उन्हें सांसारिक माया स्वत: मिल जाती है, भटकना नहीं पड़ता है. प्रवचन के दौरान स्वामी जी ने कहा कि इसके लिए घर वार-परिवार, रोजगार छोड़ने की जरूरत नहीं है. संत सद्गुरु के बताये मार्ग पर साधना करें तो इहलोक और परलोक दोनों को पायेंगे. सत्संग में दर्जनों सत्संग प्रेमी व श्रद्धालु उपस्थित थे.
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साधना से होता है आत्मा व परमात्मा का ज्ञान : स्नेही बाबा
एक दिवसीय संतमत सत्संग का आयोजनफोटो:2-प्रवचन देते स्नेही बाबाफोटो:3-उपस्थित सतसंग प्रेमी प्रतिनिधि, अररिया सर्वेश्वर से साक्षात्कार करने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं, अपितु अंदर झांकने की जरूरत है. बाहर में इंद्रियों से जो ग्रहण होता है वह माया है. साधक जब ध्यान के द्वारा अंत: साधना करते हैं तब आत्मा और परमात्मा का […]
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