पटना: विकास पथ पर तेजी से बढ़ रही सरकार को दो-चार कदम पीछे खींचने के लिए विवश होना पड़ा है. लक्ष्य के अनुरूप केंद्र से पैसा नहीं मिलने के चलते मजबूरी में उसे अपने योजना आकार में कटौती करनी पड़ रही है. सरकार में पैसे की कमी का असर विकास योजनाओं पर पड़ेगा. गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए 34 हजार करोड़ का योजना आकार निर्धारित किया गया था. इसमें अब 4150 करोड़ रुपये की कटौती की गयी है. अब 29850 करोड़ रुपये का संशोधित योजना आकार होगा. योजना एवं विकास विभाग ने संशोधित योजना आकार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहमति के बाद मंजूरी के लिए योजना आयोग को भेज दिया है. विभागों से भी संशोधित योजना आकार के अनुरूप योजना प्रस्ताव देने को कहा गया है.
क्या थी मजबूरी : योजना एवं विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार केंद्रीय करों में 3100 करोड़ रुपये कम मिलना तय हो गया है. इसी तरह झारखंड से 2584 करोड़ रुपये मिलना था, लेकिन अब तक 500 करोड़ रुपये ही मिले हैं, यानी वहां से 2084 करोड़ रुपये नहीं मिले. कुल मिला कर 5184 करोड़ रुपये अनुमान से कम मिले हैं. रही बात केंद्र प्रायोजित व केंद्रीय योजनाओं और अनुदान की राशि की, तो इसमें भी आवंटन के अनुसार राशि मिलने की उम्मीद नहीं है. खासकर इंदिरा आवास, सर्वशिक्षा अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, कृषि रोड मैप, नगरीय सुविधाओं में विस्तार के लिए केंद्र से मिलनेवाली अनुदान राशि में भी कटौती की जा रही है. हालांकि, अभी यह आकलन नहीं हो पाया है कि इन योजनाओं के लिए कितनी राशि की कटौती होगी. इन कारणों से योजना आकार को कम करना सरकार की मजबूरी हो गयी है.
ज्यादातर विभागों पर पड़ेगा असर : योजना आकार में कटौती का असर कृषि, राजस्व एवं भूमि सुधार, पशु एवं मत्स्य संसाधन, सूचना एवं प्रावैधिकी, वित्त, सामान्य प्रशासन, योजना एवं विकास, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, एससी/एसटी कल्याण, ग्रामीण विकास, नगर विकास, परिवहन, जल संसाधन, लघु जल संसाधन आदि प्रमुख विभागों पर पड़ेगा. वहीं शिक्षा, ऊर्जा, सहकारिता, कला एवं संस्कृति, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को ज्यादा राशि दी गयी है.
योजना राशि के खर्च की समीक्षा के क्रम में मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया था कि जो विभाग खर्च करने में सक्षम होंगे उन्हें और राशि दी जायेगी तथा जिनका प्रदर्शन खराब रहेगा उनके बजट में कटौती की जायेगी. सरकार ने इस फॉमरूला को लागू कर दिया है.
मांगा गया है संशोधित बजट
केंद्र से राशि में कटौती का असर राज्य की विकास योजनाएं प्रभावित होगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. बावजूद इस बार 30 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो ही जायेगी. सभी विभागों से संशोधित बजट प्रस्ताव मांगा गया है. उसके अनुरूप राशि आवंटित की जायेगी. वैसे राज्य सरकार को अपने स्नेत से लक्ष्य से अधिक राजस्व संग्रहण होने की संभावना है. वित्तीय वर्ष 2012-13 में 18 हजार करोड़ रुपये संग्रह हुए थे और चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 में 21 हजार करोड़ से अधिक राशि जमा होने की उम्मीद है.
रामेश्वर सिंह,
वित्त विभाग के प्रधान सचिव