लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही बिहार में राजनीतिक उठा-पटक तेज हो गयी है. इसका असर नेताओं के आपसी रिश्तों पर पड़ा है. सोमवार को पति के भाजपा में शामिल होने पर उद्योग मंत्री रेणु कुशवाहा ने नैतिकता के आधार पर मंत्री पद छोड़ दिया, वहीं रामकृपाल यादव ने भतीजी के खिलाफ लड़ने का निर्णय लिया है. उधर, राजद नेता गुलाम गौस ‘बड़े भाई’ को छोड़ कर छोटे भाई के पास आ गये, तो पप्पू यादव फिर लालू प्रसाद के सहयोगी बन गये.
पति गये भाजपा में, रेणु ने दिया इस्तीफा
पटना. अपने पति के भाजपा में शामिल होने के कुछ ही घंटे के बाद उद्योग मंत्री रेणु कुशवाहा ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. दोपहर बाद पीएमसीएच के हृदय रोग संस्थान में इलाज करा कर लौटने पर मंत्री ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेज दिया. मुख्यमंत्री जब दिल्ली से लौटे, तो उन्होंने रेणु को मनाने की कोशिश की.
लेकिन, रेणु ने कहा कि नैतिकता का तकाजा है कि पति के भाजपा में शामिल होने के बाद मैं मंत्री नहीं रहूं. देर शाम प्रभात खबर से बातचीत में रेणु ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा, पति विजय कुमार सिंह 1974 आंदोलन के नेता रहे हैं. आज वह भाजपा में शामिल हुए हैं. इस कारण नैतिकता के आधार पर मैंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने का सवाल नहीं है. यह पूछे जाने पर कि क्या आप मधेपुरा से भाजपा की उम्मीदवार होंगी, उन्होंने कहा कि मुङो चुनाव नहीं लड़ना है. मुख्यमंत्री ने आग्रह किया था कि पद पर बने रहने का. लेकिन, मोरल ग्राउंड पर मैंने इस्तीफा दे दिया है. इसके पहले पूर्णिया में उनके पति और जदयू के प्रदेश महासचिव विजय कुमार सिंह ने भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल होने की घोषणा की.
इधर, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सत्यजीत सिंह ने उनके इस्तीफा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि रेणु कुशवाहा निवेशकों के प्रति संजीदा रहती थीं. उनकी पहल पर विभाग में कई काम हुए.
वहीं, पूर्व मंत्री और आरा से राजद प्रत्याशी भगवान सिंह कुशवाहा ने रेणु कुशवाहा प्रताड़ित की जा रही थीं, इसलिए उन्होंने इस्तीफा देना उचित समझा. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की.
भतीजी के खिलाफ मैदान में उतरेंगे चाचा
पटना. राजद के बागी सांसद रामकृपाल यादव ने भाजपा का दामन थामने का निर्णय लिया है. मंगलवार को दिल्ली में वह भाजपा में शामिल होंगे. श्री यादव पाटलिपुत्र से मीसा भारती के खिलाफ भाजपा के उम्मीदवार होंगे. दिल्ली से सोमवार को पटना पहुंचने पर उन्होंने अपने आवास पर कार्यकर्ताओं का मन टटोलने के बाद राजद छोड़ने का निर्णय लिया. दोपहर तक उनकीसीट को लेकर निर्णय लिया गया. शाम होते ही उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला भी ले लिया. रामकृपाल यादव के सहयोगी रणधीर यादव ने बताया कि सोमवार की रात वह दिल्ली जायेंगे. अगले दिन वह भाजपा में शामिल होंगे. हालांकि, उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि राज्यसभा की सीट छोड़ेंगे या नहीं.
पप्पू लालू के साथ
पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सोमवार को राजद में लौट आये. इस मौके पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने उन्हें मधेपुरा से अपनी पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया. लालू प्रसाद ने धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को मजबूत करने की पप्पू यादव की कोशिशों की तारीफ की. पूर्णिया के विधायक अजित सरकार की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद पिछले वर्ष पटना हाइकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.
जदयू में गुलाम
विधान परिषद में राजद के नेता गुलाम गौस सोमवार की शाम जदयू में शामिल हो गये. सीएम ने अपने आवास पर उन्हें जदयू की सदस्यता दिलायी. इसके बाद जदयू कार्यालय में मिलन समारोह का आयोजन किया गया, जहां उन्हें पार्टी की टोपी और झंडा देकर जदयू का सदस्य बनाया गया. इस मौके पर जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उनके जदयू में आने से पार्टी और मजबूत होगी.
व्यक्ति नहीं, बोर्ड तय करे प्रत्याशी
टिकट बंटवारे को लेकर जदयू में भी बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने सोमवार को दोहराया कि पार्टी उम्मीदवारों के नाम पर राह चलते फैसले की जगह संसदीय बोर्ड को निर्णय करना चाहिए. विधानसभाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के जमुई सुरक्षित क्षेत्र से उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना से नाराज नरेंद्र सिंह ने कहा कि मेरी नाराजगी किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है. लेकिन, बाहरी उम्मीदवारों की जगह स्थानीय उम्मीदवारों को तरजीह देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं दल से नाराज नहीं हूं और पार्टी छोड़नेवाला नहीं हूं. परिवार के भीतर कमजोरियां पा रहा हूं, इसलिए सलाह दे रहा हूं.
उन्होंने कहा कि पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र में भारी कमी है. टिकट बंटवारे के लिए पहले से ही संसदीय बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए था. पार्टी की ताकत निचले स्तर के कार्यकर्ता होते हैं. उनकी परवाह किये बिना किसी को भी टिकट देना पार्टीहित में नहीं है. इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव से भी मांग की है. पार्टी इसे गंभीरता से लेती है, तो ठीक है, नहीं लेती है, तो इस पर मैं बाद में आगे की रणनीति तय करूंगा. उन्होंने कहा कि संसदीय बोर्ड में निचले स्तर से दो से तीन नामों का प्रस्ताव आता है. इस पर संसदीय बोर्ड विचार करता है. ऐसा नहीं होने से दल के आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल खड़ा होता है. श्री सिंह ने रविवार को भी पार्टी में टिकट बटवारे को लेकर सवाल उठाया था.
इधर, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि पार्टी के हर निर्णय में नरेंद्र सिंह साथ रहे हैं और आगे भी रहेंगे. जदयू डेमोक्रेटिक पार्टी है और नरेंद्र सिंह पार्टी के महत्वपूर्ण व जिम्मेदार नेता हैं. वह हमेशा पार्टी हित में कार्यक्रम में शामिल होते हैं.