पूर्णिया:भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद नरेंद्र मोदी ने बिहार में अपनी तीसरी रैली को सोमवार को पूर्णिया में संबोधित किया. रंगभूमि मैदान में 55 मिनट के संबोधन में मोदी ने केंद्र व राज्य सरकार पर जम कर निशाना साधा. आरोप लगाया कि इन लोगों ने कभी न तो बिहार की सुध ली और न ही बिहारियों की. बिहार के गुणगान के साथ ही उन्होंने राज्य की तरक्की और विकास के लिए विशेष पैकेज, विशेष दरजा, विशेष तवज्जो देने की बात कही. गांधी मैदान ब्लास्ट, कोसी संकट से लेकर बिहार के विकास के दावे और नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा पर भी तीर चलाये. ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की बात कर अल्पसंख्यकों को भी रिझाने का प्रयास किया.
मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत माता की जय से की. मैथिली में लोगों का अभिवादन किया. उन्होंने होली के रंग की तरह चुनावी रंग में रंग जाने का आह्वान करते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व में ही देश और बिहार का विकास संभव है. विकास, प्रगति, आत्मीयता, भाईचारा और सदभावना की बात की. इस क्षेत्र के देवी-देवताओं से लेकर महापुरुषों तक को याद किया. उन्होंने बिहार के लोगों से देश का नेतृत्व में भागीदार बनने की अपील की. उन्होंने कहा कि भाजपा सबको साथ लेकर चलने में यकीन करती है. इस समय देश की राजनीति में तीन धारा बह रही है. एक गंठबंधन की, दूसरा भ्रष्ट बंधन की और तीसरा लठबंधन की. लोकतंत्र गंठबंधन से चलता है. उन्होंने एनडीए गंठबंधन को पूरा समर्थन देने की अपील करते हुए कहा कि हम दिल्ली में एक स्थिर, प्रगतिशील, मजबूत और विकास के लिए तत्पर रहनेवाली सरकार बनायेंगे. केंद्र की यूपीए सरकार को भी उखाड़ फेंकने का आह्वान किया.
गुजरात से की बिहार की तुलना : मोदी ने अपने संबोधन में आंकड़े और तथ्य रखते हुए बिहार, देश और गुजरात से तुलना की. उन्होंने कहा कि बिहार में 1900 स्कूल कागज पर चलते हैं. अकेले सिर्फ पटना में 90 स्कूल कागज पर हैं. केंद्र और बिहारकी सरकार सिर्फ मुसलमानों के नाम पर राजनीति कर रही है. उनका सच्च हिमायती होने का ढोंग करती है. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए कहा कि बिहार में 37 फीसदी शहरी मुसलमान गरीब हैं, जबकि गुजरात में 24 फीसदी. इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में 38 फीसदी बिहार के मुसलमान गरीब हैं, तो गुजरात में सात फीसदी. बिहार में शहरी क्षेत्र में औसतन एक अल्पसंख्यक 550 रुपये प्रतिमाह खर्च करता है तो गुजरात में 875 रुपये. गुजरात में साक्षरता दर अल्पसंख्यकों में 74 फीसदी है तो बिहार में 42 फीसदी. गुजरात में अल्पसंख्यकों में नवजात शिशु मृत्युदर गुजरात में 1000 में 34 है तो गुजरात में 71. सबसे बुरा हाल तो आइसीडीएस का है. बिहार में दो फीसदी मुसलिम ही इससे लाभान्वित हैं तो गुजरात में 32 फीसदी. उन्होंने अल्पसंख्यकों से वोट बैंक की राजनीति के कुचक्र का हिस्सा न बनने की अपील करते हुए कहा हम विकास और विविधता में एकता के मूलमंत्र पर काम करनेवाले लोग हैं.
बिहार पर फोकस : मोदी ने कहा कि बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. जल की कमी नहीं है. लोगों की नेकनीयती में कमी नहीं है. आश्चर्य जताया कि बिहार में जल का इतना बड़ा भंडार होने के बावजूद हर साल चार सौ करोड़ की मछली यहां आंध्रप्रदेश से आती है.पशुपालकों को दूध की उचित कीमत नहीं मिल पाती है. यहां उद्योग-धंधे की भारी कमी है. आज भारत के पश्चिमी हिस्से में औद्योगिक गतिविधियां चल रही है, लेकिन पूर्वी भारत में नगण्य है. भारत माता तभी मजबूत होगी जब उनकी दोनों भुजायें मजबूत होगी. विकास संतुलित हो, सर्वपोषक हो और समावेशी हो. अपने पूरे संबोधन में उन्होंने राहुल गांधी और नीतीश कुमार को निशाने पर रखा लेकिन एक बार भी दोनों नेता का नाम तो नहीं लिया. एक को ‘शहजाद’े और एक को ‘अहंकारी’ से संबोधित किया