आरोप है कि यूनिवर्सिटी में हुए कंस्ट्रक्शन वर्क, आंसर शीट की खरीदारी व साइंटिफिक उपकरण की खरीदारी में काफी गड़बड़ी हुई है. इस मामले में पंजाब की नयी कांग्रेस सरकार से जांच कराने की मांग की गयी है. शिक्षकों का यह भी कहना है कि यूनिवर्सिटी में अवैध तरीके से नियुक्ति भी की गयी है.
शिक्षकों ने यह भी जानकारी दी है कि कुलपति एएस बरार जनवरी माह से हमेशा अनुपस्थित रहे हैं और केवल बड़े आयोजनों में ही हिस्सा लेते थे. इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि अनुपस्थिति के दौरान वे अपने बेटे के साथ दिल्ली में रह रहे थे और अपने बेटे को संरक्षण देते थे. विदित हो कि प्रो एएस बरार ने 2009 में जीएनडीयू के कुलपति पद पर आसीन हुए थे. इसके बाद उस समय की प्रकाश सिंह बादल सरकार के दौरान उन्हें दो बार विस्तार दिया गया और अभी तक वे कुलपति के पद पर थे. शिक्षकों का यह भी आरोप था कि बादल सरकार की मदद से उन्हें दो बार विस्तार मिला. लेकिन मार्च में वहां कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद उन्होंने पंजाब के राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. वे 2009 से 15 मार्च, 2017 तक कुलपति पद पर रहे. एएस बरार को 2012 में पहला विस्तार मिला और फिर तीन साल बाद 2015 में विस्तार दिया गया और उनका कार्यकाल 2018 जुलाई तक कर दिया.