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BSSC : सचिव ने पहले दिखायी ओहदे की धौंस, फिर अपनी ही बातों में फंसते गये, मोबाइल फोन ने खोले राज
खुलासा. बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम के मोबाइल फोन से दो करोड़ के ट्रांजेक्शन की मिली जानकारी बिहार बोर्ड की कहानी एक बार फिर दोहरायी गयी. बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर व सचिव और निचलेे कर्मचारी स्टोरकीपर की सांठगांठ से टॉपर घोटाला किया गया था. अब यही कहानी बीएसएससी में सामने अा रही है़ यहां भी सचिव […]
खुलासा. बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम के मोबाइल फोन से दो करोड़ के ट्रांजेक्शन की मिली जानकारी
बिहार बोर्ड की कहानी एक बार फिर दोहरायी गयी. बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर व सचिव और निचलेे कर्मचारी स्टोरकीपर की सांठगांठ से टॉपर घोटाला किया गया था. अब यही कहानी बीएसएससी में सामने अा रही है़ यहां भी सचिव ने डाटा इंट्री ऑपरेटर से मिलकर परचा लीक करवाया. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, रोचक तथ्य बाहर आयेंगे. इस मामले में कुछ और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं.
पटना : डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश (सिपारा निवासी) के सेटर गिरोह के पवन से सीधे कनेक्शन व बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम के मोबाइल ने सारा राज खोल कर रख दिया. फिर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. प्रश्न पत्र के लीक होने की पुष्टि के बाद एसआइटी ने जब अपना अनुसंधान शुरू किया और कांटी फैक्ट्री रोड इलाके में पकड़े गये गिरोह के सरगना के मोबाइल का सीडीआर निकाला.
सीडीआर में यह स्पष्ट पाया गया कि एक नंबर से पवन की परीक्षा के पूर्व लंबी-लंबी बात हुई थी. इसके बाद उस मोबाइल के धारक का नाम व पता निकाला गया, तो वह अविनाश का निकला और फिर यह जानकारी मिली कि अविनाश बीएसएससी में संविदा पर डाटा इंट्री ऑपरेटर का काम करता है और वह सचिव परमेश्वर राम का काफी करीबी है. इसके बाद एसआइटी को पूरा शक हो गया कि प्रश्नपत्र लीक के तार बीएसएससी कार्यालय से जुड़ा है.
एसआइटी ने प्रश्नपत्र लीक होने की पुष्टि करते हुए अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को सौंप दी और फिर इसके बाद पुलिस ने सचिव परमेश्वर राम से पूछताछ की. पूछताछ के क्रम में ही पुलिस को अंदेशा हो गया कि यह भी कहीं न कहीं से इस पूरे गोरखधंधे में शामिल है और फिर एसआइटी उनके अगमकुआं के भागवत नगर स्थित आवास पर पहुंच गयी. जहां उनकी तीन मंजिले भवन के एक-एक कमरे की तलाशी ली, तो वहां से प्रश्नपत्र, ओएमआर शीट, कई छात्रों के एडमिट कार्ड बरामद किये गये. इसके बाद उनका मोबाइल पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया और जब उसके मैसेज बॉक्स को खंगाला, तो सारी हकीकत सामने आ गयी. उसके मोबाइल में कई छात्र-छात्राओं मसलन राजेश, पूजा, पूनम, गीता आदि के नाम व रौल नंबर मिले.
एसआइटी का गठन होने के बाद एसआइटी सबसे पहले उनके पास पहुंची, तो उन्होंने पहले पुलिस को हड़काने का प्रयास किया. उन्होंने पुलिस के प्रश्नपत्र लीक के दावे को झूठलाया और कहा कि यह सब अफवाह है. हालांकि, पटना पुलिस पहले ही उनसे ऑरिजनल प्रश्नपत्र व सोशल मीडिया पर वायरल हुए उत्तर का मिलान कर चुकी थी. उनके बयान के बाद पुलिस का पूरी तरह शक उन पर होने लगा कि यह हर कोई जान रहा है कि प्रश्नपत्र लीक हो चुका है तो फिर ये बार-बार उसे अफवाह क्यों बता रहे हैं. पुलिस का शक गहराने लगा और फिर अनुसंधान के क्रम में पुलिस उनके दरवाजे तक पहुंच गयी.
पवन ने भी की पुष्टि
इधर पवन को भी अगमकुआं थाने की पुलिस ने बुधवार को रिमांड पर ले लिया था और उसे थाना ले आयी थी. पवन और अविनाश की आमने-सामने बात करायी गयी, तो पवन ने भी स्वीकार कर लिया कि वह उसके संपर्क में काफी दिनों से था. पवन ने 2014 से इस धंधे में होने की जानकारी दी. सचिव परमेश्वर राम भी उसी अवधि में वहां सचिव बने थे और अविनाश की भी नियुक्ति संविदा पर हुई थी.
अफवाह बता दिया एेड
प्रश्नपत्र लीक होने के बाजार गरम होने के बाद लगभग सभी अधिकारियों के वाट्सएप पर वे हस्तलिखित उत्तर की कॉपी आ चुकी थी. सूत्रों के अनुसार उन्हें कई अधिकारियों ने भी समझाया कि वे तुरंत ही इस मामले में जांच करा ले और अगर मामला सही पाया गया, तो परीक्षा रद्द करने के लिए अपने स्तर पर कार्रवाई करें. लेकिन उन्होंने किसी की नहीं मानी और यहां तक कि उन्होंने अखबारों में यह विज्ञापन दे दिया कि प्रश्नपत्र लीक नहीं हुआ है, बल्कि यह अफवाह मात्र है.
पटना : एसआइटी प्रमुख और पटना के एसएसपी मनु महाराज ने कहा कि सोशल मीडिया में वायरल हुए उत्तर और ऑरिजिनल प्रश्नपत्र का मिलान किया गया, जो सही पाया गया. इसके बाद आयोग के सचिव और कुछ कर्मचारियों से पूछताछ की गयी. इसके बाद डॉक्यूमेंट्री एविडेंस व इलेक्ट्रॉनिक्स सर्विलांस के माध्यम से अनुसंधान किया गया और इसमें सचिव व डाटा इंट्री ऑपरेटर की संलिप्तता पायी गयी, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया
गया है. इसके साथ ही दोनों को रिमांड पर भी लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि अब तक के अनुसंधान में यह स्पष्ट हुआ है कि ट्रेजरी से प्रश्नपत्र नहीं लीक हुआ है. प्रश्नपत्र अन्य जगह से लीक हुआ है और इस बिंदु पर अनुसंधान जारी रहेगा. प्रश्नपत्र लीक में पूरा गिरोह शामिल है और उनके दलाल यत्र-तत्र फैले हुए है. इन सभी की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जायेगी.
जिला प्रशासन भी है कटघरे में
पटना. बीएसएससी परीक्षा मामले में आयोग के साथ जिला प्रशासन की भूमिका भी कटघरे में है. आयोग के प्रिटिंग प्रेस से जिला मुख्यालय को जब प्रश्नपत्र भेजे गये तो उसकी रिसिविंग से लेकर परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र को खोलने वाले मजिस्ट्रेट और सेंटर इंचार्ज भी इस दायरे में आयेंगे. जांच टीम को इस सवाल का अभी भी जवाब ढूंढना महत्वपूर्ण होगा कि सोशल मीडिया पर पहली बार कब क्वेश्चन पेपर लीक हुआ? यदि इस सवाल का जवाब मिल गया तो उसके बाद इस पूरे प्रकरण के सही दोषियों का पता चल सकेगा.
यदि परीक्षा के एक दिन पहले पेपर लीक हुआ होगा तो आयोग पर सवालिया निशान लगेंगे. यदि लीक होने की अवधि 12 घंटे से कम होगी, तो संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों तक जांच का दायरा बढ़ेगा. बिहार एसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने पेपर लीक कांड में पटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया है. उन्होंने कहा है कि एसएसपी अभी भले एसआइटी के अध्यक्ष हैं, लेकिन बतौर एसएसपी तो पटना में परीक्षा संचालन के लिए उन्हें लिखित रूप से जिम्मेवारी दी गयी थी. उन्होंने क्यों नहीं उसी दिन उन्हें पेपर लीक होने की सूचना दी? जबकि, वह बतौर अध्यक्ष फोन-व्हाट्स एप पर अवेलेबल थे.
यदि ऐसा होता तो उसी दिन वे परीक्षा रद्द कर देते. उन्होंने प्रभात खबर को बताया कि डीएम-एसपी को तो संयुक्त जिम्मेवारी दी जाती है. एसएसपी को भी जवाबदेही दी गयी थी तो देखना चाहिए था न? अभी एसआइटी के इंचार्ज हैं और वह तो पटना एसएसपी भी हैं. उनको भी लिखित में जवाबदेही दी गयी थी तो बतौर एसएसपी उन्होंने क्या किया? कलेक्टर को तो बताना चाहिए था. कलेक्टर ने बयान दिया है कि उनको जानकारी नहीं थी. गौरतलब हो कि परीक्षा के दिन जब परीक्षा पेपर लीक होने की बात सामने आयी थी तो एसएसपी ने यह बयान दिया था कि आयोग या किसी के द्वारा अगर लिखित शिकायत की जायेगी, तो वह कार्रवाई करेंगे. अब पेपर लीक होने की पुष्टि के बाद आयोग व पुलिस में आरोप-प्रत्यारोप शुरू है.
बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने स्पष्ट किया है कि सेंटर पर चूक हुई है. उन्होंने यह भी कहा है कि पेपर लीक हुआ है, लेकिन इसकी जानकारी मुझे समय पर नहीं दी गयी, नहीं तो मैं उसी दिन परीक्षा रद्द कर देता. हमारे संवाददाता रविशंकर उपाध्याय ने उनसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर बात की.
– क्या पेपर लीक हुआ है?
एसआइटी के अफसर जो पेपर लेकर आये, वह हमारा ही पेपर था. इससे स्पष्ट है कि पेपर लीक हुआ है. हालांकि, पुलिस तीन दिनों के बाद उस पेपर को हमारे पास लेकर आयी. यही चीज उस दिन बता देते, मैसेज-वाट्सएप कर देते, तो हम ही परीक्षा रद्द कर देते.
– पेपर कहां से लीक हुआ?
4.5 लाख कैंडिडेट, 38 जिलों के कलेक्टर और एसपी, 700 से ज्यादा सेंटर के लोग इस परीक्षा में पूरी तरह इन्वाल्व थे. किसने गलती की, इसकी जांच करना एसआइटी का काम है. हमारा आर्गेनाइजेशन तो 20-30 लोगों का है. हम क्या कर सकते हैं?
– किसको जिम्मेवार मानते हैं?
732 सेंटर हैं. सभी सेंटर पर मोबाइल चेक करने का आदेश है. हमने सारी व्यवस्था की है और सरकार को रिपोर्ट देते रहे हैं. इस मामले में स्पष्ट है कि चूक सेंटर पर हुई है. सरकार को देखना चाहिए, क्योंकि हमारा छोटा संगठन है. ट्रेजरी लेवल पर चूक हुई या नहीं, यह नहीं पता. पेपर खुलने के बाद ही लीक हुआ होगा न? ट्रेजरी अफसर थोड़े खोलता है. खोलता ताे सेंटर वाला है.
– क्या बोर्ड का स्ट्रेंथ कम है?
जहां 18 लाख लड़के परीक्षा दे रहे हैं, वहां 30 कर्मचारियों का समूह क्या करेगा? आप जानते नहीं हैं कि हमारी ताकत क्या है? ऑफिस एकांत में है, जहां रात में कोई आ जाता है, रेड भी हो चुका है. हमने सरकार को इस बारे में कब का बताया था. अभी-अभी सरकार ने जेइ और ऑडिटर की परीक्षा रद्द कर दी. हमसे पूछा गया था, तो हमने कहा कि रद्द कर दीजिए.
चार जिले और छह गिरोह अब रडार पर
पटना : बीएसएससी पेपर लीक प्रकरण में अब जांच का दायरा और बढ़ गया है. पटना के साथ नवादा, मुंगेर और मुजफ्फरपुर में पेपर लीक मामले में दर्ज एफआइआर पर अब जांच शुरू हो गयी है. एसआइटी के साथ ही अार्थिक अपराध अनुसंधान इकाई की टीम इसकी जांच में जुट गयी है.
इन चारों जिलों के मामले में संबंधित एसपी से एफआइआर की कॉपी बुधवार की सुबह जांच दल के पास पहुंच गयी है. अब इन सभी केस की पड़ताल की जा रही है. जैसे ही जांच में यह स्पष्ट होगा कि इन जिलों में जांच सही नहीं हो पा रही है, पूरे मामले में एक समग्र केस पटना मुख्यालय में दर्ज करायी जायेगी. इसके अलावा राज्य भर के छह गिरोहों पर नजर है, जिनकी जांच नये सिरे से शुरू होगी.
भूतनाथ रोड में चल रहा गिरोह बिहारशरीफ का : जांच टीम के दायरे में छह गिरोह आ रहे हैं. इसमें पटना, नालंदा, भागलपुर, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर के अलावा एक गिरोह पूर्णिया कहा है. जांच दल में लगी टीम को यह पता चला है कि भूतनाथ रोड में चल रहा गिरोह बिहारशरीफ का है. यह एक बड़ा गिरोह है जो कई प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने के लिए कुख्यात रहा है.पुलिस को यह शक है कि इस गिरोह की एक बड़ी भूमिका हो सकती है. हालांकि सरगना कौन है, यह अभी भी पुलिस नहीं तय कर सकी है.
नवादा का ग्रुप बतौर डिस्ट्रीब्यूटर : बीएसएससी पेपर लीक मामले की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि नवादा में जो बड़ा ग्रुप वहां के इंस्पेक्टर द्वारा पकड़ा गया है, वह बतौर डिस्ट्रीब्यूटर के तौर पर काम कर रहा था. पटना या नालंदा के एक बड़े गिरोह ने गौरीशंकर शर्मा को यह डिस्ट्रीब्यूटरशिप दी थी. जांच दल में शामिल एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह बताया कि पेपर लीक करने का पूरा खेल बाजार के हिसाब से हाे रहा है. इसी कारण सीएंडएफ से लेकर डिस्ट्रीब्यूटरशिप तक बांटी जा रही है. आने वाले दिनों में और खुलासे की उम्मीद है.
पटना : 29 जनवरी को ही पांच फरवरी को होने वाली परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो चुका था. पुलिस के पास जहानाबाद निवासी पंकज व अन्य कुछ छात्र पहुंचे और उन्होंने अपने व्हाट्सएप को दिखाया और फिर एसआइटी को बताया कि उनके व्हाट्सएप पर किसी ने चार दिन पहले तो किसी ने सात दिन पहले ही उत्तर की कॉपी आने की जानकारी दे दी. जिसके कारण पुलिस को अनुसंधान में मदद मिली और यह बात भी स्पष्ट हुई कि यह प्रश्न पत्र ट्रेजरी से लीक नहीं हुई थी. क्योंकि ट्रेजरी में एक दिन पूर्व प्रश्न पत्र आता है, जबकि हस्तलिखित उत्तर एक सप्ताह पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल होने शुरू हो गये थे.
पुलिस ने गिरोह के सरगना पवन समेत तीन को तो पकड़ लिया, सेटिंग के सारे उपकरण भी बरामद कर लिये. लेकिन उस समय केवल यह समझ में आया कि ये लोग परीक्षा केंद्र से ही प्रश्न पत्र को किसी तरह बाहर व्हाट्सएप की मदद से निकालते और फिर उसकी उत्तर बनती. लेकिन यह गिरोह उसके पूर्व ही प्रश्न पत्र हासिल कर चुका था और इसके गिरोह के अन्य सदस्य अपने कारनामे को अंजाम देने में सफल हुए. गिरोह के कई अन्य सदस्यों के नामों की जानकारी पटना पुलिस को हुई है, जिसे पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है.
नवादा : बीएसएससी प्रतियोगी परीक्षा में फर्जीवाड़ा कराते वारिसलीगंज शहर के सिमरी बाइपास के एक मकान से रविवार को स्थानीय पुलिस ने 28 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें 20 को कार्रवाई के बाद जेल भेजा गया. जब्त दस्तावेज से मिले सबूत के आधार पर अन्य 30 लोगों के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. मामले की जांच के लिए स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) गठित की गयी है. टीम में स्थानीय थाने में पदस्थापित थानाध्यक्ष मृत्युंजय प्रसाद सिंह, पुअनि राजेश कुमार, श्री कांत प्रसाद को शामिल किया गया है. मंगलवार को पटना से एसआइटी के सदस्य वारिसलीगंज थाने पहुंचे व थानेदार से एफआइआर के संबंध में विस्तृत जानकारी ली.
लगातार की जा रही छापेमारी : कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद एसआइटी लगातार छापेमारी कर रही है. सूत्रों ने कहा कि एफआइआर में नामजद आरोपितों के खिलाफ छापेमारी की जा रही है.
पुलिस ने कहा कि आरोपितों के घरों का पता लगा कर उनके घर पर छापेमारी की तैयारी चल रही है. बुधवार को थानाध्यक्ष सहित अन्य पुलिस अधिकारी ने उस मकान की दोबारा जांच-पड़ताल की, जिस मकान से धंधेबाजों को गिरफ्तार किया गया था. सूत्रों ने बताया कि मुताबिक पुलिस को घटनास्थल कई महत्वपूर्ण कागजात व सबूत मिले हैं, जिनके आधार पर अगली कार्रवाई की जायेगी.
वैज्ञानिक तरीके से हो रही प्रश्नपत्र लीक की जांच
पटना : पेपर लीक मामले में जांच के लिए पटना पुलिस के नेतृत्व में गठित एसआइटी ने मंगलवार की देर रात शहर के कांटी फैक्ट्री मोहल्ले से अभिषेक सिंह को गिरफ्तार किया है.
हालांकि एसएसपी इस पर स्पष्ट रूप से बताने के लिए तैयार नहीं हैं. अभिषेक पर पहले से ही परीक्षा की सेटिंग करने और पिछली एसएससी की परीक्षा में प्रश्न-पत्र लीक करने से संबंधित करीब एक दर्जन मामले इओयू में दर्ज हैं. इओयू इस मामले की जांच भी कर रहा है. इन मामलों में अभिषेक कुछ महीने पहले ही जेल से छूट कर आया है. यह कहा जाता है कि अभिषेक के रिश्ते कई बड़े राजनेताओं से सीधे तौर पर हैं. वर्तमान पेपर लीक मामले में इसकी संलिप्तता की जांच फिलहाल चल रही है.
आवेदन के तीन साल बाद परीक्षा 18.50 लाख करते रहे इंतजार
पटना : जिस इंटर स्तरीय प्रथम संयुक्त परीक्षा-2014 के दौरान उत्तर वायरल होने की घटना अभी चल रही है, उस परीक्षा को लेने में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने तीन साल लगा दिये. आवेदन 2014 अगस्त में लिया गया. परीक्षा जनवरी 2017 में आयोजित की गयी.
तीन साल में पांच बार परीक्षा की तारीख घोषित की गयी अौर परीक्षा की तिथि पास आने के बाद आयोग उसे कैंसिल भी करता रहा. इस बीच अभ्यर्थी जब भी आयोग से परीक्षा कराने की मांग करते तो आयोग उन्हें तैयारी करने की सलाह देकर लौटाता रहा. आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी होने के बाद से आयोग बहाना बनाने लगा कि फंड नहीं होने के कारण परीक्षा नहीं ली जा सकती है. लेकिन, अभ्यर्थियों के विरोध के बाद आयोग ने 29 जनवरी से 19 फरवरी तक चार चरणों में परीक्षा लेने की घोषणा की.
इओयू ने मांगा सभी कर्मियों और पर्यवेक्षकों का ब्योरा
पटना : बिहार एसएससी परीक्षा में पेपर लीक मामले में इओयू ने भी अपने स्तर पर विशेष एसआइटी का गठन करके इस मामले की जांच शुरू कर दी है. बुधवार को इओयू की टीम फिर से एसएससी गयी और वहां काम करने वाले सभी कर्मचारियों के साथ-साथ उन सभी पर्यवेक्षकों का भी पूरा विस्तृत ब्योरा मांगा है, जिनकी ड्यूटी परीक्षा केंद्रों पर लगायी गयी थी. आयोग में तैनात सभी स्तर के कर्मचारियों की पूरी कुंडली खंगालने में इओयू जुट गया है.
इस तरह की व्यापक जांच का मकसद सिर्फ एक बात ही पता लगाना है कि आखिर कहां से प्रश्न-पत्र लीक हुआ और सबसे पहले यह किसके पास पहुंचा था. इस जानकारी के सामने आने के बाद पेपर लीक में शामिल मेन रैकेट और इसके मुख्य सरगना के बारे में सटीक जानकारी मिल पायेगी. इस पूरे प्रकरण में कितने पैसे का लेन-देन हुआ है, इसकी जानकारी भी एकत्र की जा रही है. इस मामले में तमाम तथ्य सामने आने पर इओयू अपने स्तर पर एफआइआर दर्ज कर सकता है. इसमें शामिल सभी मुख्य आरोपियों पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करके इनकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी की जा सकती है.
पेपर लीक मामले में अब तक पटना, नवादा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सोनपुर और छपरा शहर के अलग-अलग थानों में एफआइआर दर्ज हो चुकी है. सभी एफआइआर को इओयू ने मंगवा लिया है और इसका पूरा विश्लेषण कर रहा है. ताकि इसमें शामिल अलग-अलग गिरोहों और पकड़े गये लोगों के बारे में पूरी जानकारी एकत्र की जा सके. अब तक जितनी भी एफआइआर हुई है. इसमें पकड़े गये तमाम अभ्यर्थियों में एक बात सामान्य है कि सभी ब्लूटुथ का उपयोग करते हुए पकड़े गये हैं. इन्हें ब्लूटुथ की मदद से सभी प्रश्नों के उत्तर बाहर से लिखवाने की तैयारी थी.
चार दर्जन बैंक खातों और एटीएम का मांगा डिटेल
इओयू इस मामले में एक दूसरे पहलू पर भी अपनी जांच कर रहा है. इसमें मुख्य रूप से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि कुल कितने रुपये का खेल हुआ है. इओयू को इस मामले में अब तक चार दर्जन बैंक एकाउंट और एटीएम के शामिल होने की बात सामने आयी है. इन बैंक खातों के बारे में संबंधित बैंकों से विस्तृत ब्योरा मांगा जा रहा है.
अधिकांश बैंकों से डिटेल भी प्राप्त हो गये हैं. जो बैंक खाते सामने आये हैं, उसमें पटना के अलावा नवादा, वारिसलीगंज, छपरा, मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों में मौजूद अलग-अलग बैंक शाखाओं के हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि इस रैकेट का जाल पूरे राज्य में फैला हुआ है. इस रैकेट में जिन लोगों के बैंक खातों में पैसे का लेन-देन हुआ है, उनके बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है. इसके आधार पर इस रैकेट में शामिल सभी लोगों और इनके लेन-देन का पूरा कच्चा-चिट्ठा मिल सकेगा.
पटना : प्रश्न पत्र लीक होने की पुष्टि होने के बाद एसआइटी ने सचिव व डाटा इंट्री ऑपरेटर को पकड़ लिया. लेकिन पुलिस के लिए अभी भी अनुसंधान का दायरा काफी बड़ा है. पुलिस को अब इस मामले में यह जानकारी लेनी है कि आखिर प्रश्न पत्र लीक कहां से हुआ.
इसके लिए एसआइटी की टीम ने सचिव परमेश्वर राम व डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश से पूछताछ की, लेकिन दोनों ने अपनी संलिप्तता से इन्कार कर दिया. इसके बाद जब गिरफ्तारी हुई तो सचिव रोने लगे और अपने आप को निर्दोष बताने लगे. लेकिन उनके घर से साक्ष्य बरामद हो चुका था और उन्हें पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया. दूसरी ओर एसआइटी की टीम बुधवार को दस बजे कार्यालय में पहुंच गयी और वहां करीब दो घंटे तक रूकी और वहां मौजूद कर्मियों से इस बात की जानकारी ली कि परीक्षा की प्रक्रिया क्या होती है. प्रश्न पत्र कहां छपता है, वहां से आयोग कैसे पहुंचता है. इसके बाद आयोग से कैसे और किस माध्यम से जिलाधिकारी के स्ट्रांग रूम में पहुंचती है और वहां से परीक्षा शुरू होने के कितने समय पूर्व परीक्षा केंद्र पर जाती है.
इस तरह की सारी जानकारी एसआइटी द्वारा एकत्र की गयी और फिर वहां से लौट गयी. पुलिस ने प्रथम दृष्टया अनुसंधान के दौरान सचिव की संलिप्तता पायी और गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया. लेकिन प्रश्न पत्र लीक करने और फिर उसे बाजार में बेचने वाला मास्टरमाइंड फिलहाल पकड़ से दूर है और पुलिस के लिए अभी रहस्य बना हुआ है कि आखिर वह कौन है, जिसने यह सेटिंग का गोरखधंधा फैला रखा है.
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