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पिता का शव घर में रख, मानव शृंखला में हुए शामिल

मधेपुरा. नशा जीवन में जहर घोल देता है. परिवार बरबाद हो जाते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री ने ईमानदार पहल शुरू की तो उनके फैसले ने घरों को संवार दिया. सुदूर गांव के एक नाम के ही दो लोगों ने एक जैसी स्थिति झेली और एक साथ एक अभूतपूर्व निर्णय लेकर मानव शृंखला को इतिहास में […]

मधेपुरा. नशा जीवन में जहर घोल देता है. परिवार बरबाद हो जाते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री ने ईमानदार पहल शुरू की तो उनके फैसले ने घरों को संवार दिया. सुदूर गांव के एक नाम के ही दो लोगों ने एक जैसी स्थिति झेली और एक साथ एक अभूतपूर्व निर्णय लेकर मानव शृंखला को इतिहास में दर्ज कराने जैसी इबारत लिखी.

बरबादी से उबर कर फिर खुशहाल जिंदगी जी रहे परिवारों को देखकर अरविंद मंडल और अरविंद यादव ने नशाबंदी के समर्थन में होने वाले मानव शृंखला को जीवन में इतना महत्वपूर्ण माना कि पिता की मृत्यु होने के बाद उनका अंतिम संस्कार करने से पहले मानव शृंखला में शामिल होना जरूरी समझा. एक बजे शृंखला का समय समाप्त होने के बाद वापस घर लौट कर अपने-अपने पिता का अंतिम संस्कार किया. मधेपुरा जिले के शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र स्थित मौरा कबियाही पंचायत के वार्ड संख्या एक के निवासी हैं अरविंद मंडल. वहीं अरविंद यादव इसी पंचायत के वार्ड संख्या दो के निवासी है.

अरिवंद मंडल के पिता कपिलदेव मंडल का निधन शुक्रवार की रात हो गया. वे 82 वर्ष के थे. जबकि अरविंद यादव के 85 वर्षीय पिता रामनारायण यादव की मृत्यु शनिवार की सुबह हो गयी. ये दोनों परिवार शराबबंदी के समर्थक हैं. दोनों बुजुर्ग नशा के घोर विरोधी थे. मुख्यमंत्री ने जब शराबबंदी की घोषणा की थी तो इन बुजुर्गों ने तहे दिल से नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया था.

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