पटना: गांधी मैदान से निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी का कैंप हटेगा. कंपनी मगध महिला कॉलेज की बगल में निर्माण स्थल के एक हिस्से में ही कैंप बना कर सामग्री रखेगी. मैदान आवंटन के खिलाफ अभियान को देखते हुए भवन निर्माण विभाग ने कंपनी को जल्द मैदान खाली करने का आदेश दिया है.
क्या है मामला
अंतरराष्ट्रीय कंवेंशन सेंटर, ज्ञान भवन व सभ्यता द्वार के निर्माण में प्रयोग में आने वाली सामग्री को रखने के लिए भवन निर्माण विभाग ने जिला प्रशासन से दो साल के लिए साढ़े छह एकड़ जमीन ली थी. यह जमीन बाद में अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी को आवंटित कर दी गयी, जिसने मैदान के पूर्वी-दक्षिणी छोर के एक बड़े हिस्से को टिन की चादरों से घेर रखा था. इस घेरे के अंदर स्थायी निर्माण चालू कर दिया गया. इसको लेकर जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत हो गयी.
रंग लाया अभियान
गांधी मैदान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले हर दल और समाज के लोग इकट्ठा हुए, जिसके संयोजन में मृत्युंजय तिवारी ने अहम भूमिका निभायी. आंदोलन को भाजपा के नितिन नवीन, अरुण सिन्हा से लेकर राजद के रामकृपाल यादव, गुलाम गौस, पूर्व मेयर संजय कुमार व कई पूर्व वार्ड पार्षदों का सहयोग भी मिला. खेल संगठनों से जुड़े लोगों ने भी लगातार धरना, प्रदर्शन, आंदोलन कर शासन-प्रशासन का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराया. गांधी मैदान से निजी कंपनी का कैंप हटाये जाने के बाद अब प्रशासन को इसके आस-पास लगनेवाले अतिक्रमण पर भी ध्यान देना चाहिए. इस ऐतिहासिक मैदान के तीन हिस्से में काफी अतिक्रमण है. पूर्वी छोर पर पुराने वाहनों के जमाव और गंदगी से खराब स्थिति है, तो उत्तरी छोर पर दीवाल से सटे कब्जा है. दक्षिणी छोर पर भी भारी मात्र में गंदगी फैली है. इसको लेकर गंभीरता से सोचने की जरूरत है.