सुजीत कुमार सिंह
औरंगाबाद:जम्होर थाना क्षेत्र के दुधैला गांव व जम्होर धर्मशाला के बीच बधार में अपराधियों द्वारा टांगी से काट कर तीन लोगों कि की गयी नृशंस हत्या ने विष्णुधाम की धरती को रक्तरंजित कर दिया. इस घटना में साधु सूरज नारायण यादव, इनकी पत्नी शांति देवी और रिश्तेदार अखिलेश कुमार की मौत हो गयी. घटना का अंजाम किन लोगों ने किस वजह से और किस परिस्थिति में दिया गया है यह पुलिस और ग्रामीणों के बीच पहेली बन गयी है. दुधैला व आसपास के ग्रामीण सोच रहे है कि जो व्यक्ति भगवान के जमीन जायदात की रखवाली करता था उसकी हत्या कैसे हो गयी और वृद्ध दंपति के हत्या के पीछे कारण क्या है.
20 वर्षो से ठाकुरबाड़ी की जमीन की देखभाल कर रहे थे सूरज : अपराधियों का शिकार हुए सूरज नारायण यादव साधु था. पूजा पाठ उसकी दीनचर्या में शामिल थी. विष्णुधाम ठाकुरबाड़ी के जमीन का कुछ हिस्से का वह देखभाल करता था. पिछले 20 वर्षो से रेलवे लाइन के उतर ठाकुरबाड़ी के जमीन में ही कुटिया बना कर पत्नी शांति देवी के साथ रह रहा था.परिवार के अन्य लोग गांव में रह रहे थे.जमीन की रखवाली कर अपना भरण पोषण भी कर रहा था.
फूफा से मिलने पहुंचा था अखिलेश : घटना में मारे गये सूरज व शांति के साथ अखिलेश भी शामिल था. रिश्ते में सूरज अखिलेश का फूफा था. मदनपुर थाना क्षेत्र लालटेनगंज निवासी नागदेव यादव का अखिलेश पुत्र बताया जाता है. घटना के दिन यानी गुरुवार की सुबह अखिलेश अपने पिता नागदेव यादव के साथ बहन की शादी के लिए लड़का देखने निकला था. शाम होने के बाद नागदेव यादव अपने एक रिश्तेदार के शादी समारोह में चले गये, जबकि अखिलेश अपने फूफा के घर चला गया. शुक्रवार सुबह घटना की सूचना पाकर नागदेव घटनास्थल पहुंचे तो वह दृश्य देख कर सन रह गये.
डकैती का रूप देने का किया प्रयास
अपराधियों ने पति-पत्नी व रिश्तेदार की हत्या करने के बाद साक्ष्य को डकैती का रूप देने का हर संभव प्रयास किया. शांति देवी की हत्या घर में की गयी, जबकि सूरज नारायण यादव और अखिलेश कुमार की हत्या घर से बाहर की गयी. घर के समानों को इधर उधर फेंक दिया गया. कई समानों को तोड़ दिया गया ताकि लोगों को प्रतीत हो कि यह घटना डकैती को लेकर अंजाम दी गयी है. ग्रामीणों का कहना है कि जो व्यक्ति बधार में कुटिया बनाकर रहरहा था उसके पास कीमती समानकैसे होगा.घटना का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है.
अब केकर गोदिया में खेलबइ बाबा
जिस जगह पर अपराधियों ने घटना का अंजाम दिया,वह जगह परिजनों के चीत्कार से दहल उठा. घटना की जानकारी पाते ही सूरज नारायण यादव के पुत्र,पुत्रवधू, पोता, पोती व अन्य परिजन दहाड़ मारते पहुंच गये. इनके चीत्कार के आगे हर कोई बेबस दिख रहा था. पोती गुड़िया रोते चिल्लाते कहती कि अब केकर गोदिया में खेलबइ बाबा,अमरूदिया तोड़ के के खिलतई बाबा. पुत्रवधू की भी हालत कुछ वैसी ही थी.
पुलिस के देर से पहुंचना बना आक्रोश का कारण
घटनास्थल पर ग्रामीणों के आक्रोश व प्रदर्शन के पीछे पुलिस जिम्मेवार रही. जम्होर थाना पुलिस पर आक्रोशितों ने जम कर अपनी भड़ास निकाली, कई बार तो ऐसा लगा कि पुलिस और आक्रोशित आपस में ही नहीं भिड़ जायें, लेकिन कुछ लोगों के समझाने बुझाने के बाद मामला हद तक ही सिमटा रहा. ग्रामीणों का कहना था कि घटनास्थल से जम्होर थाना की दूरी महज एक किलोमीटर है. घटना की सूचना भी पुलिस को दी गयी,लेकिन पुलिस सूचना पाने के दो घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंची. जब पुलिस के पदाधिकारी दो घंटे में अपने वाहन से एक किलोमीटर की दूरी तय करते हैं तो कैसे समाज का भला हो सकता है . पुलिस भी लाख सफाई देती रही, लेकिन ग्रामीणों के आक्रोश को दबा नहीं पायी. वरीय पदाधिकारियों ने काफी मशक्कत के बाद स्थिति को नियंत्रित किया.