पटना: अंतरराष्ट्रीय कनवेंशन सेंटर बना रही कंस्ट्रक्शन कंपनी को गांधी मैदान के आवंटन में भी जबरदस्त गोलमाल हुआ है. भवन निर्माण विभाग ने मैदान का आवंटन तो सरकारी दर पर लिया, मगर उसे सौंप दिया निजी कंपनी को. दो साल के लिए आवंटित की गयी इस भूमि के एवज में जिला प्रशासन को सिर्फ 83.61 लाख रुपये ही मिलेंगे. सवाल उठता है कि जब मैदान का इस्तेमाल पूरी तरह व्यावसायिक हो रहा है तो फिर इसका सरकारी आवंटन क्यों? अगर कंपनी को व्यावसायिक दर पर इसका आवंटन दिया जाता तो दस गुणा अधिक 8.36 करोड़ रुपये मिलते.
कंपनी अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन को व्यावसायिक दर 20 रुपये प्रति वर्ग फीट की बजाय मात्र दो रुपये प्रति वर्ग फीट पर गांधी मैदान उपलब्ध कराया गया है. कंपनी पर प्रशासन की मेहरबानी इतनी है कि अब तक आवंटन के लिए जमानत राशि तक नहीं ली गयी है, जबकि कब्जा लिये दस
दिन से अधिक बीत चुके हैं. व्यावसायिक उपयोग के लिए जमानत की राशि 20 हजार रुपये है. छोटे व्यवसायियों, संगठनों या दलों को सिर्फ मैदान का आवंटन हासिल करने के लिए लाख चक्कर लगाने पड़ते हैं. कंपनी को साढ़े 6 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी गयी है.
पल्ला झाड़ रहा है प्रशासन
पहले तो कंपनी ने निर्धारित स्थल पर टीन का शेड लगा कर घेरा करने का काम शुरू किया गया. इसमें कंपनी द्वारा निर्माण कार्य में लगनेवाली सामग्री रखने की बात कही जा रही थी. इसके बाद वहां मजदूरों के रहने के लिए आवास निर्माण करने की तैयारी की जाने लगी. आवास के साथ शौचालय बनाने का काम भी होने लगा. कंपनी द्वारा निर्माण कार्य की जानकारी मिलने पर लोगों की बेचैनी बढ़ी और इसे रोकने के लिए प्रशासन पर दबाव बढ़ने लगा. प्रशासन पल्ला झाड़ रहा है कि उसके द्वारा किसी कंपनी को गांधी मैदान आवंटित किया गया है.
हाइकोर्ट तक पहुंचा मामला
कंस्ट्रक्शन कंपनी को गांधी मैदान आवंटित किये जाने का मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. डिजनीलैंड लगाने वाली एक निजी कंपनी ने गांधी मैदान का आवंटन नहीं मिलने पर हाइ कोर्ट की शरण ली है. उनकी याचिका पर कोर्ट ने प्रशासन से जवाब मांगा है कि किस आधार पर अहलूवालिया कंस्ट्रक्ट कंपनी को जमीन दिया. इससे पहले जिला प्रशासन ने डिजनीलैंड प्रबंधन को कई कारण गिनाते हुए मैदान का आवंटन देने में असमर्थता जतायी थी.
लोगों को घबराने की जरूरत नहीं : डीएम
डीएम डा. एन.सरवण कुमार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, ज्ञान भवन व ऑडिटोरियम बनाने वाली कंपनी को जगह उपलब्ध कराने के लिए भवन निर्माण विभाग से पत्र मिला था. इस आधार पर गांधी मैदान उपलब्ध कराया गया. उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा वहां निर्माण सामग्री रखना है. इसके अतिरिक्त वहां पर कोई अन्य निर्माण बनने नहीं दिया जायेगा. काम समाप्त होने के बाद गांधी मैदान को पुराने स्थिति में लाया जायेगा. डीएम ने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी.
कार्यपालक अभियंता ने नहीं उठाया फोन
इस मामले में भवन प्रमंडल पटना के कार्यपालक अभियंता से बातचीत की कोशिश की गयी. उनके मोबाइल संख्या 9835264498 पर संपर्क किये जाने पर मोबाइल की घंटी बजी लेकिन रिसीव नहीं किया गया.
यहां से निकल सकता था ‘रास्ता’
मगध महिला महाविद्यालय के पास अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, ज्ञान भवन व ऑडिटोरियम का निर्माण कराये जा रहे हैं. वहां पास की जमीन पर अतिक्रमण है. गांधी संग्रहालय से लेकर मगध महिला महाविद्यालय तक के रोड किनारे की जमीन को दुकानदारों ने अतिक्रमण कर रखा है. वहां पर बेंत व बांस से बननेवाली कुरसी, सोफा आदि तैयार कर बेचे जाते हैं. इस तरह की वहां पर लगभग आधा दर्जन दुकानें हैं. इससे आगे बढ़ने पर नर्सरीवाले अपनी दुकानदारी चला रहे हैं. वहां पर पौधों की बिक्री होते हुए आसानी से देखी जा सकती है. प्रशासन की नजर उस पर पड़ती है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है. इससे बिल्कुल सटी जमीन पर नया निर्माण कार्य हो रहा है. कंपनी चाहती तो सड़क किनारे की उस अतिक्रमित जमीन को घेर कर अपने लिए इस्तेमाल कर सकती थी.
स्टील फ्रेम का होगा काम
अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, ज्ञान भवन व ऑडिटोरियम के निर्माण कार्य में स्टील फ्रेम का अधिक उपयोग होगा. कहा जा रहा है कि इसके लिए बड़े-बड़े स्टील फ्रेम कंपनी द्वारा लायी गयी है. इसे रखने के लिए पर्याप्त जगहों की जरूरत है. शहर के आसपास इतनी जगह उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में गांधी मैदान उपलब्ध कराया गया है. गांधी मैदान में बने शेड के पास खड़े एक कर्मी ने बताया कि अंदर में जो निर्माण कार्य हुआ था, उसे तोड़ दिया गया है. उन्होंने बताया कि काम करनेवाले मजदूरों के रहने के लिए आवास बन रहा था. उक्त कर्मी ने बताया कि यहां पर कंपनी द्वारा सामान रखा जायेगा. सामान कीमती है, इसलिए हिफाजत के लिए शेड तैयार हुआ है.