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किरायेदारों के सत्यापन में एनजीओ करेंगे मदद घर-घर जाकर भरवायेंगे फॉर्म

पटना: पुलिस ने किरायेदारों के चरित्र सत्यापन की कवायद शुरू कर दी है. इसमें एनजीओ की मदद ली जायेगी. इसके लिए एनजीओ की तलाश शुरू कर दी गयी है. एनजीओ के लोग हर थाना क्षेत्र में घर-घर जाकर किरायेदारों से चरित्र सत्यापन के लिए आवेदन प्रपत्र भरवायेंगे और उन्हें एसएसपी कार्यालय में जमा करेंगे. एसएसपी […]

पटना: पुलिस ने किरायेदारों के चरित्र सत्यापन की कवायद शुरू कर दी है. इसमें एनजीओ की मदद ली जायेगी. इसके लिए एनजीओ की तलाश शुरू कर दी गयी है. एनजीओ के लोग हर थाना क्षेत्र में घर-घर जाकर किरायेदारों से चरित्र सत्यापन के लिए आवेदन प्रपत्र भरवायेंगे और उन्हें एसएसपी कार्यालय में जमा करेंगे.

एसएसपी कार्यालय से थानों को भेजा जायेगा और निर्धारित तिथि के अंदर चरित्र सत्यापन के आवेदन पर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी जायेगी. वहां से रिपोर्ट आने के बाद किरायेदारों के नाम को पटना पुलिस की वेबसाइट पर भी लोड किया जायेगा. कोई भी व्यक्ति उस सूची को आसानी से देख सकता है.

एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि किरायेदारों के चरित्र सत्यापन को लेकर जल्द ही एनजीओ की मदद ले कार्य को शुरू किया जायेगा. उन्होंने बताया कि कई घटनाओं के बाद जब अपराधी पकड़े गये है तो वे किराये का मकान लेकर रह रहे थे और उनका चरित्र सत्यापन नहीं हुआ था.

क्यों पड़ी जरूरत

केस -1 : मणिपुर में सक्रिय पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एरिया कमांडर साइरेन इबुंगो उर्फ बोबो उर्फ सेनथोई सिंह को जक्कनपुर पुलिस ने 6 नवंबर को मीठापुर बस स्टैंड से पकड़ा था. इसके पास से आठ कैम्योफ्लैग कॉम्बेट शर्ट व पैंट और नक्सली संगठन से जुड़े कुछ दस्तावेज भी बरामद किये गये. वह 29 अगस्त को इस्ट इंफाल के पोरमोतक थाना क्षेत्र में लाफू -पोकपी नंगमैथिंग पहाड़ पर पुलिस से मुठभेड़ में शामिल था. इस दौरान उसके ग्रुप का एक साथी पुलिस के हाथों मारा गया था, लेकिन वह किसी तरह से वहां से निकल भागने में सफल रहा. काफी चर्चित होने कारण उसने मणिपुर को छोड़ दिया और मीठापुर बस स्टैंड में एक किराये का मकान लेकर रहने लगा. यह इस्ट इंफाल में कई नक्सली वारदातों को अंजाम देने का आरोपित रहा है.

केस-2 : श्रीकृष्णापुरी थाने की आनंदपुरी में अपराधियों ने राजीव सिंह की उनके ही अपार्टमेंट में गोली मार कर हत्या कर दी थी. इसमें खास बात यह थी कि हत्यारों ने घटना को अंजाम देने के लिए उसी अपार्टमेंट में खाली पड़े फ्लैट को दवा व्यवसायी से किराये पर लिया था, लेकिन उन लोगों का सत्यापन नहीं कराया गया था. जब घटना हुई और पुलिस ने उन लोगों के बारे में जानकारी हासिल करना शुरू किया, तो पता चला कि उन्होंने मकान मालिक को फर्जी नाम व पता का कागजात दे कर फ्लैट को किराये पर ले लिया था.

केस 3 : जरदा व्यवसायी मनोज कुमार चौरसिया की हत्या में शामिल अपराधी पीरबहोर में एक लॉज में किराया लेकर रहते थे. पुलिस ने जब सत्यापन किया तो पता चला कि वे लोग फर्जी पता देकर लॉज में रह रहे थे.

केस 4 : पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के पकड़े गये दो शातिर अपराधी भी गांधी मैदान स्थित लॉज में गलत पता दे कर रह रहे थे.

केस 5 : तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली के गिरफ्तार किये गये दो शातिर अपराधी भी गलत पता देकर एक मकान में रह रहे थे.

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