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कुपोषण के खिलाफ जंग में मॉडल बनेगा दरभंगा

70 देशों का मिल रहा सहयोग मुआयना कर रहे देश के कई प्रदेशों के विशेषज्ञ चिकित्सक एक मार्च को होगी डीएमसीएच में अनौपचारिक शुरुआत मिलेगा मानक के अनुरूप बच्चों को भोजन प्रशिक्षकों के लिए पंद्रह दिनी विशेष प्रशिक्षण 17 से दरभंगा : कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिए दरभंगा तैयार है. इसे देश का […]

70 देशों का मिल रहा सहयोग

मुआयना कर रहे देश के कई प्रदेशों के विशेषज्ञ चिकित्सक

एक मार्च को होगी डीएमसीएच में अनौपचारिक शुरुआत

मिलेगा मानक के अनुरूप बच्चों को भोजन

प्रशिक्षकों के लिए पंद्रह दिनी विशेष प्रशिक्षण 17 से

दरभंगा : कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिए दरभंगा तैयार है. इसे देश का पहला मॉडल सेंटर बनने का गौरव मिलने वाला है. एक मार्च को डीएमसीएच के शिशु रोग वार्ड में इस सेंटर मीकू (मॉल न्यूट्रिशन इंटेनिशिव केयर यूनिट) की शुरुआत होगी.

सेंटर को शुरू करने के लिए स्पेन की संस्था एमएसएफ की पहल पर देश भर के 70 देशों का समर्थन व सहयोग मिल रहा है. 2014 के अंत तक एमएसएफ के हर विभाग के लोग इसकी देखरेख करेंगे. इसके बाद इसे डीएमसीएच के हवाले पूरी तरह कर दिया जायेगा. पहली बार हो रहा है जब कुपोषण के इलाज के लिए बिहार मॉडल 30 बेड वाले इस मीकू में अलग-अलग तीन यूनिट बनाये गये हैं.

इसमें कुपोषित व संक्रमित बच्चों के लिए अलग वार्ड, वहीं अन्य रोगियों के लिए दो वार्ड होंगे. आर्मेनिया के वास्तु विशेषज्ञ की देखरेख में इस भवन का निर्माण हो रहा है.

मीकू की शुरुआत से पहले पंद्रह दिनों का प्रशिक्षण उन प्रशिक्षकों को दिया गया, जो मीकू में काम करनेवालों को प्रशिक्षित करेंगे. इन्हें स्पेन, अमेरिका समेत छह देशों के विशेषज्ञ ने जानकारी दी. स्पेन के डॉ पासकल फर्नाडिस ने गुरुवार को शिशु रोग वार्ड में बैठक की. इसमें ब्राजील की डॉ पावला, डॉ कैटरीना व नर्सिग प्रबंधन की प्रभारी वेया के साथ डीएमसीएच के डॉ तबरेज, डॉ शांडिल्य समेत बीस लोग मौजूद थे. इसमें 17 फरवरी से होने वाले प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षकों को विशेष टिप्स दिये गये.

होगा कुपोषितों का इलाज

जिले में चार चरणों में बच्चों का चयन व इलाज होगा. सबसे पहले सामुदायिक व ग्रामीण स्तर पर एएनएम व आशा कुपोषित व गंभीर मरीजों की पहचान करेंगी. इसके बाद उसे पीएचसी व एपीएचसी में इलाज कराया जायेगा. यहां से तकलीफ बढ़ने या गंभीर मरीजों को सीधा डीएमसीएच में भरती कराया जायेगा. विशेष गंभीर मरीजों को मीकू में भरती कराया जायेगा. इसके लिए बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति ने पीआपी के तहत पूरे प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी व पीएचसी को पैसा भी उपलब्ध करा दिया गया है.

स्थानीय स्तर पर बिरौल पुनर्वास केंद्र व सीएस कार्यालय में दुलार पोषण केंद्र को इससे जोड़ दिया गया है. वहीं, अन्य पीएचसी बहादुरपुर, सिंहवाड़ा, कुशेश्वरस्थान को इससे जल्द जोड़ा जायेगा.

आशा व एएनएम को मिलेगा प्रशिक्षण

आंगनबाड़ी व आशा को बताया जायेगा कैसे कुपोषित बच्चों की पहचान करनी है. इसके लिए एक खास टेप उन्हें मिलेगा. टेप को बीमार बच्चों के बांह में लगाते ही तीन रंगों लाल, पीला व हरा में रंग जायेगा. नापने पर अगर लाल आया तो इसे पॉजिटिव मान लिया जायेगा. इसके बाद इसे भरती के लिए पीएचसी या अन्य जगहों पर भेजा जायेगा. इसमें कुपोषण के अलावा टीबी, एचआइवी व निमोनिया से भी गंभीर संक्रमित बच्चों का इलाज संभव हो सकेगा.

पहुंच रहे देश-विदेश के विशेषज्ञ

इस सेंटर को देखने व मुआयना के लिए देश भर के विशेषज्ञ जुट रहे. इसकी सफलता के बाद इसी के तर्ज पर देश भर में ऐसे सेंटर खोले जायेंगे. इसमें ओडिशा, ग्वालियर व दिल्ली कालावती अस्पताल से प्रो प्रवीण हाल ही में यहां आकर जानकारी समेट कर ले गये हैं. इसके अलावा इसकी शुरुआत में सहयोग के लिए स्पेन, अमेरिका, अर्मेनिया, ब्राजील, अज्रेटाइना समेत कई देशों के विशेषज्ञ आ चुके हैं.

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