पटना: अप्रैल-मई में होनेवाले लोकसभा चुनाव को लेकर 15 फरवरी के पहले राज्य के 20 हजार कर्मियों का तबादला होना है. इनमें पंचायत सचिव व पुलिस से लेकर विभागों के प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हैं. इसके चलते सरकार के खजाने पर 60 करोड़ से अधिक का वित्तीय बोझ पड़ेगा. कारण स्थानांतरित कर्मियों के नयी जगह पर योगदान के लिए स्थानांतरण भत्ता के रूप में भुगतान करना पड़ता है.
योगदान करते ही कर लेते हैं निकासी : अधिकारियों के अनुसार, स्थानांतरण भत्ता के रूप में मूल वेतन व डीए का 60 प्रतिशत राशि भुगतान किया जाता है. अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को पैकर्स एवं मूवर्स और एसी प्रथम श्रेणी का किराया देना है. इस सेवा के अधिकारी 50 से 60 हजार रुपये तक निकासी कर सकते हैं. बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी 24 से 30 हजार तक इस मद में निकासी कर सकते हैं.
इसमें ट्रक से सामान ले जाने के अलावा एसी द्वितीय श्रेणी का किराया देने का प्रावधान है. प्रावधान के मुताबिक, प्रशासनिक अधिकारियों से नीचे के कर्मियों को 15 हजार से 20 हजार रुपये तक तबादला भत्ता पाने का अधिकार है. इन्हें ट्रक से सामान लाने और द्वितीय श्रेणी के ट्रेन किराया लेने का अधिकार है. स्थानांतरित पद पर योगदान करते ही अधिकारी अपने भत्ते की निकासी कर लेते हैं. वित्त विभाग के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि सभी तबादले हो गये, तो फरवरी के वेतन के साथ एक मुश्त 60 करोड़ रुपये की निकासी सरकारी खजाने से हो जायेगी.