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बिहार : जेल में आपत्तिजनक सामान पहुंचने और सुरक्षा चक्रव्यूह टूटने की पूरी रिपोर्ट
जेल के ‘भेदिये’ तोड़ते हैं सुरक्षा चक्रव्यूह नजराने के बदले पहुंच जाता है सामान लापरवाही. सलाखों के पीछे का सच, जेल के गेट पर फेल हो जाते हैं सुरक्षा के दावे जेल में बड़े अपराधी रंगदारी, हत्या, अपहरण की साजिश रच रहे हैं और मोबाइल के जरिये उनके फरमान पर गुर्गे अपराध को अंजाम दे […]
जेल के ‘भेदिये’ तोड़ते हैं सुरक्षा चक्रव्यूह नजराने के बदले पहुंच जाता है सामान
लापरवाही. सलाखों के पीछे का सच, जेल के गेट पर फेल हो जाते हैं सुरक्षा के दावे
जेल में बड़े अपराधी रंगदारी, हत्या, अपहरण की साजिश रच रहे हैं और मोबाइल के जरिये उनके फरमान पर गुर्गे अपराध को अंजाम दे रहे हैं.
विजय सिंह
पटना : व्यवस्था वही, मर्ज वही पर बीमारी लाइलाज हो गयी है. सुरक्षा, मुस्तैदी जैसे दावे जेल मैनुअल तक ही सिमट कर रह जा रही है. प्रतिबंधित वस्तुओं के उलट सभी तरह के इलेक्ट्राॅनिक उपकरण हर छापेमारी में बरामद हो रहे हैं. जेल में बड़े अपराधी रंगदारी, हत्या, अपहरण की साजिश रच रहे हैं और मोबाइल के जरिये उनके फरमान पर गुर्गे अंजाम दे रहे हैं.
पर जेल के अंदर जो हो रहा है, उस पर किसी की नजर नहीं जा रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि भोपाल जेल ब्रेक की घटना के बाद पटना के बेऊर जेल में अलर्ट जरूर किया गया था, लेकिन अगले दिन ही छापेमारी में इलेक्ट्रानिक उपकरण की बरामदगी हुई है. सवाल यह है कि जब अलर्ट में ऐसे हालात हैं, तो आम दिनों में क्या होता होगा. बेऊर जेल में भी सिमी और आइएम के आतंकवादी बंद हैं, बावजूद यह लापरवाही सामने आयी है.
जेल गेट पर तलाशी महज आइ वाॅश है, रात के अंधेरे में पहुंचता है प्रतिबंधित सामान : जेल गेट पर रोजाना मुलाकातियों की लंबी लाइन लगती है. उनके घरवाले वहां पहुंचते हैं. जेल के अंदर कदम रखने से पहले कड़ी चेकिंग होती है. मोबाइल फोन, समेत अन्य सभी प्रकार के उपकरण बाहर ही जमा करा लिये जाते हैं. इसके बावजूद जेल के अंदर प्रतिबंधित सामान पहुंच जा रहा है.
जेल सूत्र बताते हैं कि चेकिंग एक महज आईवाश है. यह उनके लिए है, जो प्रभावशाली नहीं है. रसूख वालों के सामने यह सब बेमानी साबित होती है. सूत्र बताते हैं कि अंदर सामान पहुंचाने के लिए सेटिंग होती है. रात के अंधेरे में जेल का भेदिया नजराना लेकर सामान मुहैया करा देता है.
जेल में प्रचलित है बैठकी, अब तक नहीं लग पायी रोक : जेल में बैठकी का नाम प्रचलित है. यह नाम काफी पुराना है, पेशेवर अपराधी इसे जानते भी हैं और इसका सुख भी उठाते हैं. इसके लिए हर महीने बस जेब ढीली करनी होती है. इसके बाद घर के बने हुए भोजन, कपड़े, सेंट, क्रिम समेत अन्य सामान बैठकी जमा करने वाले अपराधियों के बैरक तक पहुंचता है.
बड़े अपराधियों के पास जब बैठकी देने की कूबत नहीं रह जाती है, तो वह अंदर ही रंगदारी और अपहरण जैसी साजिश रचते हैं और गुर्गों से अंजाम दिलाकर पैसे मंगवाते हैं. यह सलाखों के पीछे की तल्ख हकीकत है, जो गाहे-बगाहे सामने तो आती है पर इस पर लगाम नहीं लग पाता है.
छापेमारी में मिलते हैं प्रतिबंधित सामा, न पर नहीं होती कार्रवाई : जेल के अंदर जिला प्रशासन द्वारा जब छापेमारी होती है, तो प्रतिबंधित सामान बरामद होते हैं. लेकिन जिस बैरक के आसपास सामान बरामद होते हैं, वहां पर ड्यूटी किसकी थी, रात में कौन कहां गया था, इसकी जांच नहीं होती है. जेल प्रशासन खामोश रहता है और जिला प्रशासन सख्ती के निर्देश देकर वापस लौट आता है, लेकिन इस तरह की हरकत बंद नहीं हो पा रही है. मंगलवार को बेऊर जेल में की गयी छापेमारी के बाद डीएम संजय अग्रवाल ने कहा कि जेल के अंदर सामान कैसे पहुंच रहा है, इसकी जांच होगी.
अनंत सिंह और रीतलाल यादव के बैरक से मिल चुका है आपत्तिजनक सामान : पूर्व में बेऊर जेल में की गयी छापेामरी के दौरान विधायक अनंत सिंह और एमएलसी रीतलाल यादव के बैरक व उसके पीछे से माेबाइल फोन और सिमकार्ड बरामद हो चुका है. हालाकि दोनों ने इस बात से इनकार किया था कि वह लोग इसका इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन हकीकत क्या थी यह साफ नहीं हो पाया.
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