पटना: जदयू के एनडीए से अलग हो जाने के बाद औरंगाबाद लोकसभा सीट भाजपा के लिए अहम हो गयी है. इस सीट पर आज तक जीत दर्ज न कराने का भाजपा को मलाल है. ऐसे में पार्टी इस बार इस सीट को जीतना चाहती है. लोकसभा चुनाव को लेकर हुई पार्टी पदाधिकारियों की बैठकों में इसके संकेत भी दिये गये हैं. वहां आठ माह से भाजपा की गतिविधियां भी बढ़ी हैं.
कई दावेदार : भाजपा ने फिलहाल किसी विधायक को लोकसभा चुनाव न लड़ाने के संकेत दिये हैं, फिर भी पूर्व मंत्री रामाधार सिंह के वहां से लड़ने की चर्चा का बाजार गरम है. जदयू के वर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चा है. जिस दिन बांका की निर्दलीय सांसद पुतुल सिंह ने भाजपा ज्वाइन किया था, उसी दिन सुशील कुमार सिंह के भी शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन वे शामिल नहीं हुए. चर्चा है कि देर-सबेर वे भाजपा में शामिल होंगे. हालांकि भाजपा में उन्हें शामिल करने का विरोध भी हो रहा है. भाजपा के एक दबंग विधायक ने उनके खिलाफ झंडा बुलंद कर रखा है.
एक ही जाति का दबदबा : औरंगाबाद लोकसभा सीट पर किसी भी दल से अभी तक एक ही जाति का सांसद बनता रहा है. ऐसे में हर दल इसी वर्ग से वहां प्रत्याशी उतारने की योजना बना रहा है. भाजपा से मात्र एक बार वहां से कृष्ण बल्लभ कुमार सिंह उर्फ बबुआ जी को मैदान में उतारा था, लेकिन वे हार गये थे. उनके अलावा जनसंघ या भाजपा से वहां से किसी ने चुनाव नहीं लड़ा है. इधर, लवली आनंद के भाजपा में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गयी है. यदि वे भाजपा में शामिल हुईं, तो पार्टी उन्हें मैदान में उतार सकती है. राजद, कांग्रेस और लोजपा के बीच गंठबंधन लगभग तय है. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस के निखिल कुमार प्रत्याशी हो सकते हैं. गंठबंधन होने पर राजद यहां से उम्मीदवार नहीं उतारेगा. फिलहाल, राजद से राघवेंद्र सिंह, पूर्व विधायक सुरेश मेहता व भीम कुमार दावेदारों में शामिल हैं.