राजद, लोजपा, एनसीपी के साथ सीट बंटवारे का पेंच
राजद और लोजपा, एनसीपी के साथ
नयी दिल्ली/पटना : बिहार में कांग्रेस, राजद, लोजपा व एनसीपी के बीच लोकसभा चुनाव साथ लड़ने को भले ही शुरुआती सहमति हो गयी हो, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर असमंजस की स्थिति कायम है. बुधवार को कांग्रेस की लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करनेवाली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई. लेकिन चारों दलों के बीच सीटों के बंटवारे का पेंच नहीं सुलझने के कारण उम्मीदवारों के नाम पर कोई फैसला नहीं हो सका. सूत्रों के अनुसार, बैठक में कांग्रेस की मजबूत स्थिति वाली सीटों और उनके संभावित उम्मीदवारों पर मंथन हुआ.
बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष सुशील कुमार शिंदे, प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, विधायक दल के नेता सदानंद सिंह, प्रदेश प्रभारी सीपी जोशी मौजूद थे. बैठक में शामिल नेताओं ने इसे रुटीन बैठक बताया. अगर चारों दलों के बीच गंठबंधन का गांठ कायम रहा तो कांग्रेस दस लोकसभा क्षेत्रों मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, खगड़िया, भागलपुर, उजियारपुर, सीतामढ़ी आदि सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में है.
लेकिन, इनमें से कुछ सीटों पर दूसरे दलों द्वारा भी दावेदारी जतायी जा रही है. मसलन, उजियारपुर सीट से एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष नागमणि को उतारना चाहती है. इसी प्रकार मधुबनी से राजद पिछले चुनाव में कम अंतर से हारे अब्दुल बारी सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाना चाहती है, जबकि कांग्रेस अपने महासचिव शकील अहमद को. ऐसे में उम्मीदवारों के चयन में अभी कुछ वक्त लग सकता है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, राजद 21-22, कांग्रेस 10, एनसीपी 2 और लोजपा 6-7 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
मुद्दों से ध्यान भटका रही कांग्रेस और भाजपा : शरद
पटना. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने आरोप लगाया कि देश के बुनियादी मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा कर कांग्रेस व भाजपा, जो सपने बेचने का काम कर रहें हैं उससे देश का भला होनेवाला नहीं है. वामदलों की अगुआई में दिल्ली में हुई बैठक में शामिल होकर पटना पहुंचने पर उक्त बातें उन्होंने कही. उन्होंने कहा कि 30 अक्तूबर को जो 14 पार्टियां का सम्मेलन हुआ था, उस दिशा में संसद के भीतर एक संघीय मोर्चा बनाने को लेकर यह दूसरा कदम है. इस मोरचा का नाम चाहे, जो भी रख दें पर यह संघीय मोर्चा है और यह सामूहिक रूप से कार्य करेगा. इस बैठक में 14 पार्टी के लोग शामिल हुए थे और यह मोरचा देश को चुनौतियों को लेकर संसद के भीतर कार्य करेगा.