पटना : मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से विधायकों की अनुशंसा पर अब साढ़े लाख तक की योजना का काम विभागीय स्तर से कराया जायेगा. पहले योजना एवं विकास विभाग के अधीन गठित स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन से टेंडर के माध्यम से कराने का प्रावधान था. बुधवार को मंत्रिमंडल ने इससे संबंधित पीडब्ल्यूडी कोड में संशोधन करने का निर्णय लिया है.
दो करोड़ की योजना होती है स्वीकृत : कैबिनेट के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र ने बताया कि एनडीए-दो सरकार के गठन के बाद विधायक निधि को समाप्त कर मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना शुरू की गयी थी. विधायकों की अनुशंसा पर दो करोड़ की लागत से विकास योजनाओं का कार्यान्वयन कराने का प्रावधान था.
इसके लिए योजना एवं विकास विभाग को नोडल विभाग बनाते हुए स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन का गठन किया गया था. लेकिन, प्रक्रियागत उलझनों और विधायकों की अनिच्छा के कारण यह योजना अब तक सफल नहीं हो पायी.
योजना एवं विकास विभाग ने पिछले वर्ष नियमावली में संशोधन करते हुए प्रावधान किया था कि साढ़े सात लाख तक की योजना टेबल टेंडर के माध्यम से होगा. इससे अधिक राशि की योजना के लिए वृहद पैमाने पर एकीकृत टेंडर जारी किया जायेगा. इसके बावजूद योजना की प्रगति में अपेक्षित तेजी नहीं आयी.
मस्टर रौल पर पर मजदूरी का भुगतान : मंत्रिमंडल ने पीडब्ल्यूडी कोड के नियम 159 (क) में अतिरिक्त कंडिका 3 जोड़ने का निर्णय लिया है. इसमें यह प्रावधान किया गया है कि साढ़े सात लाख से कम की योजनाएं, जिनका कार्यान्वयन योजना एवं विकास विभाग के अधीन गठित स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन द्वारा किया जा रहा है, को अब विभागीय रुप से भी कराया जा सकता है. विभागीय स्तर पर कार्य कराने के लिए सामग्रियों की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर कोटेशन के माध्यम से और मजदूरी का भुगतान मस्टर रौल के माध्यम किया जायेगा.
योजना विकास विभाग में 670 नये पद स्वीकृत : मंत्रिमंडल ने योजना एवं विकास विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत जिला योजना कार्यालय एवं स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के सुदृढ़ीकरण के लिए 670 नये पदों की स्वीकृति दी गयी है. इसी तरह विभाग के एक अन्य प्रस्ताव बिहार योजना सेवा ( संशोधन) नियमावली 2014 की मंजूरी दी गयी है.
इसके अलावा स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के संविदा पर काम कर रहे कनीय अभियंताओं की संविदा अवधि को अगले एक वर्ष तक के विस्तारित करने का निर्णय हुआ है. ऐसे अभियंताओं की संख्या 487 है. विश्वविद्यालयों में कार्यरत चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति उम्र सीमा 62 वर्ष से बढ़ा कर 65 वर्ष करने का फैसला हुआ है.
महिला विकास निगम के अधीन कार्यरत राज्य महिला संसाधन केंद्र के अंतर्गत राज्य के तीन जिलों-औरंगाबाद, बेगूसराय व नालंदा के 10-10 पंचायतों में पूर्ण शक्ति केंद्र खोलने का निर्णय लिया गया है. इस योजना पर 1.20 करोड़ रुपये खर्च होंगे.