पटना: राज्य के निजी क्रशर संचालकों को कोई राहत नहीं मिलनेवाली है. सरकार अब केवल सरकारी काम के लिए कुछ चिह्न्ति पहाड़ों से ही पत्थर उत्खनन की अनुमति देगी. कार्य विभागों के कार्यपालक अभियंताओं की निगरानी में ही पहाड़ों से पत्थर की कटाई हो सकेगी.
निजी निर्माण कार्यो के लिए उत्खनन नहीं होगा. निजी कार्यो के लिए अब पड़ोसी राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा व पश्चिम बंगाल से स्टोन चिप्स का आयात किया जायेगा. खान एवं भूतत्व विभाग नयी पत्थर उत्खनन नीति के प्रारूप को जल्द ही अंतिम रूप देने की तैयारी में है.
पहाड़ों को बचाने की कवायद
विभागीय सूत्रों के अनुसार, नयी नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है. अगले कुछ ही दिनों में इस प्रारूप को स्वीकृति के लिए मंत्री समूह की बैठक में पेश किया जायेगा. दरअसल, राज्य के बंटवारे के बाद अधिकतर पहाड़ झारखंड के हिस्से में चले गये हैं. बिहार के कुछ जिलों में जो पहाड़ बचे हैं, सरकार उन्हें बचा कर रखना चाहती है. पर्यावरण की दृष्टि से यह जरूरी है. सरकार अब केवल उन्हीं पहाड़ों से पत्थर उत्खनन की अनुमति देगी, जिनका पुरातात्विक या धार्मिक महत्व नहीं है. बिहार में अब केवल 12 जिले ही हैं, जहां से पत्थर का उत्खनन होता है.
सबसे अधिक पत्थर की कटाई गया जिले से होती है. लेकिन, वहां स्थित पहाड़ों की स्थिति भी अब ठीक नहीं है. गया के कई पहाड़ों को पर्यावरण, जबकि कई धार्मिक व पुरातात्विक दृष्टि से संरक्षित करने का फैसला लिया गया है. नयी नीति लागू होने के बाद केवल सामान्य क्रशर मशीनों को ही उत्खनन की अनुमति दी जायेगी. स्वचालित क्रशरों की संख्या न के बराबर होगी. बिहार में फिलहाल कुल 480 सामान्य क्रशर मशीनों व मात्र 11 स्वचालित क्रशर मशीनों का संचालन हो रहा है. नयी पत्थर उत्खनन नीति आने के बाद इनमें से कई पर प्रतिबंध लग सकता है.