पटना: दवा व्यवसायी वीरेश रंजन उर्फ वीरु बाबू का मर्डर कहीं बांकीपुर क्लब की होनेवाले आय को लेकर तो नहीं हुई? सूत्रों का कहना है कि विभिन्न स्नेतों से क्लब को हर साल 20 करोड़ रुपये से अधिक की आय होती है. साथ ही क्लब के पदाधिकारियों का राजनीतिक महत्व भी बढ़ जाता है. क्लब में हर साल होने वाले चुनाव में राजनीति दल व बाहुबली अपने लोगों को पदाधिकारी बनाने की कोशिश करते हैं. इसके कारण गुटबाजी और जोड़-तोड़ की खूब राजनीति होती है.
25 सौ से अधिक हैं सदस्य : क्लब से होने वाले फायदे और राजनीति कनेक्शन को देख कर हाइ प्रोफाइल लोगों में क्लब का सदस्य बनने की होड़ लगी रहती है. इसके लिए लोग मुंहमांगी रकम देने को तैयार रहते हैं. जिसको देखते हुए क्लब के पदाधिकारी हैसियत के हिसाब से क्लब का सदस्य बनाते हैं. मौजूदा समय में क्लब में 2500 से अधिक सदस्य हैं. वीरेश रंजन की पत्नी मीना सिंह का आरोप है कि क्लब का स्थायी सदस्य बनने के लिए ऊपरी दबाव के साथ ही लगभग 3 लाख रुपये से अधिक का घूस दिया जाता है. अतिरिक्त 40 हजार रुपये क्लब के पदाधिकारियों को देने पड़ते हैं. क्लब को हर साल लगभग सात करोड़ रुपये की आय होती है. 30 हजार रुपये प्रति शादी की बुकिंग होती थी. स्विमिंग पुल की बुकिंग के लिए अतिरिक्त 25 हजार रुपये लगते थे. क्लब में कैटरिंग से हर साल 13 करोड़ रुपये से अधिक का इनकम होता है. जिसे क्लब के लोग अपने फायदे के लिए उपयोग करते हैं. इसका बीरेश रंजन ने कई बार विरोध किया था.
दो साल पहले हुई थी मारपीट : मीना सिंह के अनुसार वीरेश कुमार के साथ ही क्लब में दो साल पहले भी मारपीट हुई थी. वीरेश क्लब से होने वाले फायदे का क्लब के विकास में खर्च करने का दबाव डाल रहे थे. जिससे लोग उनके दुश्मन हो गये थे. 2011 के अक्तूबर माह में ही कुछ लोगों ने वीरेश से गाली-गलौज करते हुए मारपीट और जान से मारने की धमकी दी थी.
सदस्य बनने के फायदे : क्लब का दिल्ली, मुंबई, मद्रास, कोलकाता, लखनऊ, बंगलुरू , चंडीगढ़ सहित देश के अधिकांश सिटी में ब्रांच है. इसका सदस्य बनने के बाद मेट्रो सिटी में उक्त क्लब के ब्रांच में रहने और खाने की सुविधा बहुत कम दाम पर मिलती है. पदाधिकारी इस सुविधा का लाभ फ्री में लेते हैं.
गार्ड के दिल में छुपा हुआ है राज : मीना सिंह का कहना है कि क्लब में सौ से अधिक कर्मचारी हैं. वीरेश कुमार की मौत का राज इन गार्ड और कर्मचारियों के दिल में छुपा हुआ है. फोन के माध्यम से सूचना देने की बात पर घर आये हुए कर्मचारी का कहना है कि क्लब के 2500 सदस्यों के मोबाइल बंद है. वीरेश की मौत के बाद सभी कर्मचारियों ने क्लब में ताला जड़ दिया और घर चले गये. वहीं सचिव महेश अग्रवाल कहते हैं कि क्लब में वर्चस्व, अनियमितता और पैसे को लेकर मीना सिंह द्वारा लगाया गया आरोप गलत है. मैं 22 जनवरी से जयपुर में हूं. इसलिए वीरेश की मौत के बारे में अधिक जानकारी नहीं है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी खुलासा नहीं
दवा व्यवसायी की मौत का रहस्य पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी नहीं खुल सका. रिपोर्ट में चिकित्सक घटना के कारणों को लेकर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाये और अपने विचार को सुरक्षित रख लिया है. इसके अलावा चेहरे पर चोट के निशान पाये गये हैं, लेकिन यह निशान कैसे हुआ है, इस पर भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट जब तक नहीं मिली थी, तब तक यह आशंका जतायी जा रही थी कि मौत के पीछे ब्रेन हेमरेज या हार्ट अटैक कारण हो सकते हैं. लेकिन, रिपोर्ट में इन दोनों ही आशंकाओं की पुष्टि नहीं हो पायी. गांधी मैदान के थानाध्यक्ष राजबिंदु प्रसाद ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ओपिनियन को रिजर्व कर लिया गया है. अब विसरा जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है.