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सबसे आगे दौड़ी वेलॉसिटी

पटना के स्टूडेंट्स ने दिल्ली में आयोजित हुए ह्युमन पावर्ड व्हीकल चैलेंज में दिखाया दम ‘वेलॉसिटी’ दौड़ी और ऐसी दौड़ी कि देश भर के चुनिंदा टॉप कॉलेज से आये बाकी 37 टेक-टीम्स इसे देख भौचक रह गयीं. भले ही एनआइटी पटना के स्टूडेंट्स द्वारा बनायी गयी हाइटेक साइकिल ‘वेलॉसिटी’ ने इस प्रतियोगिता में छठा स्थान […]

पटना के स्टूडेंट्स ने दिल्ली में आयोजित हुए ह्युमन पावर्ड व्हीकल चैलेंज में दिखाया दम

‘वेलॉसिटी’ दौड़ी और ऐसी दौड़ी कि देश भर के चुनिंदा टॉप कॉलेज से आये बाकी 37 टेक-टीम्स इसे देख भौचक रह गयीं. भले ही एनआइटी पटना के स्टूडेंट्स द्वारा बनायी गयी हाइटेक साइकिल ‘वेलॉसिटी’ ने इस प्रतियोगिता में छठा स्थान प्राप्त किया, लेकिन 17 से 19 जनवरी तक आइआइटी दिल्ली में चली इस प्रतियोगिता में जिस बूते पर 14 स्टूडेंट्स की इस टीम ने सभी को टक्कर दी, उसे सभी ने खूब सराहा. कम समय और सीमित संसाधनों के बाद भी इन्होंने यह साइकिल बना डाली, जो 36 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. चार महीने की मेहनत में इस साइकिल की डिजाइन व तकनीक डेवलप करने के बाद से ही इनका उत्साह चरम पर था. लेकिन सब पर इनकी उम्मीदें भारी पड़ीं.

ज्यादा वजन, महंगे कार्बन फाइबर का इस्तेमाल ना कर पाना, फ्रेम वेल्डिंग के लिए दौड़ा-भागी. अगर इन सभी के बीच स्टूडेंट्स के साथ कोई दृढ़ता से मार्गदर्शन करता रहा, तो वे थे इनके मैकेनिकल ब्रांच के प्रोफेसर प्रकाश चंद्रा. हर मामले में इन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए छात्रों का उत्साह बनाये रखा. 21 जनवरी को इस कंपीटीशन के रिजल्ट्स आउट हुए.

क्या है यह कांटेस्ट

यह कांटेस्ट पहली बार भारत में आइआइटी दिल्ली में आयोजित हुआ है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रतियोगिता पहले भी होती रही है. ह्यूमन पावर्ड व्हीकल चैलेंज में स्टूडेंट्स को एक ऐसी साइकिल का निर्माण करना होता है, जो कम शारीरिक शक्ति से भी ज्यादा दूर तक चले और साथ ही इसमें जरु रत की सारी सुविधाएं उपलब्ध हों.

भविष्य में खत्म होते तेल के भंडार को देखते हुए ऐसे साइकिल बनाने पर जोर दिया जा रहा है. अमेरिका में इस तरह के साइकिल बाजार में उपलब्ध भी है.

अनोखी है वेलॉसिटी

वेलॉसिटी के रफ्तार में उसका वजन बाधक नहीं बन पाया. खासियत थी इसके डिजाइन में. चालक के बैठने के सीट को इस तरह से बनाया गया है कि जमीन पर सीधे लगनेवाले बल को ही खत्म कर दिया गया. डिस्क ब्रेक, सस्पेंशन, रोलओवर प्रोटेक्शन बार्स, विंडशील्ड, ये सभी चीजें इस साइकिल में लगी हुई हैं.

ढाई घंटे के समय में इन्होंने 40 लैप्स पूरे किये, जो 42 किलोमीटर पूरे किये, जिसमे सबसे ज्यादा सुमन यादव ने 19 लैप्स चलाये. तीन स्तर पर हुए इस प्रतियोगिता में ओवरआल चैंपियन आइएसएम धनबाद की टीम ‘पेडोकर’ रही.

आइआइटी पटना रहा 10वें स्थान पर

इनकी तिपहिया साइकिल ‘फायर फ्लाई’ को भी विशेषज्ञों के खूब सराहा. आइआइटीयंस पूरे प्रतियोगिता में 10वें स्थान पर रहे. बीते मंगलवार को आये रिजल्ट्स के बाद टीम लीडर मुहम्मद सुजात अली ने बताया कि इस कांटेस्ट में सभी ने काफी कुछ सीखा. दूसरे कॉलेज की टीम्स की बेहतर टेक्निकल चीजों को भी उन्होंने जाना.

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