मधुबनी : मधुबनी जिला खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष सरला देवी खादी के लिए पूरा जीवन संघर्षरत रही हैं. खादी ग्रामोद्योग के बतौर मुख्य कार्यकर्ता लंबे समय से काम कर रही सरला वर्तमान हालत में इसकी प्रासंगिकता पर अधिक बल देती हैं. बकौल सरला देवी पूंजीपतियों का शिकार ये तमाम लघु व कुटीर उद्योग होते रहे हैं.
बेनीपट्टी नागदह की सरला की शादी 14 वर्ष में खजौली प्रखंड के लक्ष्मीपुर में हुई, पर गौना न हो सका. पति का निधन हो गया. 1982 में विधवा बन गयी सरला ने मामूली साक्षर होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी. 1989 में कपसिया भंडार से बतौर कतिन के रूप में खादी को अपना लिया. 1993 में कतिन प्रतिनिधि बनी. खादी के प्रति संजीदगी के कारण महज छह माह बाद ही अध्यक्ष बन गयीं. 1993 से 97 तक अध्यक्ष रहीं. एक मई 2010 को सरला फिर से अध्यक्ष बनी.
उम्मीदें बरकरार
गांधी व विनोबा की राह को पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायी मानती है. सरला निष्ठ कार्यकर्ता की तरह समय पर दफ्तर पहुंच जाती है. जिला स्तर पर महिला के खिलाफ हो रहे कार्यो की समीक्षा करती हैं. फिर संघर्ष में जुट जाती है. बताती है समाज में महिला के प्रति सोच में और अधिक बदलाव लाने की जरूरत है वहीं हम महिला को भी और अधिक निर्भीक होना होगा. इन्हें नयी पीढ़ी से काफी उम्मीदें हैं.
संवार दिये कई घर
पूरी तरह खादी में खो चुकी सरला का संघर्ष कई घरों को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है. बकौल सरला 80 के दशक में दो हजार से अधिक परिवारों का आर्थिक संबल खादी बन सका. समाज में उपेक्षित एवं परित्यक की जिंदगी बसर करने वाली इन परिवारों को खादी का आधार मिला, जिससे इनके बच्चों की बढ़िया परवरिश हो सकी और वे आज पढ़ लिख कर अच्छे ओहदे पर हैं. नाम और पैसे कमा रहे हैं.
खादी अभियान से जुड़े दीना नाथ मंडल, गोस्वामी राय, देवेश झा आदि ने बताया कि खादी से इन जरूरत मंद परिवारों को जोड़ने की सला की भूमिका अविस्मणीय रही है.