पटना: भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) की बिहार में लेवी का चावल लेने के लिए आनाकानी से राज्य को 15 करोड़ की चपत लगेगी. एफसीआइ ने क्वालिटी खराब होने के नाम पर 68 हजार 662 क्विंटल चावल लेने से इनकार किया है. राज्य सरकार किसानों से धान की खरीद कर राज्य के मिलरों से कुटाई करा एफसीआइ के हाथों चावल बेचती है. राज्य सरकार ने 2012-13 में किसानों से 19 लाख 46 हजार 412 मीटरिक टन धान खरीद मिलरों को कुटाई के लिए दिया था. धान की कुटाई कर दो जनवरी तक 828839.9 क्विंटल चावल सरकार ने प्राप्त की है.
मिलरों से होगी वसूली : एफसीआइ के चावल लेने के इनकार का ठीकरा मिलरों पर फूटने वाला है. उधर, राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मिलरों से इसकी वसूली होगी.
धान अधिप्राप्ति और लेवी का चावल एफसीआइ पहुंचाने में जुटे अधिकारियों के अनुसार क्वालिटी खराब का बहाना बना कर एफसीआइ चावल नहीं लेता है. 2012-13 में मिलरों के चावल नहीं लेने पर मंत्री श्याम रजक ने कहा कि मिलर को ही चावल देना है. यदि वे चावल नहीं देते हैं तो उनसे वसूली होगी. एफसीआइ के रवैये को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि अब एफसीआइ को चावल देना ही नहीं है. खुद राज्य सरकार भंडारण और वितरण करेगी. एफसीआइ से मिलरों की परेशानी को स्वीकारते हुए कहा कि दूसरे राज्यों की कम क्वालिटी का चावल भी एफसीआइ लेता है, पर बिहार में ऐसा नहीं कर रहा है.
मनमानी का आरोप : उधर, मिलर एसोसिएशन के अध्यक्ष राम कुमार झा ने कहा है कि एफसीआइ की मनमानी का खामियाजा मिलर भुगत रहे हैं. राज्य सरकार से उन्होंने एफसीआइ पर दबाव डालने की मांग करते हुए कहा कि मिलर की कोई गलती नहीं है. एफसीआइ के रवैये से राज्य को करोड़ों का घाटा होगा.
सड़ा अनाज भी लेता है एफसीआइ
एफसीआइ परामर्शदात्री समिति के सदस्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश का सड़ा अनाज एफसीआइ के गोदाम में आता है. यही अनाज पीडीएस दुकानों तक पहुंचा दिया जाता है. सदस्य ने एफसीआइ में करोड़ों के गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि इस संबंध में कई पत्र केंद्रीय मंत्री और भारत सरकार के सचिव को भेजा गया है. इसके बावजूद कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.
नहीं होती कोई कार्रवाई : एक सदस्य ने कहा कि इस संबंध में समिति के अध्यक्ष और सांसद मंगनी लाल मंडल ने भी एफसीआइ के महाप्रबंधक को पत्र लिखा था. सदस्यों ने गलत भंडारण के कारण अनाज के सड़ने और सड़े अनाज पीडीएस को देने का भी आरोप लगाया है. केंद्रीय मंत्री केवी थोमस को लिखे पत्र में इस संबंध में जानकारी दी गयी थी. लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई. अधिकारियों की मनमानी से एफसीआइ को करोड़ों की क्षति हो रही है. इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.