पटना हिंदुओं द्वारा यह पर्व पूरे भारत में किसी न किसी रूप में काफी श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है. बिहार-झारखंड के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस पर्व को खिचड़ी नाम से भी पुकारते है. इसलिए इस दिन दही, चूड़ा, तिल गुड़ तथा खिचड़ी खायी जाती है. इसलिए मकर संक्रांति के दिन कई घरों में कई तरह के डिशेज अपने हाथों से बनायी जाती हैं. जिसमें वो तिल के लाई, चूड़ा, फरही के लाई, चावल की तेहरी बनाना, सारी हरी सब्जियों को एक साथ मिला कर मिक्स भेज बनाती है जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है.
डिश का नाम: तिल का लाई
सामग्री : तिल, गुड़, नमक और कच्चे बादाम
विधि : सबसे पहले तिल को धोकर अच्छी तरह सुखाना होगा. इसके बाद एक-एक करके कच्चे बादाम और तिल को हल्का भुना जाता है. इन दोनों के भुनने के बाद कड़ाही में पानी, नमक और गुड़ डाल कर तब तक चलाना चाहिए जब तक कि दोनों चीजें एक साथ मिल न जाएं. जिसको हम चाशनी भी कहते हैं. इन दोनों को गुड़ की चाशनी में डुबो कर मिला देते हैं उसके बाद जब सब मिल जाता है और ठंडा भी हो जाता है तब उसे गोल करके लाई का आकार दे देते हैं. उसके बाद करीबन एक घंटे बाद इन्हें खाया जा सकता है.
डिश का नाम: तहरी
सामग्री : अरवा चावल, घी, उड़द और चने की दाल, नमक, तीन चार तरह की हरी सब्जियां, सब्जी मसाला
विधि : सबसे पहले चावल को धो कर धूप में सुखाया जाता है जब तक कि वह भरभरा न जाये. इसके बाद किसी बड़े आकार वाले तसले में पानी को गर्म किया जाता है और दूसरी तरफ सुखाये हुए चावल को घी में डालकर हल्का प्याजी रंग होने तक भूना जाता है. इसके बाद दूसरी तरफ जब पानी पूरा गर्म होकर खौलने लगता है तो भुने हुए चावल और दाल दोनों को डाल दिया जाता है और फिर उसमें हल्दी, नमक, लाल मिर्च पाउडर, काली मिर्च का पाउडर, लहसुन का पेस्ट डाल कर उसे मिलाया जाता है. ऐसा करने के बाद इसे ऐसे ही छोड़ दें जब तक कि चावल दाल पूरी तरह से पक न जायें. इसके बाद सूखी सब्जी बनाई जाती है. पके हुए चावल-दाल में यह सब्जी मिला दी जाती है. ताकि तहरी खाते वक्त घी और गरम मसाला का भी स्वाद पता चले.
संक्रांति के मौके पर पारंपरिक रूप से चावल, दाल और सब्जियों की तहरी खाई जाती है. उत्तर भारतीय घरों में स्वाद के अनुसार इसके साथ घी, पापड़, आचार और दही का सेवन किया जाता है. अन्य सब्जियों और व्यंजनों की अपेक्षा तहरी बनाना और खाना काफी सुविधाजनक होता है. शायद इसलिए ही ज्यादातर लोगों की पहली पसंद तहरी ही होती है.
डिश का नाम: मिक्स सब्जी
सामग्री : आलू, प्याज, जितनी ज्यादा हरी सब्जी, सब्जी में डालने वाले सारे मसाले और साथ में घी भी.
विधि : इस मिक्स भेज को बनाने के लिए पहले सभी हरी सब्जियों को बारिकी से काट लेनी चाहिए और आलू को उबाल लेने चाहिए ताकि जब हरी सब्जी जब भूना जायें तो उसमें आलू का टूकड़ा भी मिल जायें. इसके बाद कड़ाही तो गर्म करके सबसे पहले उसमें थोड़ा घी और सरसों की तेल डालनी चाहिए और फिर उसमें थोड़ा सा खड़ा जीरा, चार से पांच तेजपत्ता, खड़ी लाल मिर्च इन सबको मिला लेनी चाहिए उसके बाद उसमें कटा हुआ प्याज दे देनी चाहिए और उस प्याज को तब तक भूनना चाहिए जब तक कि वह बादामी कलर न हो जाये. उसके बाद उसमें सारी कटी हुई सब्जी डाल कर केवल उसमें नमक और हल्दी देकर सब्जी को गलने के लिए धीमी आंच पर ही छोड़ दे ताकि वह सही तरीके से गल जायें. जब ये सब्जी गल जाये तो उसमें गला हुआ आलू डाल कर उन सबको थोड़ी देर तक भुने. इसके बाद उस सब्जी लहसुन पेस्ट, लाल मिर्च पाउडर, काली मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला पाउडर, मार्केट का सब्जी मसाला पाउडर देकर दोबारा भुने जब सारी सब्जी मिल जाये तो उसमें बारीकी से कटा हुआ टमाटर भी डाल दे ताकि सब्जी का स्वाद थोड़ा चट कार बन सके. इसके बाद इसमें थोड़ा घी भी डाल कर भूने देने से उस सब्जी का स्वाद भी बढ़ जाता है. और अंत में पानी डाल कर उसे थोड़ा गाढ़ा किया जाता है. स्वाद में स्वादिष्ट होने वाली मिक्स वेज सब्जी बहुत से लोगों की खास पसंद होती है. सर्दियों के मौसम में बनाने में सुविधाजनक मिक्स वेज सब्जी, चावल और रोटी के साथ खूब स्वाद देती है. ठंड के दिनों में मिलने वाली सब्जियां जैसे मटर, गाजर, गोभी, पत्ता गोभी सहित इनमें आलू और पनीर को भी मिक्स किया जाता है. इसके चलते बहुत से लोगों को मिक्स वेज सब्जी बहुत पसंद होती है.
डिश का नाम: चूड़ा और फरही का लाई
सामग्री : भूना हुआ चूड़ा, गुड़, फरही, छोटी इलायची,नमक
विधि : किसी बड़ी से कड़ाही में पानी और गुड़ का चाशनी बनाई जाती है और जब यह चाशनी थोड़ी गाढ़ी हो जाती है तो उसमें स्वाद अनुसार नमक और छोटी इलायची का पाउडर मिला दिया जाता है. ताकि उसमें जब चूड़ा या फरही डाला जायें तो वे सारी चीजें सभी के साथ मिल जायें. इसके बाद चाशनी को ठंडा होने के बाद उसमें चूड़ा और फरही दोनों मिला कर उस गोल आकार में बांध दिया जाता है. इस तरह चूड़े और फरही की स्वादिष्ट लाई बनती है. सर्दी के मौसम में बहुत से लोगों को ऐसी लाई खूब भाती है. तासीर के मामले में भी गुड़ और इलायची के चलते गर्म होने वाली लाई शरीर को सर्दी से लड़ने की ताकत प्रदान करती है. शायद इस लिए सर्दी के मौसम में चूड़े और फरही की लाई खाई जाती है.